वाल्मीकिनगर का पौराणिक महत्व है। कहा जाता है कि यहां बने आश्रम में महर्षि वाल्मीकि रहते थे। यहां पर रामायण के रचयिता महर्षि वाल्मीकि ने अपना काफी समय बिताया। भगवान शिव का मंदिर यहां प्रमुख धार्मिक स्थल है। बाघ संरक्षण के लिए बना यहां का राष्ट्रीय उद्यान पर्यटकों के आकर्षण केंद्र है। वर्ष 2014 में बीजेपी के सतीशचंद्र दुबे यहां से जीतकर लोकसभा पहुंचे। BJP के टिकट पर इस सीट से जीते सतीश चंद्र दुबे विधायक भी रह चुके हैं. 2005 में सतीश नरकटियागंज विधानसभा सीट से चुनाव जीतकर विधायक बने थे. वह लोकसभा में श्रम मामलों पर स्थायी समिति के सदस्य भी रह चुके हैं।
वाल्मीकिनगर सीट 2008 में परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई। इससे पहले यह सीट बगहा के नाम से जानी जाती थी। 2008 के बाद इस सीट पर हुए दो चुनावों में एक बार जदयू और एक बार भाजपा ने जीत का दर्ज की। एनडीए में इस बार हुई सीट शेयरिंग के बाद यह सीट जदयू के खाते में आई है और पार्टी ने यहां से पूर्व सांसद वैद्यनाथ प्रसाद महतो को टिकट दिया है। कांग्रेस ने यह से शाश्वत केदार को मैदान में उतारा है।इनके दादा स्व. केदार पांडेय बिहार के मुख्यमंत्री रहे हैं। साथ ही केंद्र में रेलमंत्री भी रह चुके हैं. इनके पिता स्व. मनोज पांडेय सांसद रह चुके हैं।
इस सीट पर छठे चरण में 12 मई को वोटिंग होनी है। एनडीए और महागठबंधन के प्रत्याशियों के बीच सीधा मुकाबला है। इमरजेंसी से पहले बगहा लोकसभा सीट पर हुए 5 आम चुनावों में हर बार कांग्रेस ने फतह की है। 1952 से 1971 तक भोला राउत यहां से सांसद रहे। आपातकाल के बाद 1977 में हुए पहले चुनाव में जगन्नाथ प्रसाद ने कांग्रेस के किले में सेंध लगाई और भोला राउत को हराकर पहली बार दिल्ली पहुंचे। इसके बाद 1980 और 1984 में फिर कांग्रेस के टिकट पर भोला राउत जीते। 1984 के बाद इस सीट पर हुए 8 आम चुनावों में एक बार भी कांग्रेस को जीत नसीब नहीं हो सका है। इस सीट पर कांग्रेस के भोला राउत के बाद महेंद्र बैठा का भी दबदबा रहा है। वे यहां से 5 बार सांसद चुने गए हैं। 1989 से लेकर 1999 तक इस सीट पर हुए 5 लोकसभा चुनावों में महेंद्र बैठा ने जीत दर्ज की है। दो बार जनता दल, दो बार समता पार्टी और एक बार जदयू के टिकट पर लोकसभा पहुंचे।
वाल्मीकि नगर लोकसभा सीट पर पिछले 20 सालों से एनडीए का कब्जा है। 1999 से लेकर 2014 तक हुए लोकसभा चुनावों में तीन बार जदयू और एक भाजपा ने जीत का पहचम लहराया है। 1999, 2004 और 2009 में जीत जदयू के हाथ लगी। जबकि 2014 में मोदी लहर के बीच इस सीट पर भाजपा का खाता खुला। वाल्मीकि नगर लोकसभा सीट पर एनडीए प्रत्याशी वैद्यनाथ प्रसाद महतो और महागठबंधन उम्मीदवार शाश्वत केदार के बीच मुख्य मुकाबला है। एनडीए के लिए इस सीट के महत्व का अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि प्रधानमंत्री मोदी भी यहां रैली कर चुके हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लगातार चार दिनों तक चार रैली की। पिछले बार चुनाव जीते सतीश चंद्र दूबे का टिकट कटने से ब्राह्मण वोटों के बंटने की संभावना है। पूरे चम्पारण में ब्राह्मण मतदाताओं की संख्या भी बहुत है।
इस लोकसभा क्षेत्र में मतदाताओं की संख्या 12 लाख 75 हजार 653 है। इनमें 6 लाख 90 हजार 155 पुरुष जबकि 5 लाख 85 हजार 498 महिला वोटर्स हैं। इस लोकसभा क्षेत्र के तहत विधानसभा की 6 सीटें आती हैं। वाल्मीकि नगर, रामनगर, नरकटियागंज, बगहा, लौरिया और सिकटा। 2015 में हुए विधानसभा चुनाव में 3 सीट बीजेपी, एक–एक सीट जदयू और कांग्रेस ने जीती थी। एक सीट निर्दलीय उम्मीदवार के खाते में गई थी।वाल्मीकि नगर सीट से 2014 के चुनाव में बीजेपी के सतीश चंद्र दुबे ने 3,64,013 वोट हासिल कर कांग्रेस के पूर्णमासी राम को 1 लाख 18 हजार वोटों से हराया. तब तीसरे नंबर पर रहे थे जेडीयू के वैद्यनाथ प्रसाद महतो जिन्हें 81,612 वोट मिले।