Bihar Land Survey 2024: ज़मीन सर्वे में कागजातों के अभाव में क्या करें? राजस्व विभाग ने बताया हल
16 तरह की प्रमुख समस्याएं
Bihar Land Survey 2024: बिहार में लम्बे समय से ज़मीन सर्वे का कार्य चल रहा है. ज़मीन सर्वे से सम्बंधित लगभग हर प्रकार की समस्याओं का समाधान करने के लिए राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग द्वारा गांव में शिविर का आयोजन भी किया गया, मगर इसके बावजूद भी लोगों को ज़मीन सर्वे के कार्य में परेशानियों से जूझना पड़ रहा है. लोगों को ज़मीन सर्वे के कार्य में अब 16 तरह की प्रमुख समस्याएं उत्पन्न होती नज़र आ रही है. इन समस्याओं के समाधान के लिए राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग द्वारा विस्तृत रूप से जवाब भी दे दिए जा चुके हैं. बीते मंगलवार की शाम को राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग द्वारा इन समस्याओं से सम्बंधित अधिसूचना आधिकारिक वेबसाइट पर जारी किया जा चुका है. राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री डॉ. दिलीप कुमार जायसवाल ने यह जानकारी दी है कि ज़मीन सर्वे में बहुत से लोगों के पास भू–अभिलेखों की कमी है. विभागीय मंत्री डॉ. दिलीप कुमार जायसवाल ने बताया कि कैडस्ट्रल सर्वे को हुए 100 साल और रिविजनल सर्वे को हुए 50 साल से भी ज़्यादा समय हो चुका है, जिस दौरान बाढ़, अगलगी तथा दीमक लग जाने से भारी संख्या में ज़मीन के कागज़ात नष्ट हो चुके हैं. ऐसे में लोगों के बीच इस बात का भय था कि कहीं कागज़ातों के अभाव में उनके हाथ से ज़मीन ना चला जाए. मंत्री ने कहा कि उन्होंने इस भय का खात्मा किया है.
ज़मीन सर्वे में निर्देश जारी
राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने यह बताया है कि ज़मीन सर्वे में सभी निर्देश बिहार विशेष सर्वेक्षण एवं बंदोबस्त नियमावली 2012 के लागू हुए तिथि से ही मान्य होंगे. उन्होंने यह भी बताया कि देश की आज़ादी के पहले वाली ज़मीन के सिलसिले में गैर–मजरूआ ज़मीन का हुकुमनामा प्रदान किया गया है, जिस पर ज़मींदारी की लगान रसीद तो है मगर इसकी कॉपी नहीं है. ऐसे में गैर–मजरूआ ज़मीन के हुकुमनामे के आधार पर 1 जनवरी साल 1946 के पूर्व से कटने वाली रसीद तथा दखल के आधार पर स्वामित्व का निर्धारण किया जाएगा. इसके अलावा सीएस खतियान में रैयती एवं आरएस खतियान में गैर–मजरूआ ज़मीन दाख़िल होने की स्थिति में प्रकाशित हुए खतियान में एंट्री के दौरान सक्षम प्राधिकार के स्तर से जारी हुए फ़ैसले के आधार पर ही निर्णय लिया जाएगा. यदि किसी रैयत की ओर से आपस में ही पंचनामा के आधार पर बंटवारा किया गया है और स्टाम्प पेपर पर ज़मीन के सभी हिस्सेदार के दस्तख़त मौजूद होने के बाद ही वह मान्य होगा. बता दें कि ऐसा तभी मुमकिन होगा जब उस ज़मीन पर सभी हिस्सेदार का शांतिपूर्ण कब्जा होगा.
ध्यान देने वाली बातें
भूमि सुधार विभाग द्वारा विस्तृत तौर पर दिशा निर्देश जारी किया गया है. इस दिशा निर्देश में यह बताया गया है कि यदि बिना साक्ष्य के कोई व्यक्ति किसी ज़मीन पर रह रहा है तो स्वामित्व की स्थिति को पुराने सर्वे के मुताबिक स्पष्ट किया जाएगा. वहीं, यदि किसी भू–खंड पर रैयत का शांतिपूर्वक दखल–कब्जा है और रैयत के पास कोई कागज़ात उपलब्ध नहीं है तो ऐसी स्थिति में खेसरा के चौहद्दीदारों का बयान बहुत महत्वपूर्ण माना जाएगा. राज्य में हो रहे ज़मीन सर्वे का कार्य मुख्य रूप से आरएस के आधार पर ही किया जाएगा. ज़मीन सर्वे के कार्य में बासगीत पर्चा वालों को विशेष लाभ दिया जाएगा. इतना ही नहीं, यदि किसी रैयत का रसीद अपडेट नहीं है तो भी उसका असर स्वामित्व पर नहीं पड़ेगा. इन सब में ध्यान देने वाली बात यह है कि रैयतों को वंशावली स्वहस्ताक्षरित कर के ही समर्पित करनी है.
Also read: bihar airport: बिहार में अब हर 200 KM पर होगा एक एयरपोर्ट! जानिये क्या है CM नीतीश का प्लान?