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अमित शाह की रैली के बाद नीतीश-तेजस्वी से ज्यादा इनकी बढ़ी परेशानी

Bihari News

पिछले दिनों देश के गृह मंत्री अमित शाह बिहार के दौरे पर थे. रामनवमी की घटना के बाद अमित शाह को सासाराम की रैली को रद्द करना पड़ा था. हालांकि उन्होंने नवादा की रैली को संबोधित किया. नवादा की रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने 2024 के रणनीती को भी बताया है. इतना ही नहीं उन्होंने यह भी बताया दिया कि नीतीश कुमार के लिए अब NDA में दरवाजा हमेशा के लिए बंद हो गया है. उन्होंने कहा कि जदयू अब कभी भी एनडीए का साथी नहीं होगा. इतना ही नहीं अमित शाह ने इशारों इशारों में यह भी कह दिया कि अब चिराग पासवान, पशुपति कुमार पारस और उपेंद्र कुशवाहा को लेकर भी उन्होंने संकेत दे दिया है.

नवादा में जनसभा को संबोधित करते हुए अमित शाह ने कहा है कि 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी 40 सीटों पर जीत दर्ज करेगी. इस बयान के जो मायने निकाले जा रहे हैं उसमें यही कहा जा रहा है कि आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी. इतना ही नहीं उन्होंने यह भी कह दिया कि नवादा से बीजेपी चुनाव लड़ेगी आपको बता दें कि नवादा से चंदन सिंह सांसद हैं और चंदन सिंह पशुपति कुमार पारस की पार्टी में हैं. ऐसे में राजनीतिक पंडित यह अनुमान लगा रहे हैं कि आने वाले चुनाव में बीजेपी बिहार में किसी भी पार्टी के साथ गठबंधन करने के इरादे में नहीं दिख रही है. अगर बीजेपी लोकसभा चुनाव में एकला चलो के नारे के साथ आगे बढ़ती है तो बिहार की तीन ऐसी पार्टियां हैं जिसके सामने सबसे बड़ी समस्या यह उत्पन्न हो जाएगी कि अगर बीजेपी उन्हें अपने गठबंधन के साथ नहीं रखती है तो इन पार्टियों का क्या प्लान होगा.

बिहार NDA से नीतीश कुमार के अलग होने के बाद बीजेपी साथी की तलाश कर रही है. लेकिन गृह मंत्री अमित शाह के हालिया बयान के बाद यह लगने लगा कि बीजेपी अकेले चुनाव मैदान में उतरने की पूरी तैयारी में हैं. लेकिन बिहार एनडीए के पुराने साथी पशुपति कुमार पारस की पार्टी को बड़ा झटका लगने वाला है. वहीं उपेंद्र कुशवाहा के बारे में भी यही कहा जा रहा है कि जदयू से अलग होने के बाद वे अपनी पार्टी का गठबंधन 2024 लोकसभा चुनाव में एनडीए के साथ कर सकते हैं. बता दें कि कुशवाहा का बीजेपी के बड़े नेताओं के साथ सीधा संबंध है. जदयू से अलग होने से पहले उन्होंने संकेत भी दिए थे. जिसमें वे बीजेपी के कई नेताओं के साथ बात करते हुए दिखाई दिए थे. उपेंद्र कुशवाहा और चिराग पासवान ऐसे नेता है जो कि बिहार में किसी भी गठबंधन का हिस्सा नहीं हैं न तो एनडीए का हिस्सा हैं और न ही महागठबंधन का. हालांकि इन दोनों ही नेताओं का सॉफ्ट कॉर्नर रहा है बीजेपी. चिराग पासवान ने तो 2020 के चुनाव में अपने आप को मोदी का हनुमान तक बता दिया था. लेकिन इस बार 2024 के विधानसभा चुनाव में जिस तरह की भाषा अमित शाह बोल रहे हैं उससे तो यही लगने लगा है कि बीजेपी बिहार में अकेले मैदान में उतरने की तैयारी में हैं. ऐसे में अब सोचने वाली बात यह होगी कि आखिर छोटी पार्टियां जिन्हें उम्मीद था कि आने वाले समय में वह एनडीए का हिस्सा बन सकते हैं उनका क्या होगा.

बिहार में एक नेता और हैं VIP प्रमुख मुकेश सहनी. मुकेश सहनी सहनी समाज के वोट बैंक का प्रतिनिधित्व करते हैं. वे मल्लाह के उत्थान की बात करते हैं. यही कारण हैं कि इस समाज के लोग उन्हें अपना नेता मानते हैं. बिहार की सियासत में जब उनकी ऐंट्री हुई थी उस समय वे मछली भात वाली पार्टी के रूप में जाने जाते थे समय के साथ उन्होंने अपने आप को बदला और आज मल्लाह और गरीबों गुरवों के लिए ल़ड़़ाई लड़ने वाली पार्टी के रूप में जाने जाते हैं. इनका भी शुरुआती राजनीति बीजेपी के साथ मिलकर हुई थी. लेकिन इस बार इन्हें भी भरोसा है कि वे एनडीए के साथ चुनाव मैदान में उतर सकते हैं. पिछले दिनों मुकेश सहनी को केंद्रीय सुरक्षा मुहैया करवाया गया था. ऐसे में कहा जा रहा था कि बीजेपी बिहार में साथियों की संख्या बढ़ाना चाह रही है लेकिन अब केंद्रीय गृह मंत्री का जो बयान सामने आ रहा है उससे यह लगने लगा है कि छोटी पार्टियों को बीजेपी छोड़ना चाह रही है. अब इन छोटी पार्टियों के सामने क्या रास्ता बचता है तो लोगों का कहना है कि वे एक अलग गठबंधन बना कर अगर चुनाव मैदान में उतरते हैं तो महागठबंधन और एनडीए के खिलाफ बिगुल फुंक सकते हैं. हालांकि अभी चुनाव में समय है उससे पहले कई बड़े उठा पटक देखने को मिलने वाला है. अब देखना होगा कि इन छोटी पार्टियां आगे क्या करती है.

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