Bihar Land Survey Form: ज़मीन सर्वे फॉर्म में इन ग़लतियों को करने से बचें वरना एक ग़लती भी पड़ सकती है भारी
सर्वे फॉर्म में हो रहीं हैं ग़लती
Bihar Land Survey Form: इन दिनों बिहार में ज़मीन सर्वे (land survey) का कार्य तेज़ी से चल रहा है. ज़मीन सर्वे को लेकर सभी अंचल कार्यालयों और ग्राम–पंचायतों में शिविर लगाया जा रहा है और साथ में अभियान भी चलाया रहा है ताकि लोगों के मन में किसी भी तरह की शंका ना रहे. बावजूद इसके भी बिहार में हो रहे ज़मीन सर्वे में अधिकांश लोग ज़मीन सर्वे के फॉर्म (form) में ही अन्धाधुन ग़लतियां कर रहे हैं. शायद वें इस बात से बेख़बर है कि सर्वे फॉर्म में एक भी ग़लती उन्हीं पर भारी पड़ सकती है. ज़मीन सर्वे में ऑनलाइन व अंचलों में बने शिविरों में ऑफलाइन के माध्यम से अब तक 38 लाख़ से भी ज़्यादा रैयतों द्वारा दस्तावेज़ जमा किया जा चुका है. बता दें कि सर्वे फॉर्म में सबसे ज़्यादा ग़लतियां स्वघोषणा प्रपत्र (फॉर्म-2) में जमा किये गए ज़मीन से सम्बंधित विवरणों में की गयीं हैं. इनमें सबसे ज़्यादा ज़रूरी यह है कि ज़मीन से सम्बंधित विवरण को भरने के बाद अपने दस्तख़त करके जमा करने वाले सर्वे फॉर्म में रैयतों के नाम, खाते की संख्या, जमाबंदी की संख्या, आदि सहित दूसरे किसी भी कॉलम में वगैरह शब्द का प्रयोग नहीं होना चाहिए. इसका मतलब कि जितने भी रैयतों के नाम खतियान में मौजूद हैं, उन सभी को ही अपने नाम फॉर्म-2 में दर्ज कर के जमा करना होगा. ज़्यादातर लोग यह ग़लतियां कर रहे हैं कि सर्वे फॉर्म में जो प्रमुख व्यक्ति हैं या जिनका नाम सबसे ऊपर दर्ज है, वें उनका नाम लिखने के बाद वगैरह या फ़िर आदि लिख दे रहे हैं. इसके परिणाम स्वरुप उन्हें खामियाज़ा भी भुगतना पड़ सकता है.
बना सकते हैं अलग फॉर्मेट
इतना ही नहीं, कुछ लोग तो अपने खाते की संख्या भरने में भी ग़लतियों की बौछार कर रहे हैं, जबकि सभी खाता और प्लॉट की संख्या को लिखना अनिवार्य है. जिन लोगों ने भी इस प्रकार से स्वघोषणा प्रपत्र को ग़लत तरीक़े से भरकर जमा कर दिया है, वें फ़िर से इस प्रपत्र को सही से भरकर दोबारा जमा कर सकते हैं. यदि किसी स्थिति में ऐसा करना मुमकिन नहीं हो पा रहा है तो वैसे लोग जिनसे इस तरह की ग़लती हो चुकी है, वें दावा–आपत्ति या भूल सुधार के वक़्त वगैरह शब्द के जगह पर दस्तावेज़ में दर्ज सभी रैयतों के नाम, सारे खाते तथा प्लॉट नंबर को दर्ज करें. क्यूंकि यह अनिवार्य है. ज़मीन सर्वे में भूमि से सम्बंधित पूरे विवरण को भरकर प्रपत्र-2 में तथा वंशावली का विवरण प्रपत्र-3 में भरकर जमा करने का प्रावधान बनाया गया है. इसके लिए फॉर्म ऑनलाइन मौजूद है, यदि कोई चाहे तो डाउनलोड करके भर सकता है और फ़िर इस फॉर्म को भरने के बाद अपलोड भी करना है. कई बार प्रपत्र-2 में रैयतों के नाम और ज़मीन का विवरण तथा अन्य जानकारी भरने के लिए कॉलम का स्थान छोटा पड़ जाता है और लोग आधी–अधूरी जानकारी ही भर देते हैं. इस तरह से कम जगह होने की वजह से आधी–अधूरी जानकारी भरने की कोई आवश्यकता नहीं है. लोग इससे मिलता जुलता फॉर्मेट कंप्यूटर पर या हाथ से ही अपने ज़रूरत के अनुसार कॉलम बनाकर अपलोड कर सकते हैं. वंशावली या वंशवृक्ष को भी इसी प्रकार से सादे कागज़ पर बनाकर अपलोड किया जा सकता है, केवल ध्यान दें कि वह साफ़–सुथरा होना चाहिए.
3 एमबी से ज़्यादा ना हो फ़ाइल का साइज़
कई लोगों को ज़मीन के कागज़ातों को अपलोड करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. ज़्यादातर लोगों को फ़ाइल के आकार की वजह से दिक्कत हो रही है. लोग सीधा ही कागज़ातों की फ़ोटो खींच कर अपलोड कर दे रहे हैं और फ़ाइल के साइज़ पर ध्यान ही नहीं दे रहे. मानकों के हिसाब से, फ़ाइल का साइज़ सिर्फ़ 3 एमबी तक का ही होना चाहिए. अगर फ़ाइल का साइज़ 3 एमबी से ज़्यादा है तो फ़ाइल अपलोड नहीं होगी.
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