bihar cabinet expansion: BJP के कोटे से सात नए मंत्रियों की एंट्री, विधानसभा चुनाव से पहले इन जातियों को मिला तवज्जोह

बिहार में नीतीश कुमार की सरकार में हाल ही में एक महत्वपूर्ण कैबिनेट विस्तार हुआ है। इस विस्तार में भारतीय जनता पार्टी (भा..पा.) के कोटे से सात नए मंत्रियों को शपथ दिलाई गई। ये मंत्रिमंडल विस्तार बिहार विधानसभा चुनाव से महज छह महीने पहले हुआ है, और इसे राजनीतिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इन मंत्रियों में से कुछ पहले भी मंत्री रह चुके हैं, जबकि कुछ को पहली बार यह मौका मिला है। इस कैबिनेट विस्तार में एक दिलचस्प पहलू यह है कि सभी मंत्री बीजेपी के कोटे से ही चुने गए हैं, जो राज्य की राजनीति में खासा चर्चा का विषय बना हुआ है। कैबिनेट में शामिल हुए नए मंत्रियों में दरभंगा नगर से संजय सरावगी, नालंदा के बिहार शरीफ के विधायक डॉ. सुनील कुमार, दरभंगा जिले के जाले विधानसभा क्षेत्र के विधायक जीवेश कुमार मिश्रा, मुजफ्फरपुर के साहिबगंज विधानसभा क्षेत्र के राजू कुमार सिंह, सीतामढ़ी जिले के रीगा विधानसभा क्षेत्र के मोतीलाल प्रसाद, अररिया के सिकटी विधानसभा क्षेत्र के विजय कुमार मंडल और सारण जिले के अमनौर विधानसभा क्षेत्र के विधायक कृष्ण कुमार मंटू शामिल हैं। इन सभी को मंत्री पद की शपथ दिलाई गई है।

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इन सात मंत्रियों में से दो मंत्री पहले भी राज्य सरकार में विभिन्न पदों पर रह चुके हैं। जीवेश कुमार मिश्रा को एक बार फिर मंत्री पद दिया गया है, हालांकि उनका राजनीतिक सफर काफी दिलचस्प रहा है। वे पहली बार 2020 में नीतीश सरकार में श्रम संसाधन मंत्री बने थे, लेकिन अगस्त 2022 में जब नीतीश कुमार ने महागठबंधन में शामिल होने का निर्णय लिया, तो वे मंत्री पद से हट गए थे। अब, नीतीश के एनडीए से जुड़ने के बाद उन्हें एक बार फिर मंत्री बनने का मौका मिला है। वहीं, विजय कुमार मंडल की बात करें तो उनका राजनीतिक सफर 2000 में निर्दलीय जीतने के बाद शुरू हुआ था। उस समय लालू यादव ने उन्हें राज्य मंत्री बनाया था। बाद में जब नीतीश सरकार बनी, तो उन्हें मंत्री बनने का मौका नहीं मिला, लेकिन अब एक बार फिर उन्हें मंत्री पद सौंपा गया है। बाकी के पांच मंत्री पहली बार इस पद पर आसीन हुए हैं। इनमें संजय सरावगी का नाम प्रमुख है। वे 1995 से बीजेपी के साथ जुड़े हुए हैं और दरभंगा नगर विधानसभा क्षेत्र से लगातार विधायक बने हैं। अब उन्हें पार्टी ने मंत्री बनने का अवसर दिया है। इसके अलावा, राजू कुमार सिंह, जो पहले लोजपा, जेडीयू, और बाद में बीजेपी के टिकट पर विधायक बने थे, उन्हें भी पहली बार मंत्री बनने का अवसर मिला है।

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मोतीलाल प्रसाद का नाम भी इस सूची में है। वे 1982 से बीजेपी के सदस्य रहे हैं और पहले भी विधायक रहे हैं। 2010 में वे बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीते थे, लेकिन 2015 में कांग्रेस से हार गए थे। 2020 में फिर से बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीतने के बाद, अब पार्टी ने उन्हें मंत्री पद से नवाजा है। कृष्ण कुमार मंटू का नाम भी इस सूची में शामिल है। वे कुर्मी जाति से आते हैं और उनके लिए यह मंत्री बनने का अवसर ऐतिहासिक है। मंटू ने पहले 2010 में जेडीयू के टिकट पर चुनाव जीता था, लेकिन 2015 में उन्हें बीजेपी ने हरा दिया था। अब, वे बीजेपी से जुड़कर फिर से चुनाव जीते और मंत्री पद के हकदार बने। अंत में, डॉ. सुनील कुमार का नाम आता है, जो नालंदा जिले के बिहार शरीफ विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं और कुशवाहा जाति से आते हैं। वे पहले भी जेडीयू के टिकट पर चुनाव जीत चुके थे, लेकिन 2013 में जब जेडीयू एनडीए से अलग हुआ, तो वे बीजेपी में शामिल हो गए। 2015 से लगातार बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीतने के बाद, अब उन्हें भी पहली बार मंत्री पद दिया गया है। इस विस्तार में जातीय समीकरण का भी ध्यान रखा गया है, और यह स्पष्ट रूप से दिखता है कि पार्टी ने विभिन्न जातीय समूहों और क्षेत्रों को प्रतिनिधित्व देने की कोशिश की है। बिहार में भी अक्सर जाति आधारित राजनीती देखने को मिलती है. इन सभी बदलावों के बीच यह देखना दिलचस्प होगा कि ये नए मंत्री किस तरह से राज्य की राजनीति में अपनी भूमिका निभाते हैं।

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