दशहरा, जिसे विजय दशमी भी कहा जाता है, भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो हर साल आश्विन शुक्ल पक्ष की दशमी को मनाया जाता है। माना जाता है कि यह पर्व मुख्य रूप से मां दुर्गा द्वारा महिषासुर के वध और भगवान राम द्वारा रावण के वध की स्मृति में मनाया जाता है। इस दिन लोग विशेष पूजा–अर्चना करते हैं, रामलीला का मंचन होता है और रावण, मेघनाथ और कुंभकर्ण के पुतलों का दहन किया जाता है। लेकिन यह पर्व तीन और भी कारणों से मनाया जाता है. जिसकी चर्चा हम इस वीडियो में करेंगे. अगर आप भी दशहरा पर्व मनाये जाने के किन्हीं और कहानी के बारे में जानते हैं तो हमें जरुर बताएं.
दशहरा या विजय दशमी मानाने का जो सबसे प्रचलित कथा है वो है मां दुर्गा द्वारा महिषासुर का वद्ध
1. महिषासुर वध
दशहरा का पर्व मां दुर्गा द्वारा महिषासुर के वध के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। महिषासुर एक दानव था, जिसने देवताओं को परेशान किया। मां दुर्गा ने 9 दिनों की लड़ाई के बाद इस दानव को पराजित किया। इस विजय के उपलक्ष्य में इसे “विजया दशमी” कहा जाता है। यह दिन न केवल मां दुर्गा की शक्ति का प्रतीक है, बल्कि यह संदेश भी देता है कि सत्य और धर्म का विजय होता है।
दुसरी जो प्रचलित कथा है वो है
2. श्रीराम का लंका प्रस्थान
वाल्मीकि रामायण के अनुसार, भगवान राम ने इस दिन किष्किंधा से लंका के लिए प्रस्थान किया। रावण द्वारा सीता के अपहरण के बाद, भगवान राम ने अपनी सेना के साथ रावण से लड़ाई की। रावण का वध इस दिन हुआ, जिसे विजय के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को याद करने के लिए रामलीला का आयोजन भी किया जाता है, जहां राम और रावण के बीच की लड़ाई का मंचन होता है। साथ ही अलग अलग जगहों पर रावण कुम्भकरण और मेघनाथ के पुतलों का दहन भी होता है.
तीसरी जो कथा है वो है
3. पांडवों की शस्त्र पूजा
महाभारत के अनुसार, पांडवों ने इस दिन अज्ञातवास के बाद अपनी शस्त्रों की पूजा की थी। उन्होंने शमी वृक्ष में अपने अस्त्र–शस्त्र छुपाए थे और इस दिन उन्हें पुनः प्राप्त किया। यह दिन पांडवों की विजय की शुरुआत का प्रतीक है और इसे शक्ति और साहस के पुनः जागरण के रूप में मनाया जाता है।
चौथी जो कथा है वो है
4. सती का अग्निदाह
इस दिन देवी सती ने अपने पति भगवान शिव के अपमान से दुखी होकर अग्नि में आत्मदाह किया था। यह घटना देवी की शक्ति और आत्मबलिदान का प्रतीक है। इस कारण, दशहरा का पर्व श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक भी है, जिसमें भक्त देवी सती की पुण्य आत्मा को सम्मानित करते हैं।
दशहरा मनाने का पांचवा जो वजह है वो है
5. वर्षा ऋतु की समाप्ति
दशहरा के दिन से वर्षा ऋतु समाप्त होती है और शीत ऋतु का आगमन होता है। यह समय कृषि कार्य के लिए उपयुक्त होता है। किसानों के लिए यह समय फसल की तैयारी और बुवाई का होता है। इस प्रकार, दशहरा केवल धार्मिक महत्व का नहीं, बल्कि कृषि और सामाजिक महत्व का भी प्रतीक है।
दशहरा का पर्व न केवल धार्मिक और पौराणिक महत्व रखता है, बल्कि यह संस्कृति, परंपरा और सामाजिक मूल्य के संरक्षण का भी एक माध्यम है। यह पर्व मानवता के लिए एक प्रेरणा है, जो हमें सिखाता है कि बुराई पर अच्छाई की विजय होती है। तो इस प्रकार हमने दशहरा मनाने के वो पांच वजहों से आपको अवगत कराया..
आपको इनमें से कौन कौन से वजहों के बारे में पहले से पता था कमेन्ट करके हमें जरुर बताएं.