Bihar Land Survey 2024: जनता की संतुष्टि तक जारी रहेगा सर्वे, उपमुख्यमंत्री का बड़ा एलान

राज्य सरकार का एक बड़ा बयान

Bihar Land Survey 2024: बिहार में हो रहे ज़मीन सर्वे (land survey) को लेकर तरह तरह की आशंकाएं लोगों के ज़ेहन में घर कर रही हैं. लोगों में अजीब से होड़ मच गयी है. इस परिस्थिति को देखकर ज़मीन सर्वेक्षण के दौरान राज्य सरकार का एक बड़ा बयान सामने आया है. ज़मीन बंटवारे और अद्यतन कागज़ातों से सम्बंधित परेशानियों की वजह से लोगों को अंचल कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं. लोगों की भागमदौड़ी देखते हुए उपमुख्यमंत्री (Deputy Chief Minister) सम्राट चौधरी ने साफ़ शब्दों में यह कह दिया है कि जब तक लोग संतुष्ट नहीं हो जाते तब तक सर्वे का काम जारी रहेगा. सभी तरह के कागज़ात जब तक लोगों द्वारा उपलब्ध नहीं कराया जाता है, सर्वे तब तक कायम रहेगा. अभी तक ज़मीन सम्बंधित कागज़ातों को सर्वे कार्यालयों में ऑनलाइन या ऑफलाइन जमा करने की कोई तारीख निश्चित नहीं की गयी है और आगे भी कोई तारीख तय नहीं की जायेगी. ज़मीन सर्वे को करने का मकसद ज़मीन को लेकर हो रहे विवादों को ख़तम करना है. ना की ज़मीन विवाद को और बढ़ाने के लिए. उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने यह भी कहा कि राज्य के लोगों को यह बात समझनी चाहिए और परेशान होने की कोई आवश्यकता नहीं है. उपमुख्यमंत्री ने यह विश्वास भी दिलाया है कि ज़मीन सर्वे का कार्य जुलाई 2025 से पहले पूरा कर लिया जाएगा. उन्होंने ने बताया कि यह काम विधानसभा चुनाव से पहले किसी भी स्थिति में पूरा कर लिया जाएगा.

तनाव में गांव के लोग

असल में, ज़मीन सम्बंधित कार्यों की वजह से पूरे बिहार में फैली हुई कई तरह की भ्रांतियों के कारण गांव के लोग तनाव से ग्रसित है. ज़मीन सर्वे (land survey) की गुत्थी और उलझती ही जा रही है. बता दें कि 4 साल से पहले चरण में 20 जिलों के 89 अंचलों के 4927 मौजों व गांवो में ज़मीन सर्वेक्षण का कार्य चल रहा है. फिल्हाल, राज्य के कुल 45749 मौजों में से 38211 मौजों में सर्वे का कार्य शुरू किया गया है. शहरी, असर्वेक्षित, टोपोलैंड या फ़िर विवादित मौजों की संख्या 2611 है और इनका सर्वेक्षण बाद में किया जाएगा.

रैयतों की समस्या

ज़मीन सर्वेक्षण में रैयतों को बहुत सी समस्याओं का सामना भी करना पड़ रहा है. डिज़िटाईज़ेशन और ऑनलाइन काम करने के दौरान नाम, खाता, खेसरा, रकबा और लगान से जुड़ी ग़लती अभी तक पूरी तरह से नहीं ठीक हो पायी हैं. कुल 4.18 करोड़ जमाबंदी राज्य में मौजूद है जिसमें से अभी तक 9.65 लाख जमाबंदी ऑनलाइन नहीं हो पायी थी और ठीक करने में भी बहुत सी अनियमितताएं हुई थी. लगान रसीद अपडेट करने के लिए भी अंचलों में हड़कंप मची हुई है जबकि जिन 89 अंचलों के 4927 मौजों या गांवों में सर्वे का कार्य पहले से ही हो रहा है, उनमें विभाग द्वारा कितनी बार कहा जा चुका है कि म्युटेशन और लगान रसीद की मांग लोगों से नहीं की जायेगी. यहां तक कि राज्य की सभी 4.18 करोड़ जमाबंदियों को स्वैच्छिक आधार पर मोबाइल और आधार संख्या से जोड़ने वाला अभियान भी रफ़्तार नहीं पकड़ पाया है. ना जाने कितने सारे रिकार्ड्स की अभी तक स्कैनिंग भी नहीं हो पायी है. इनमें अंचल, अनुमंडल डीसीएलआर समेत जिला रिकॉर्ड रूम में पड़े 100 साल पुराने सभी प्रकार के लगभग 18 करोड़ रेवेन्यू रिकॉर्ड शामिल हैं. सभी तरह के रेवेन्यू रिकॉर्ड के डिज़िटाईज़ेशन और स्कैनिंग का काम निजी एजेंसी को दिया गया है जो कि अभी तक चल ही रहा है. इतना ही नहीं, 100 साल के पहले के खतियान (khatiyan) मौजूद होने से ज़मीन के मामले भी फंसे हुए है. जिला स्तरीय कार्यालयों में अपनी ज़मीन के दस्तावेज जांच कराने हेतु और खतियान की प्रति निकालने के लिए लोगों का जमावड़ा लगा हुआ है.

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