आज बिहार की बेटी और लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष मीरा कुमार का जन्मदिन है. मीरा कुमार को देश की प्रथम महिला लोकसभा स्पीकर बनने का गौरव प्राप्त है. मीरा कुमार देश के पूर्व उप प्रधानमंत्री बाबू जगजीवन राम की बेटी हैं.
मीरा कुमार का जन्म 31 मार्च 1945 को बिहार की राजधानी पटना में हुआ था. मीरा कुमार बचपन से ही पढ़ाई लिखाई में बेहद कुशाग्र थी जिसकी वजह से पिता जगजीवन राम और माता इंद्राणी देवी इन्हें बेहद प्यार करते थें. मीरा कुमार की प्रारंभिक शिक्षा दिल्ली के अति प्रतिष्ठित महारानी गायत्री देवी स्कूल में हुई.
इसके बाद मीरा कुमार ने दिल्ली के इंद्रप्रस्थ काॅलेज से एमए और मिरांडा हाउस से एलएलबी किया. वर्ष 1973 में मीरा कुमार भारतीय विदेश सेवा यानी कि आईएफएस जैसे सम्मानित पद के लिए चयनित हुई. मीरा कुमार काफी दिनों तक ब्रिटेन, स्पेन और माॅरीशस ने उच्चायुक्त रहीं. वर्ष 1984 में मीरा कुमार ने भारतीय विदेश सेवा से इस्तीफा दे दिया.
मीरा कुमार का कला, भाषा और साहित्य से भी विशेष लगाव रहा है. मीरा कुमार एक कवियत्री भी हैं. उनकी कई कविताएं प्रकाशित भी हो चुकी है. शास्त्रीय संगीत में उनकी विशेष रुचि है. महाकवि कालिदास की रचना अभिज्ञान शाकुंतलम मीरा कुमार की प्रिय पुस्तक है. इसके साथ ही मीरा कुमार हिंदी, अंग्रेजी, स्पैनिश और भोजपुरी भाषाओं की ज्ञाता हैं.
राजनीतिक जीवन
मीरा कुमार ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत 1985 में की. यूपी के बिजनौर लोकसभा सीट से मीरा कुमार ने त्रिकोणिय संघर्ष में रामविलास पासवान और मायावती को चुनावी अखाड़े में चित्त किया और संसद पहुंची थी. 1996 और 1998 में मीरा कुमार ने दिल्ली की करोलबाग सीट से लोकसभा का चुनाव जीता जबकि 2004 और 2009 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने बिहार की सासाराम सीट जीत कर कांग्रेस की झोली में डाली.
वर्ष 2004 में डाॅ मनमोहन सिंह की सरकार में मीरा कुमार केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री बनीं जबकि 2009 में वो लोकसभा की प्रथम महिला लोकसभा स्पीकर की कुर्सी तक पहुंची. वर्ष 2017 में मीरा कुमार ने यूपीए की ओर से राष्ट्रपति का चुनाव भी लड़ा लेकिन रामनाथ कोविंद से वो पराजित हुईं.
मीरा कुमार की राजनीतिक जीवन की एक खासियत यह भी रही कि लोकसभा स्पीकर जैसे अति विशिष्ट पद पर रहने के बावजूद वो कभी सिक्योरिटी में नहीं चलीं. इसी वजह से उनके समर्थक उन्होंने सादगीपूर्ण स्वच्छ राजनीति का प्रतीक बताती हैं. सासाराम संसदीय क्षेत्र से उन्हें कई बार पराजय का सामना करना पड़ा लेकिन उन्होंने कभी भी असामाजिक तत्वों, अपराधियों या नक्सलियों को बढ़ावा नहीं दिया.