बिहार में इस साल होने वाले पंचायत चुनाव को लेकर अब गांव की राजनीति अपने चरम पर है. सुबह की चाय के साथ ही अब पंचायत चुनाव की राजनीति शुरू हो जाती है. अब चाय की चुस्की के साथ ही गांव की सरकार बनाने की कबायत तेज हो गई है. महिलाओं से लेकर बच्चों तक में चुनाव को लेकर उत्साह देखा जा रहा है. बिहार में पंचायत चुनाव को लेकर राज्य सरकार ने भी कमर कस लिया है और अधिकारियों की नियुक्ति करनी शुरू कर दी है. इतना ही नहीं अब तो सभी अधिकारियों को कामों का भी बंटवारा हो गया है. इधर पंचायतों में उम्मीदवार अपनी दावेदारी के लिए मतदाता के पास पहुंच रहे हैं और जीतने का दावा कर रहे हैं. ऐसे में हम कह सकते हैं कि गांव की सरकार बनाने के लिए अब राजनीति पूरी तरह से तेज हो गई है.
नीतीश सरकार की सात निश्चय पार्ट वन को लेकर बड़ा फैसला आया है. सात निश्चय योजना नीतीश सरकार की महत्वकांक्षी योजनाओं में से एक योजना है. राज्य सरकार इन्हीं योजनाओं को लेकर लगातार अपनी पीठ थपथपाती रही है. ऐसे में अब नीतीश सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है. इस फैसले के बाद से पंचायत चुनाव में जनप्रतिनिधियों की समस्याएं बढ़ सकती है. दरअसल, राज्य सरकरा ने यह तय किया है कि बिहार सरकार के साथ निश्यच पार्ट-1 के हर घर नल का जल योजना का काम पूरा नहीं करने वाले लोग पंचायत चुनाव हो या नगर निकाय चुनाव, नहीं लड़ पाएंगे. अगर उनका रिपोर्ट कार्ड नल जल योजा को लेकर खराब रहा तो जनप्रतिनिधि नगर निकाय और पंचायत का चुनाव नहीं लड़ पाएंगे.
बिहार सरकार के इस फैसले के बाद से इस साल होने वाले पंचायत चुनाव और नगर निकाय चुनाव पर इसका असर साफ साफ देखने को मिल सकता है. पंचायत स्तर तक नल जल योजना को पहुंचाने और उसका लाभ पहुंचाने के लिए सरकार के इस फैसले से जहां जनता खुश होगी, वहीं वैसे जनप्रतिनिधियों की रातों की नींद हराम हो जाएगी जिन्होंने अब तक इस योजना पर पंचायत में काम नहीं करवाया है. विभाग के अपर मुख्य सचिव अमृतलाल मीणा ने बताया कि राज्य में अब तक 1700 वार्डों में मुख्यमंत्री पेयजल निश्चय योजना के तहत हर घर नल का जल योजना अभी तक अधूरा है.पंचायती राज विभाग सभी जिलों की पंचायतों के हर वार्ड में अपूर्ण नल जल योजना की जानकारी जुटा रहा है. विभाग ने निर्वाचित प्रतिनिधियों को मुख्यमंत्री पेयजल निश्चय योजना पूरा करने की जिम्मेदारी दी है. पंचायती राज विभाग इस बात पर गंभीरता से विचार कर रहा है कि वैसे पंचायत व वार्डों के मुखिया व वार्ड सदस्यों को चुनाव लड़ने के अयोग्य घोषित कर दिया जाये. विभाग इस आशय का प्रस्ताव तैयार कर रहा है. मुख्यमंत्री ग्रामीण पेयजल निश्चय योजना का कार्यान्वयन पंचायतों के नेतृत्व में वार्ड क्रियान्वयन एवं प्रबंधन समिति द्वारा किया जाता है. इसका रखरखाव भी इन्ही संस्थानों को करना है. ऐसे में जिन पंचायतों में काम अधूरा है, उन पंचायतों के जनप्रतिनिधियों को अगले पंचायत चुनाव लड़ने में कठिनाई हो सकती है.
आपको बता दें कि बिहार में पंचायत चुनाव को लेकर पहले ही तैयारियां जोरों पर हैं. निर्वाचन आयोग ने यह फैसला भी लिया है कि बिहार में इस बार का पंचायत चुनाव बैलट पेपर से न हो कर EVM के माध्यम से होगा. हालांकि, उस पर अब भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं. लेकिन वोटर लिस्ट में नाम जुड़वाने से लेकर अन्य कई चीजों पर तैयारियां लगभग पूरी होने वाली है. ऐसे में जनप्रतिनिधियों के लिए बाकी बचे समयों में नल जल योजना को पूरा करने की चुनौती आ खड़ी हो गई है.