Air Cooler: गर्मियों का मौसम आ चुका है और सूरज अब तमतमाने लगा है। ऐसे में पंखे की हवा अब किसी काम की नहीं लगती। ना चैन से नींद आती है और ना ही आराम का एहसास होता है। इसी वजह से बहुत से लोग इस वक्त कूलर खरीदने की प्लानिंग कर रहे हैं। लेकिन सवाल ये उठता है कि बाजार में मिलने वाले अलग–अलग तरह के कूलरों में से कौन–सा कूलर लेना सही रहेगा? प्लास्टिक का कूलर या लोहे का कूलर?
इस सवाल का जवाब जानना जरूरी है, क्योंकि अगर जानकारी सही नहीं हुई तो गर्मी से राहत की जगह और झंझट मिल सकता है। तो चलिए, आज जानते हैं – दोनों कूलरों के फायदे, नुकसान और ये कि आपके लिए कौन–सा कूलर सबसे बेहतर रहेगा।
1. आपके घर की जगह कितनी है?
कूलर खरीदते समय सबसे पहली बात जो आपको देखनी चाहिए वो है – आपके कमरे की साइज और खिड़की की व्यवस्था।
अगर आपके कमरे में खिड़की है और आप कूलर को बाहर की तरफ फिट कर सकते हैं, तो आपको लोहे का कूलर लेना चाहिए। इसकी हवा बाहर से आती है, जिससे कमरे का तापमान तेजी से गिरता है। लोहे के कूलर की फैन मोटर भी बड़ी होती है, जिससे इसकी कूलिंग क्षमता ज़्यादा होती है।
वहीं दूसरी ओर, अगर आपके कमरे में खिड़की नहीं है या जगह बहुत कम है, तो प्लास्टिक का कूलर आपके लिए बेहतर रहेगा। ये आकार में छोटा होता है, आसानी से कहीं भी फिट किया जा सकता है और हल्का होने के कारण इसे इधर–उधर शिफ्ट करना भी आसान होता है।
2. बजट पर डालें एक नजर
अब बात करते हैं पैसे की – क्योंकि हर खरीदारी बजट के दायरे में ही होती है।
लोहे का कूलर आमतौर पर थोड़ा महंगा होता है। इसका साइज बड़ा होता है, मोटर हैवी होती है और इसके पार्ट्स भी बड़े होते हैं। इसलिए अगर आपका बजट थोड़ा अधिक है और आप ज्यादा ठंडक चाहते हैं, तो ये एक बेहतरीन ऑप्शन हो सकता है।
दूसरी तरफ, प्लास्टिक बॉडी वाले कूलर सस्ते में मिल जाते हैं। बाज़ार में आपको 3,000 से लेकर 10,000 रुपये तक के अच्छे प्लास्टिक कूलर मिल जाएंगे। हालांकि, आजकल के कुछ एडवांस प्लास्टिक कूलर – जैसे कि रिमोट कंट्रोल वाले, डस्ट फिल्टर वाले, और इनवर्टर फ्रेंडली मॉडल – महंगे भी हो सकते हैं।
3. कौन ज्यादा टिकेगा? – लाइफ और मेंटेनेंस
अब बात करते हैं durability की यानी टिकाऊपन की।
लोहे के कूलर में अक्सर जंग लगने की समस्या होती है, खासतौर पर अगर आप उसे समय–समय पर साफ नहीं करते या बारिश में बाहर छोड़ देते हैं। इसके अलावा अगर वायरिंग पुरानी हो जाए तो करंट आने का खतरा भी रहता है।
वहीं प्लास्टिक का कूलर जंग नहीं खाता और इलेक्ट्रिक सेफ्टी भी अच्छी होती है। हां, अगर इसे गिरा दिया जाए या धूप में छोड़ दिया जाए तो इसकी बॉडी में दरारें आ सकती हैं। लेकिन सही से इस्तेमाल किया जाए तो इसकी लाइफ ज्यादा होती है।
4. कौन देगा ज्यादा ठंडक?
लोहे का कूलर हवा फेंकने में दमदार होता है। इसकी मोटर ज्यादा पावरफुल होती है, जिससे ये हवा दूर तक पहुंचाता है। खासतौर पर जब इसे खिड़की में फिट किया जाए, तो बाहर की ठंडी हवा खींचकर अंदर जल्दी से तापमान कम कर देता है।
प्लास्टिक कूलर की ठंडक थोड़ी सीमित होती है। ये पर्सनल स्पेस के लिए बेहतर है – जैसे कि स्टडी रूम, बेडरूम या ऑफिस कैबिन। लेकिन बड़े हॉल के लिए ये थोड़ी कमज़ोर पड़ सकता है।
कौन–सा कूलर आपके लिए बेस्ट?
- अगर आपके कमरे में खिड़की है, बजट अच्छा है और ठंडक चाहिए भरपूर – तो लोहे का कूलर चुनें।
- अगर जगह कम है, बजट सीमित है और सेफ्टी ज़्यादा जरूरी है – तो प्लास्टिक का कूलर बेहतर रहेगा।
दोनों कूलरों के अपने–अपने फायदे हैं, बस जरूरत और समझदारी से चुनाव करें – ताकि गर्मी से मिले सुकून और चैन।
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