DGP of Bihar: डीजीपी आलोक राज ने पद संभालते ही थानेदारों की लगायी क्लास, पुलिस अधिकारियों को दिया नया काम, पहले निपटाए जायेंगे पेंडिंग केस
जोश में नज़र आए डीजीपी
DGP of Bihar: बिहार के नए डीजीपी अलोक राज पद संभालते ही जोश में आ गए हैं. नया कार्यभार मिलते ही वह काम को लेकर और भी ज़्यादा संजीदा हो गए हैं. नए हौसलों के साथ उन्होंने काम को तवज्जो देना शुरू कर दिया है. 1989 बैच के जाने माने आईपीएस अधिकारी आलोक राज बिहार के नए डीजीपी (Director General of Police) बन गए हैं. शुक्रवार की शाम अलोक राज ने आर.एस भट्टी से चार्ज ले लिया है. आर.एस भट्टी को CISF का डीजी बना दिया गया है. राज्य के डीजीपी बनने से पूर्व आलोक राज ने बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल की पुलिस विभाग में लगभग 35 वर्षों तक काम किया था. उन्होंने अपनी पहली ही पोस्टिंग में 4 कुख्यात अपराधियों को धर दबोचा था. उनकी इस बहादुरी के लिए उन्हें पुलिस वीरता पदक से सम्मानित भी किया गया था. अविभाजित बिहार में वह रांची, गुमला, पश्चिमी सिंहभूम, देवघर, हजारीबाग, सीतामढ़ी और बेगूसराय जिले के एसपी भी रह चुके हैं. उत्कृष्ट पुलिस करियर के लिए आलोक राज को तीन बार राष्ट्रपति से पदक भी मिल चुका है. बिहार के नए डीजीपी अलोक राज वर्ष 2004 से 2011 तक केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) में कार्यरत रहें, जहां सात साल में चार बार उन्हें सीआरपीएफ डीजी के प्रशंसा डिस्क से सम्मानित किया गया था. पद के साथ ज़िम्मेदारी मिलते ही डीजीपी ने बिहार के पुलिस अफ़सरों को ‘स‘ शब्द से जुड़े 6 मूल मंत्र दिए हैं. साथ ही में इस पर अमल करने की बात भी कही. ‘स‘ अक्षर से डीजीपी का मतलब था, समय, सार्थक, संवेदनशीलता, सख्ती, सत्यनिष्ठा व स्पीडी ट्रायल. इन तमाम चीजों को ध्यान में रखते हुए पुलिस विभाग को काम करना है.
डीएसपी ने बुलाई बैठक
डीजीपी ने पुलिस विभाग के थानेदारों से लेकर बड़े अधिकारियों तक को सख्ती के साथ नियमों का पालन करने के लिए कहा है. साथ ही में सबको नया काम भी दे दिया है. पुलिस अधिकारी भी नियमों का पालन करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. डीएसपी कृष्ण मुरारी प्रसाद विधि व्यवस्था (order of law) ने बीते रविवार को एक लम्बी बैठक बुलाई जिसमें एहम मुद्दा ‘पेंडिंग केस‘ था. यह बैठक 3 घंटे से भी ज़्यादा देर तक चली. इस बैठक में बुद्धा कॉलोनी और कोतवाली थानाध्यक्ष सहित अन्य पुलिस अफ़सर भी मौजूद थे. डीएसपी ने पेंडिंग केस के लिए सबको डांट भी लगायी थी. डीएसपी ने सभी अधिकारियों को सख्ती से कहा है कि केस के निष्पादन और आने वाले त्योहारों को मद्देनज़र रखते हुए अभी से प्लानिंग शुरू कर लें. बीते 5 सालों में त्योहारों के दौरान जितने भी हादसे हुए हैं तथा और जो भी घटनाएं हुई हैं, सभी की जांच रिपोर्ट बनानी हैं. इतना ही नहीं, वारंट, कुर्की और गिरफ़्तारी पर खासतौर से ध्यान दें. वक़्त पर काम ना किये जाने पर अधिकारियों पर सख्त से सख्त कार्यवाई की जायेगी इसलिए लापरवाही बिल्कुल भी ना करें. साथ ही में संजीदगी के साथ नियमों का पालन करते हुए अपने कार्य को करें.
200 पेंडिंग केस निपटाए गए
डीएसपी कृष्ण मुरारी प्रसाद के हिसाब से बुद्धा कॉलोनी व कोतवाली थाने में क़रीब 3 हज़ार केस पेंडिंग है. अधिकारियों द्वारा लगातार केस पर काम करने से अब तक 200 से भी अधिक पेंडिंग केस की गुत्थी सुलझी जा चुकी है. बाक़ी अभी 1800 कोतवाली और 1000 के क़रीब बुद्धा कॉलोनी थाने में केस बचे हुए हैं. बचे हुए पेंडिंग केस को भी जल्द ही ख़तम कर दिया जाएगा.