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लिट्टी चोखा खाए , सेहत को तंदरुस्त बनाएं…

Bihari News

बिहार के कई ऐसे व्यंजन है जो लोगों के बीच काफी मशहुर हैं. ये भोजन न केवल स्वाद में स्वादिस्ट होते है बल्कि सेहत के लिए भी फायदेमंद होते हैं. अगर आप बिहार आये और यहां के व्यंजनों को न चखा, तो बिहार आना बेकार हो जायेगा. चलिए आज हम आपको ऐसे ही एक व्यंजन के बारे में बताते हैं जिसे बिहार में आने वाले हर लोग खाना चाहते हैं. ये व्यंजन है बिहार की शान, पूर्वजों की मान , जिससे मिला हो बिहार को सम्मान. सेलिब्रिटी भी इसे खाना चाहे, इसे चखने को लोग बिहार में आना चाहे. स्वाद भी दे और सेहत भी लोगों के मन को दे राहत भी. इसका ऐसा है स्वाद, आज भी करे लोगों के दिलों पर राज. मगध दरबार से हुई इसकी शुरुआत, इसकी रेसिपी है सबसे ख़ास. हम बात कर रहे हैं बिहार के सबसे फेमस व्यंजन लिट्टीचोखा की. आप इस व्यंजन के बारे में पहले से बहोत कुछ जानते होंगे. पर आज हम आपको इससे जुड़ी कुछ ऐसी चीजों को बताने वाले हैं जिसे शायद ही आपने सुना होगा.क्या आपको पता है की आज भी ऐसा सवाल उठाया जाता की , क्या सच में लिट्टी चोखा बिहार का व्यंजन हैं ? इससे जुड़ी कहानी भी काफी पुरानी हैं. कहा जाता हैं की लिट्टी चोखा का इतिहास बहोत ही दिलचस्प रहा हैं और मगध काल से जुड़ा हैं. क्योंकि सभी ऐसा मानते हैं की लिट्टी चोखा का प्रचलन मगध साम्राज्य के समय में बढ़ा था और उस समय ही इसका सेवन किया जाता था. बता दे कि प्राचीन काल में मगध की राजधानी पाटलिपुत्र थी. उस समय मगध में चन्द्रगुप्त का शासन था, और वे युद्ध के दौरान अपने सैनिकों के साथ लिट्टीचोखालेकर जातें थे. ऐसा इसलिए किया जाता था क्योंकि लिट्टीचोखा एक ऐसा भोजन है जो न तो जल्दी ख़राब होता हैं , न ही इससे सेहत को किसी प्रकार का नुक्सान होता और साथ ही इससे सैनिकों के पेट भी अच्छी तरह से भर जातें थे. इसके अलावा, लोगों का यह भी कहना हैं की लिट्टी चोखा किसानों का भोजन था और इसे केवल किसान ही खा सकतें थे, क्योंकि इसे बनाने में ज्यादा समय नही लगता था और पेट के लिए भी काफी फायदेमंद था.इसके साथ ही लिट्टी चोखा के इतिहास को मुग़ल काल से भी जोड़ा गया हैं. मुगलकाल का लिट्टी चोखा को स्वाद देने में बड़ा हाँथ रहा हैं. उस दौरान लोग इसे मांसहारी पाया के साथ खाना पसंद करते थे. जिस कारण इसे और पसंद किया जाने लगा. इसके बाद, अंग्रेजों के जमाने में इसे करी के साथ खाया और बनाया जाने लगा. लिट्टीचोखा को फ़ूड फॉर सर्वाइवलके नाम से भी जाना जाता हैं, क्योंकि इसे सैनिक युद्ध के दौरान खाते थे और सैनिकों को इससे ताकत भी मिलती थी. कहा जाता हैं की तात्या टोपे और रानी लक्ष्मी बायीं ने 1857 के विद्रोह में अपने सैनिकों के लिए लिट्टी चोखा को ही खाने के रूप में रखा था. हालांकि अब तक इस बात की पुष्टि नही की गयी है की क्या वाकई में लिट्टी चोखा बिहार का व्यंजन हैं.हमारे बिहार और बिहार के लोगों के बीच लिट्टी चोखा इतना फेमस हैं कि लड़के लड़कियां इसका उपयोग अपने सोशल मीडिया पर स्टेटस के रूप में, अपने प्रेमीप्रेमिका को शायरी के रूप में, तो कुछ तंज कसने में भी इसका इस्तमाल करते हैं. वहीं लिट्टी चोखा से जुड़ी इन लाइनों को सुन कर लड़कियां भी लड़कों से इम्प्रेस हो जाती हैं. जिनमें से कुछ लाइनें ऐसे हैंये प्यार व्यार सब धोखा हैं, आओ खाते लिट्टी चोखा हैं. दाल देता हु मैं भी गमछा अपने कन्धों पर जब कभी भी वो दिन आती हैं, क्या कहूँ अपनी वाली के बारे में ए दोस्तों जब वो लिट्टी चोखा बनाती हैं. हमारे यहां वीकेंड फ्राइडे, सैटरडे , सन्डे नही होता हैं, हमारे लिए हफ्ता, सुकर, सनीचर और ऐतबार होता हैं, और ये सब बर्गर, पिज्जा, फ्राइड राइस शहर वालों के नखरे हैं , हमारे यहां खाना लिट्टी चोखा और अचार होता हैं. ऐसे न जाने कितने शब्दों का उपयोग कर बिहारवासी अपने लिट्टी चोखा से जुड़े प्यार को दर्शाने की कोशिश करते रहते हैं. इसके अलावा लिट्टी चोखा का न केवल प्यार और गुस्सा दिखाने में उपयोग किया जाता बल्कि यह हमारे सेहत के लिए भी काफी अच्छा होता हैं.आईये अब हम आपको बताते हैं की लिट्टी चोखा खाने से हमें क्या फायेदा होता हैं या इससे हमारे सेहत पर क्या असर पड़ता हैं.

1.) इससे शुगर लेवल नियंत्रित रहता है. चूंकि इसमें शुगर लेवल नहीं होता इसलिए डायबिटीज के मरीजों को इसे खाने की सलाह दी जाती है.

2.)लिट्टी के साथ बैंगन का चोखा कोलेस्ट्रॉल को कम करता है. इसलिए डायबिटीज के मरीजों के अलावा ये ब्लड प्रेशर व हार्ट के लिए भी अच्छा माना जाता है.

3.)लिट्टी में भुने हुए चने का सत्तू होता है, जो इन्सुलिन से संबंधित समस्याओं को दूर करता है.

4.) लिट्टी को बनाने के लिए इस्तेमाल सत्तू में गेंहूं, चने और जौ का आटा होता है. मिक्स ग्रेन से होने वाले सभी फायदे इसे खाने से मिलते हैं. – इसे खाने से शरीर में एनर्जी बनी रहती है.

5.)गर्मी के दिनों में इसे खाने से लू नही लगती क्योंकि इसे बनाने में सत्तू का उपयोग किया जाता और सत्तू खाने से लू का खतरा कम हो जाता हैं.

6)इसमें फाइबर काफी अधिक होता हैं , जिससे पेट का पाचन सही बना रहता हैं.

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