आपने अपने जीवन में कई बार सुसाइड यानी की आत्महत्या जैसे शब्दों को सुना होगा. आज के समय में ये शब्द आम शब्द बन गए हैं. प्रतिदिन हमें सुसाइड से यानी की आत्महत्या से जुड़ी खबरे सुनाने को मिलते रहती हैं. आपने हमेशा यही सुना होगा कि किसी व्यक्ति ने किसी कारण से सुसाइड कर लिए. लेकिन क्या आपने कभी चिड़िया को सुसाइड करते देखा या सुना हैं. आज हम आपको एक ऐसी ही जगह के बारे में बताने जा रहे जहां इंसान नहीं बल्कि चिड़िया सुसाइड करते हैं . इस जगह को चिड़ियों का सुसाइड पॉइंट भी कहा जाता हैं.बता दे कि हम बात कर रहे है असम की बोरेल पहाड़ियों के बीच गांव जतिंगा की , जहां चिड़िया आत्महत्या कर लेती हैं. आपको यह बात जान कर हैरानी होगी कि इस स्थान पर केवल वे पक्षी सुसाइड नहीं करते जो यहां के लोकल है , बल्कि वे पक्षी भी सुसाइड कर लेते हैं जो दुसरे स्थान से आते हैं यानी की प्रवासी पक्षी भी यहां आकर सुसाइड कर लेते हैं. बताते चले कि इन सुसाइड करने वाले पक्षियों की संख्या एक या दो नहीं बल्कि हजारों में होती हैं. यहां सुसाइड करने वाले पक्षियों में 40 प्रजातियाँ शामिल होती है जो लोकल और प्रवासी पक्षी दोनों होते हैं.आमतौर पर हमने हमेशा इंसानों के सुसाइड करने की बातें सुनी है. ऐसे में जब हम पक्षियों की सुसाइड की बातें सुनते है तो, हम हैरान हो जाते हैं. चिड़ियों की इस सुसाइड की घटना पर कई रिपोर्ट्स तैयार किये गए है जिसके अनुसार वे सभी पक्षी इतनी तेजी से उड़ते है कि वे इमारत और पेड़ों से टकरा जाते है जिससे उन्हें और उनके पंख में काफी छोट आ जाती है जिस वजह से वे उड़ नही पातें और फिर धीरे–धीरे उनकी मौत हो जाती हैं. चिड़ियों की ये आत्महत्या की घटनाएं प्रतेक साल सितम्बर से नवम्बर के महीनों में शाम 7 बजे से रात के 10 बजे तक ज्यादा होती हैं. बाकी दिन वे सही सलामत आसमान में उड़ती नजर आ जाती हैं. इस घटना को लेकर बर्ड के एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस स्थान पर मैग्नेटिक फ़ोर्स ज्यादा है जिस वजह से यह घटनाएं घटित होती हैं. इसके साथ ही लोगों का यह भी कहना है कि कोहरे से भरे मौसम में यहां हवाएं तेज चलती है जिस वजह से चिड़ियों को साफ़ नही दिख पाता और वो घरों, पेड़ों और गाड़ियों से टकरा जाते हैं और उनकी मृत्यु हो जाती हैं. वहीं यहां के स्थानीय निवासी का कहना है कि उनके गांव में कोई बुरी शक्ति है जो पक्षियों को वहां जीवित नहीं रहने देती.