bird flu in bihar: बिहार में बर्ड फ्लू का बढ़ रहे मामले, जानिये क्या है ये संक्रमण, लक्षण और बचाव के उपाय?
बिहार में बर्ड फ्लू के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, और अब तक पटना, भागलपुर और जहानाबाद जिलों में इसके संक्रमण की पुष्टि हो चुकी है। बर्ड फ्लू से बचाव के लिए कोई विशेष टीका नहीं है, इसलिए इस बीमारी से बचने के लिए सावधानी और निगरानी फिलहाल बेहद जरुरी है। बर्ड फ्लू के बढ़ते खतरे को देखते हुए केंद्रीय पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने सभी राज्यों को सतर्क रहने का निर्देश दिया है। जिलों को अलर्ट किया गया है और किसी भी पक्षी या मुर्गियों के मरने की घटना पर तत्काल सैंपल संग्रहण की प्रक्रिया शुरू की गई है। प्रभावित क्षेत्रों के एक किलोमीटर के दायरे में सभी मुर्गी फार्म को सेनेटाइज किया जा रहा है।
बर्ड फ्लू इंसानों के लिए भी खतरा पैदा कर सकता है, खासकर उन लोगों के लिए जो संक्रमित पक्षियों या मुर्गियों से सीधे संपर्क में आते हैं। यह श्वास संबंधी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है। बर्ड फ्लू की जांच के लिए सैंपल को कोलकाता की क्षेत्रीय रोग अनुसंधान लैब और भोपाल स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाई सिक्युरिटी एनिमल डिजीज भेजा जाता है। यह बीमारी लगभग हर साल सामने आती है। यदि किसी को बर्ड फ्लू के बारे में जानकारी मिले, तो वे तुरंत स्थानीय पशु अस्पताल, जिला पशुपालन विभाग या पटना स्थित पशु स्वास्थ्य संस्थान को सूचित करें।
बर्ड फ्लू को लेकर फिलहाल अलर्ट जारी किया गया है, जिससे इसके बारे में काफी चर्चा चल रही है. तो चलिए आज हम आपको बर्ड फ्लू के बारे में विस्तार से बताते हैं. साथ हीं बर्ड फ्लू क्या है, इसके कारण, इसके लक्षण और इससे रोकथाम के क्या उपाय हैं, सभी पर चर्चा करेंगे.
बर्ड फ्लू, जिसे एवियन इन्फ्लूएंजा भी कहा जाता है, एक प्रकार का वायरल संक्रमण है जो मुख्य रूप से पक्षियों में होता है। यह इन्फ्लूएंजा टाइप A वायरस के कारण फैलता है। हालांकि, बर्ड फ्लू इंसानों को कम ही प्रभावित करता है, लेकिन स्वास्थ्य अधिकारियों की चिंता इस बात को लेकर है कि पक्षियों को संक्रमित करने वाले वायरस उत्परिवर्तित हो सकते हैं, जिससे ये इंसानों में फैल सकते हैं और एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में ज्यादा आसानी से फैलने की संभावना बढ़ जाती है।
बर्ड फ्लू आमतौर पर उन लोगों को प्रभावित करता है जो पालतू मुर्गियों के साथ संपर्क में आते हैं। इसके अलावा, लोग जंगली पक्षियों या अन्य जानवरों से भी संक्रमित हो सकते हैं। हालांकि, यह वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में बहुत कम फैलता है। बर्ड फ्लू के लक्षण सामान्य फ्लू जैसे होते हैं, जो नाक, गले और फेफड़ों को प्रभावित करते हैं। ये लक्षण हल्के से लेकर गंभीर भी हो सकते हैं, और संक्रमित होने के सात दिनों के भीतर दिखाई दे सकते हैं, लेकिन कभी–कभी लक्षण दो सप्ताह तक भी देर से दिख सकते हैं।
बर्ड फ्लू के सामान्य लक्षणों में बुखार, साँस लेने में परेशानी, गुलाबी आँखें, उल्टी और दस्त शामिल हैं। यदि किसी व्यक्ति में बर्ड फ्लू के लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। इसके अलावा, यदि व्यक्ति ने किसी संक्रमित जानवर या उसके मल से संपर्क किया है, तो उसे विशेष रूप से सतर्क रहने की जरूरत है।
बर्ड फ्लू के कारण होने वाली जटिलताओं में अस्थमा, सिस्टिक फाइब्रोसिस जैसी दीर्घकालिक फेफड़ों की समस्याओं का बिगड़ना, कान और साइनस संक्रमण, श्वसन तंत्र की विफलता, गुर्दे और हृदय संबंधित समस्याएं, और फेफड़ों में रक्तस्राव हो सकते हैं। कभी–कभी यह जानलेवा भी हो सकता है।
बर्ड फ्लू का संक्रमण इन्फ्लूएंजा वायरस के कणों के जरिए फैलता है, जो सांस, लार, बलगम या मल के माध्यम से वातावरण में फैल सकते हैं। जब व्यक्ति इन कणों को सांस के जरिए अंदर लेता है या किसी संक्रमित वस्तु को छूने के बाद अपनी आँखों, नाक या मुँह को छूता है, तो वायरस शरीर में प्रवेश कर सकता है।
बर्ड फ्लू के संक्रमण से बचने के लिए, अगर आप ऐसे स्थानों पर जाते हैं जहां बर्ड फ्लू फैल रहा है, तो पोल्ट्री फार्म और पक्षी बाजारों से बचें। इसके अलावा, भोजन को पूरी तरह से पका कर हीं खाएं. जानवरों को छूने के बाद हाथ अच्छे से धोएं। सुरक्षा के लिए मास्क और ग्लव्स जरुर पहने। साथ ही, हर साल मौसमी फ्लू का टीका लगवाना भी महत्वपूर्ण है, जो बर्ड फ्लू को तो नहीं रोकता, लेकिन सामान्य फ्लू से बचाव कर सकता है।
आहार से बर्ड फ्लू होने की संभावना बहुत कम है, लेकिन फिर भी कच्चे मुर्गे, मांस, समुद्री भोजन और अंडे से बचना चाहिए। भोजन को ठीक से पकाने से बर्ड फ्लू के जोखिम को कम किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, मुर्गी को 74°C तक पकाना चाहिए और अंडे को तब तक पकाना चाहिए जब तक उनका सफेद और जर्दी हिस्सा सख्त न हो जाए। हालाँकि इस दौरान चिकन और अंडे जैसी चीजों से दूर रहना हीं ज्यादा बेहतर होगा.