Chhath Puja Samagri List: छठ महापर्व है इन चीज़ों के बिना अधूरा, पूजा में ज़रूर करें इन्हें शामिल
5 नवंबर से शुरू हो रहा है छठ
Chhath Puja Samagri List: दिवाली के ख़तम होते ही बाज़ारों में अब छठ (Chhath) की ख़रीदारी होनी शुरू हो गयी है. फलों व मिठाईयों की दुकानें सज गयी है. छठ पूजा की ख़रीदारी के दौरान बाज़ारों में अत्यधिक भीड़ देखने को मिलती है. सनातन धर्म का महापर्व छठ कल यानी 5 नवंबर से शुरू हो रहा है. हिन्दू धर्म में छठ का बहुत महत्त्व है. ऐसी मान्यता है कि लोगों की कोई भी लालसा, छठी मैया पूरी कर देती हैं. सुख–समृद्धि से लेकर संतान सुख तक की प्राप्ति छठ पूजा से होती है. वैसे तो छठ बिहार का महापर्व है. लेकिन, इसे झारखंड और उत्तर प्रदेश के कुछ क्षेत्र में भी धूम–धाम से मनाया जाता है. इन दिनों घाटों की रौनक कुछ ज़्यादा ही बढ़ जाती है. बता दें कि छठ ही एक ऐसा त्योहार है जिसमें डूबते हुए सूरज को भी अर्घ्य दिया जाता है. आस्था और संस्कृति का यह महापर्व चार दिनों तक मनाया जाता है. नहाय–खाय से छठ पूजा की शुरुआत हो जाती है और उषा अर्घ्य से इस पर्व का समापन होता है. अगर कोई महिला या पुरुष इस साल पहली बार छठ व्रत करने की सोच रहे हैं तो उन्हें यह जानकारी होनी चाहिए कि इस पूजा में किन किन चीज़ों की आवश्यकता होती है.
ये चीज़ें है आवश्यक
हिन्दू पंचांग के अनुसार, छठ पूजा की शुरुआत कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से होती है और इसकी समाप्ति अष्टमी तिथि में हो जाती है. जिन लोगों को छठ पूजा की सामग्री के बारे जानकारी नहीं है, उनकी जानकारी के लिए बता दें कि इसमें पीतल का पात्र, फल, सुपारी, चावल, सिंदूर, फूल, पूजा के लिए थाल, पान के पत्ते, गाय का घी, शहद, धूप, शकरकंदी, सुथनी, गुड़, सूप, गागर नींबू, पानी वाले नारियल, मिठाईयां, अरवा चावल, गंगा जल, बांस का डाला, पीतल का लोटा, ठेकुआ, गेंहू व चावल का आटा, ईंख, मूली, अदरक, अरकत पात, मौली, कोसी, मिट्टी से बने हाथी और छठ व्रत करने वाले व्यक्ति के लिए नए कपड़े. इन तमाम चीज़ों का अपना अलग महत्त्व है. बिना इन चीज़ों की छठ पूजा अधूरी होती है. चूंकि, छठ अटूट श्रद्धा और समपर्ण को दर्शाता है. छठव्रती अपनी पूरी निष्ठा और 36 घंटों तक निर्जला उपवास रख कर छठी मैया को प्रसन्न करने के लिए इन चीज़ों को अर्पण करती हैं.
इन नियमों का करें पालन
छठ पूजा का सिर्फ़ व्रत ही कर लेने से या भोग लगा देने से पूजा संपन्न नहीं हो जाती है. व्रत के दौरान साधकों को कुछ नियमों का पालन भी करना पड़ता है. छठ पूजा व्रत करने वाले साधक को ख़ासतौर से पलंग या किसी तखत पर नहीं सोना चाहिए. वह ज़मीन पर चादर बिछाकर सो सकते हैं. छठ पूजा में घाट पर सूर्यदेवता को अर्घ्य देने से पहले घर से ही नए वस्त्र धारण करने चाहिए. छठ से पहले ही मांस व मदिरा का सेवन करना छोड़ देना चाहिए. यहां तक कि मांस–मदिरा की ना बातें करनी चाहिए और ना ही उसके बारे में सोचना चाहिए. इसके साथ ही, लहसुन और प्याज से बना खाना भी नहीं खाना चाहिए. साधक को छठ पूजा के दौरान सात्विक भोजन ही ग्रहण करना चाहिए. अगर कोई साधक साफ़ और पवित्र मन से पूजा नहीं कर पाता है तो छठी मैया के प्रकोप का उसे सामना करना पड़ता है. साथ ही, व्रत के दौरान साधक को किसी से भी विवाद नहीं करना चाहिए और किसी को अपशब्द कहने से बचना चाहिए. घर के बड़े–बुज़ुर्ग और महिलाओं का अपमान नहीं करना चाहिए.