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जानिए, फिल्मों को A,B और C ग्रेडिंग कैसे मिलती है

Bihari News

फिल्मों के लेकर हम सभी के मन में एक क्योरिसिटी होती है कि फिल्में बनती कैसे हैं. किसी भी फिल्म के बनने में इतने दिन कैसे लग जाते हैं. फिर जब फिल्में सुट होती है तो इसे एडिट कैसे किया जाता है. फिल्मों को लेकर आम लोगों के मन में कई तरह के विचार आते रहते हैं. ऐसे में हम सभी लोगों ने एक बात जरूर सुनी होगी कि फिल्मों को भी ग्रेड दिया जाता है. जैसे की A,B और C के रूप में उसको ग्रेड दिया जाता है. इसी ग्रेड के आधार पर यह तय भी किया जाता है कि यह फिल्म किस तरह की है. हालांकि कई बार यह भी देखा गया है कि B ग्रेड की फिल्मों में बड़े बड़े अभिनेता भी काम करते हुए दिखाई दिए हैं. ऐसे में आज हम जानेंगे कि फिल्मों को ग्रेडिंग मिलती कैसे है. उन्हें किन किन मापदंडों से होकर गुजरना पड़ता है.

तो आइए सबसे पहले बात कर लेते हैं A ग्रेड की फिल्मों के बारे में- इस तरह की फिल्मों में बड़े स्टार को मोटी फीस दी जाती है. इस तरह की फिल्मों में आपको महंगे सेट देखने को मिलेंगे. महंगे कपड़े दिख जाएंगे. बड़े नामी संगीतकार मिल जाएँगे. इसके साथ ही मंहगे कैमरे का इन फिल्मों में इस्तेमाल आप देख सकते हैं. सबसे अहम बात कि इन फिल्मों को आप अपनी फैमली के साथ देख सकते हैं. इस ग्रेड की फिल्में देश के ज्यादातर सिनेमाघरों में रिलीज होती है. यानी की ए ग्रेड की फिल्मों में सबसे ज्यादा पैसे खर्च होते हैं.

अब बात कर लेते हैं B ग्रेड की फिल्मों के बारे मेंः- B ग्रेड की फिल्मों में A ग्रेड की तरफ स्टार कास्ट नहीं किये जाते हैं. यानी कि अभिनेता अभिनेत्री कोई पॉपुलर फेस नहीं होता है. इस फिल्म का वजट कम होता है. यानी कि इस तरह की फिल्मों में सेट डिजाइन से लेकर, कपड़े और तकनीक में काफी अंतर होता है. इस तरह की फिल्मों में एक बात यह भी होती है कि इसमें स्क्रिप्ट कुछ खास नहीं होती है. इस तरह की फिल्मों में आपको अश्लीलता झलक जाएगी. इस तरह की फिल्मों में देसी शब्द का इस्तेमाल किया जाता है. इतना ही नहीं इस तरह की फिल्मों में आपको देसी कहानी देसी कलाकार भी मिल जाएंगे. इसका यह मतलब नहीं होता है कि ये फिल्में अच्छी नहीं होती है अच्छी होती है लेकिन इसका हर पक्ष बेहतर नहीं होता है. इस ग्रेड की फिल्मों के पोस्टर पर आपको अश्लीलता भरी तस्वरें देखने को मिल जाएगी. इसीलिए कहा जाता है कि इस तरह की फिल्में छोटे शहरों में रिलीज होती है.

C ग्रेड की फिल्मों की वजट B ग्रेड की फिल्मों से भी कम होता है. हो सकता है कि इसमें काम करने वाले कलाकारों को आप पहचाने भी नहीं. इतना ही नहीं कई बार तो इस तरह की स्थिति होती है कि फिल्मों की कहानी ही समझ में नहीं आती है. ऐसे में यह कहा जाता है कि इस तरह की फिल्में B ग्रेड से भी छोटी है. फिल्मों में उसकी ग्रेडिंग उसके समय के हिसाब से भी देखा जाता है. जैसे कि ए ग्रेड की फिल्में दो घंटे या फिर दो घंटे से ज्यादा का समय लेती है. वहीं अगर हम B ग्रेड की फिल्मों की बात करें तो इसका साइज लगभग 70 से 80 मिनट की होती है. वहीं अगर हम सी ग्रेड की फिल्मों की बात करें तो इस तरह की फिल्में 45 मिनट तक की होती है. ऐसे में किसी भी फिल्म के ग्रेडिंग को अगर हम देंखे तो सबसे पहले उसका वजट, उसके बाद उसकी स्क्रिप्ट फिर उसमें काम करने वाले कलाकार ये सभी मिलकर उस फिल्म को एक बेहतर ग्रेडिंग तक पहुंचाते हैं. ऐसे में इन सब के बीच में अश्लीलता भी सामने आती है. जो कही न कही उस फिल्म की ग्रेडिंग को दर्ज करने में एक भूमिका निभाती है.

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