भाजपा के बाद अब जदयू–राजद में भी प्रदेश अध्यक्ष के बदलाव की सम्भावना, जानें 2025 चुनाव में क्या होगी इन पार्टियों की रणनीति !
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के मद्देनजर प्रदेश की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। चुनाव की तैयारियों के लिए सभी प्रमुख दल अपने–अपने तरीके से जुटे हुए हैं। इस दौरान राष्ट्रीय जनता दल (राजद), जनता दल यूनाइटेड (जदयू), और भारतीय जनता पार्टी (भा.ज.पा.) ने अपने संगठन में बड़े बदलाव किए हैं। लोकसभा चुनावों में जनता ने किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं दिया, जिससे सभी पार्टियां अब अपने संगठन को मजबूत करने में लगी हैं।
भा.ज.पा. में बदलाव और रणनीति
लोकसभा चुनाव में बिहार की 40 सीटों में एनडीए को 30 सीटें मिलीं, जबकि महागठबंधन को 9 सीटें प्राप्त हुईं। एक सीट निर्दलीय उम्मीदवार पप्पू यादव ने जीती। एनडीए को 2014 और 2019 के चुनावों में हासिल 33 और 39 सीटों की तुलना में 9 सीटों का नुकसान हुआ। इसके बाद से ही भा.ज.पा. ने अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए कई बदलाव किए। पहले सम्राट चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया, लेकिन इसके बावजूद लोकसभा चुनाव में पार्टी को अपेक्षित सफलता नहीं मिली। इसके बाद दिलीप जायसवाल को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। जायसवाल की सीमांचल क्षेत्र में अच्छी पकड़ मानी जाती है, और वे अतिपिछड़ा वर्ग से आते हैं, जो बिहार की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
भा.ज.पा. ने दिलीप जायसवाल को प्रदेश अध्यक्ष बनाने का निर्णय इसलिए लिया क्योंकि बिहार में 36 फीसदी आबादी अतिपिछड़ा वर्ग से संबंधित है। इस वर्ग को साधने के लिए पार्टी ने जायसवाल को एक बार फिर महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी है।
जदयू और लव–कुश समीकरण
भा.ज.पा. की राह पर चलते हुए जदयू और राजद भी अपने वोटर्स को साधने की कोशिश कर रही हैं। जदयू ने लोकसभा चुनाव में 16 सीटों में से केवल 12 सीटें जीतीं। इसके बाद से जदयू में कई बदलाव किए जा रहे हैं। सीएम नीतीश कुमार ने प्रदेश कमिटी को भंग कर दिया है और नई कमिटी का गठन किया है। जदयू का लव–कुश समीकरण अब भी कायम रह सकता है, जिसमें कुशवाहा जाति के नेता को प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने की उम्मीद है.
राजद की रणनीति
राजद ने लोकसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन नहीं किया, हालांकि 2019 के चुनाव में खाता भी नहीं खुला था, 2024 में पार्टी को 4 सीटें मिलीं। तेजस्वी यादव ने लोकसभा चुनाव के दौरान अपने सक्रिय प्रचार अभियान से पार्टी को कुछ लाभ पहुंचाने की कोशिश की थी, हालांकि उम्मीद के मुताबिक परिणाम नहीं आया। तेजस्वी ने राजद की MY (मुस्लिम–यादव) और BAAP (बहुजन, अगड़ा, आधी आबादी, गरीब) समीकरणों को महत्वपूर्ण बताया था।
सीएम नीतीश कुमार के 28 जनवरी 2024 को महागठबंधन से अलग होकर बीजेपी के साथ नई सरकार बनाने के बाद से तेजस्वी यादव 2025 के विधानसभा चुनाव में महागठबंधन की सरकार बनाने का दावा कर रहे हैं। इसके मद्देनजर राजद भी अपने संगठन में बदलाव कर सकती है। वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह लंबे समय से पद पर हैं, और पार्टी अब एक मुस्लिम नेता, जैसे कि अब्दुल बारी सिद्दीकी, को प्रदेश अध्यक्ष बना सकती है ताकि MY समीकरण को मजबूत किया जा सके।
निष्कर्ष
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए सभी प्रमुख दल अपने–अपने तरीके से संगठन को मजबूत करने में लगे हुए हैं। भा.ज.पा. ने दिलीप जायसवाल को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर अतिपिछड़ा वर्ग को साधने की कोशिश की है, जबकि जदयू और राजद भी अपने–अपने तरीके से बदलाव कर रही हैं। इन बदलावों का असर चुनावी परिणाम पर क्या पड़ेगा, यह तो भविष्य ही बताएगा, लेकिन राजनीति में हर दल अपनी रणनीति को अंजाम देने में जुटा है।
अब देखना है की ये सभी पार्टीयां बिहार में कितनी सफल हो पाती हैं.