coach vs bogi: जानिए बोगी और कोच में क्या होता है अंतर?
हर दिन लाखों लोग ट्रेन से यात्रा करते हैं, जिसे देखते हुए रेलवे ने इस यात्रा को सुगम और व्यवस्थित बनाने के लिए कई नियम बनाए हैं। ये नियम रात और दिन दोनों समय के लिए अलग–अलग होते हैं। अगर यात्री इन नियमों का पालन नहीं करते हैं, तो उन पर जुर्माना और अन्य कार्रवाई की जा सकती है। इन नियमों का उद्देश्य यात्रियों के सफर को और अधिक सुविधाजनक बनाना है। आपमें से कई लोग ऐसे होंगे, जिन्होंने ट्रेन से सफ़र किया होगा. हर वर्ग के लोगों के लिए ट्रेन की यात्रा सबसे सुविधाजनक और आसान होती है.ट्रेन से सफ़र के दौरान अक्सर आपने बोगी और कोच के बारे में सुना होगा. कई लोग बोगी और कोच दोनों को हीं एक मानते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि रेलवे की बोगी और कोच में अंतर होता है? बहुत से लोग इन दोनों शब्दों को एक जैसा समझते हैं, जबकि असल में इनके बीच काफी फर्क होता है। यदि आपको अब तक इन दोनों के बीच का अंतर नहीं पता था, तो आज हम आपको बताएंगे बोगी और कोच में क्या फर्क है।
बोगी और कोच के बीच अंतर
बोगी और कोच दोनों ही ट्रेन के इम्पोर्टेन्ट पार्ट होते हैं, लेकिन इनका काम और बनावट दोनों हीं अलग होते है। बोगी वह हिस्सा है जिस पर कोच को फिट किया जाता है। बोगी को सामान्यत: चार पहियों को एक्सल (axle) की मदद से जोड़कर तैयार किया जाता है, और ये पहिए ट्रेन के आंतरिक संचालन के लिए बेहद महत्वपूर्ण होते हैं।
कोच क्या होता है?
कोच को बोगी पर स्थापित किया जाता है और इसमें यात्रियों के बैठने की व्यवस्था होती है। कोच में यात्रियों के लिए सीट, बर्थ, दरवाजे, और अन्य सुविधाएं होती हैं। यह वह स्थान है जहां यात्री आराम से बैठकर यात्रा करते हैं। कोच में बर्थ की व्यवस्था होती है, जहां यात्री सो सकते हैं और अपनी यात्रा के दौरान आराम कर सकते हैं। कोच में सफर करने के लिए हर सुविधा का ध्यान रखा जाता है ताकि यात्रियों को अधिकतम आराम मिले। आपके द्वारा बुक की गई सीट या बर्थ हमेशा कोच के अंदर ही होती है।
बोगी में ब्रेक होते हैं
जहां कोच यात्रियों की यात्रा के लिए होता है, वहीं बोगी ट्रेन के आंतरिक संचालन से जुड़ा हिस्सा है। ट्रेन को रोकने के लिए बोगियों में ब्रेक्स लगाए जाते हैं। इन ब्रेक्स की मदद से ट्रेन को बहुत अधिक गति होने पर भी आसानी से रोका जा सकता है। इसके अलावा, बोगी में स्प्रिंग्स भी लगाए जाते हैं ताकि ट्रेन में सफर करते समय यात्रियों को ज्यादा झटके न लगें। इन स्प्रिंग्स की वजह से ट्रेन चलने के दौरान यात्रियों को आरामदायक अनुभव मिलता है और ट्रेन का संतुलन भी ठीक रहता है।