Placeholder canvas

तेजस्वी का प्लान धरा का धरा रह गया, ओवैसी निकल गए आगे

Bihari News

बिहार में जारी सियासी घमासान के बीच में अब लगने लगा है कि बिहार में चुनाव होने वाला है. नेताओं के बयान के बाद से तो यह साफ साफ प्रतित होने लगा है कि बिहार में चुनाव होने वाला है. इन सब के बीच में एक बात है जो सभी लोग मान रहे हैं कि ओवैशी के बिहार में आने से महागठबंधन को नुकसान हो सकता है. यह बात लगभग लोग मान रहे हैं.लेकिन ओवैसी ने जिस तरह से अपना पैर पसारना शुरू कर दिया है उससे महागठबंधन के लगभग साथियों को परेशानी होने लगी है. पिछले दिनों ओवैसी की पार्टी के तरफ से जारी बयान में उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर पार्टी बिहार में सक्रिय है. और पार्टी बिहार में सिमांचल को छोड़कर प्रदेश के अन्य जिलों में अपना पैर पसारना चाह रही है. अगर हम बिहार के अन्य जिलों की बात करें तो मुंगेर, भागलपुर, कटिहार, बेगूसराय और चंपारण में ओवैसी की पार्टी अपना पांव पसारना चाह रही है. बता दें कि इसको लेकर नेताओं ने अपनी तैयारी शुरू कर दी है.

अगर हम लोकसभा चुनाव 2019 को देखें तो बिहार की 40 सीटों में से 39 सीटों पर NDA का कब्जा हुआ था लेकिन बाद के समय में जदयू ने NDA से अपना नाता तोड़ लिया है. जिसके बाद बीजेपी के सामने लोकसभा चुनाव में तैयारियों को लेकर परेशानी बढ़ गई है.

अब जब जदयू महागठबंधन का हिस्सा बन गई है तो ऐसे में अब महागठबंधन अपने हिसाब से लोकसभा चुनाव की तैयारी करेगी. बता दें कि महागठबंधन में 7 राजनीतिक पार्टियां है जो साझेदार हैं. लेकिन इन सभी को अकेले ओवैसी की पार्टी परेशानी में डालने वाली है. AIMIM के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरुल इमाम ने जैसे ही लोकसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया उसके बाद से महागठबंधन में सुगबुगाहट तेज हो गई है. क्योंकि अब तक यही माना जाता था कि MY समीकरण पर कांग्रेस और राजद का हाथ है लेकिन बिहार में जब से AIMIM की एंट्री हुई है उसने मुसलमानों को साधने में किसी तरह कि कोई भी कसर नहीं छोड़ी है ऐसे में कहा जा रहा है कि अगर मुसलमान वोट राजद से छिटकता है इसका मतलब हुआ कि वह महागठबंधन को नुकसान करने वाला है. जिसका फायदा बीजेपी को आगामी लोकसभा चुनाव में मिलता दिख रहा है.

जब जदयू NDA से अलग हुई थी उस समय यह कहा जा रहा था कि महागठबंधन और भी मजबूत हो रही है. ऐसे में महागठबंधन के नेताओं को यह लगने लगा था कि आगामी चुनाव में उन्हें ज्यादा परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा लेकिन ओवैसी की एंट्री ने एक बार फिर से उन्हें परेशानी में डाल दिया है. दरअसल 2020 के विधानसभा चुनाव में ओवैसी की पार्टी 5 सीटों पर चुनाव जीतने में कामयाव हो गई थी लेकिन बाद के समय में उनके चार विधायक राजद के साथ चले गए जिसका नतीजा हुआ कि राजद सबसे बड़ी पार्टी बन गए. लेकिन राजद ने जिस डर से उन विधायकों को अपने में मिलाया था वह चुनाव के समय फिर से वही डर बना हुआ है कि सिमांचल के इलाके में अगर ओवैसी का जादू चलता है तो उन्हें फिर से परेशानी हो सकती है. खैर अव ओवैसी सीमांचल से आगे का सोंच रहे हैं. बताया तो यह भी जा रहा है कि सीमांचल इलाके में चार लोकसभा का क्षेत्र आता है जिसमें 24 विधानसभा का क्षेत्र आता है. पिछले विधानसभा चुनाव में AIMIM ने 5 सीटों पर अपनी जीत पक्की कि थी. अगर हम पिछले कुछ महीनों में बिहार में विधानसभा उप चुनाव की स्थिति को देखें तो गोपालगंज और कुढनी दो विधानसभा उपचुनाव में AIMIM का प्रदर्शन बेहतर रहा है. जिसका नतीजा रहा है कि इन सीटों पर बीजेपी का दवदवा देखने को मिला है. बता दें कि AIMIM मुंगेर, भागलपुर, कटिहार, बेगूसराय, गया और पूर्वीपश्चिमी चंपारण में अपना पांव पसार रही है. साथ ही ओवैसी की पार्टी यह भी मान रही है कि वह किसी भी धर्म समुदाय के लोगों को चुनाव मैदान में उतारें. हालांकि कितनी सीटों पर चुनाव लड़ना चाहते हैं यह उन्होंने कंफर्म नहीं किया है.

यही वह फैक्टर है जिससे यह कहा जा रहा है कि आने वाले दिनों में महागठबंधन को परेशानी बढ़ सकती है. ऐसे में अब एक नए समीकरण के साथ महागठबंधन को चुनाव मैदान में आना होगा. ताकि वह AIMIM और BJP को मात दे सके.

Leave a Comment