Coca Cola: क्या आपने कभी सोचा है कि दुनिया की सबसे फेमस सॉफ्ट ड्रिंक कोका–कोला की शुरुआत कैसे हुई थी? जिस ड्रिंक को आज हम प्यास बुझाने के लिए पीते हैं, क्या आप जानते है कि वो एक वक्त में सिर दर्द की दवा के तौर पर इस्तेमाल होती थी। और इसे बनाने वाला था एक घायल फौजी! चलिए जानते हैं कोका–कोला की असली और बेहद दिलचस्प कहानी।”
एक घायल फौजी और कोका–कोला की शुरुआत
साल था 1865। अमेरिका में गृहयुद्ध चल रहा था। जॉन पेम्बर्टन नाम का एक लेफ्टिनेंट कर्नल इस युद्ध में बुरी तरह घायल हो गया। अपने दर्द को कम करने के लिए पेम्बर्टन ने मॉर्फिन जैसी शक्तिशाली ड्रग्स का सहारा लिया। लेकिन धीरे–धीरे उसे इन ड्रग्स की लत लग गई।
पेम्बर्टन ने तय किया कि वो इस लत से बाहर निकलेगा — और इसकी तलाश उसे एक नए सफर पर ले गई।
ड्रग्स से छुटकारा पाने की कोशिश
पेम्बर्टन फौज में जाने से पहले एक फार्मासिस्ट था। उसने अपने पुराने पेशे की ओर रुख किया और फार्मेसी में काम करने लगा। उसका उद्देश्य था एक ऐसी ड्रिंक बनाना जो नशे की जगह ले सके और साथ ही शरीर को सुकून भी दे।
कई सालों की रिसर्च और फॉर्मूलों के बाद पेम्बर्टन ने एक सीरप तैयार किया, जिसमें कोका पत्तियों और कोला नट्स से निकला कैफीन मिलाया गया था।
कोका–कोला नाम कैसे पड़ा?
पेम्बर्टन के साथ काम करने वाले फ्रैंक रॉबिन्सन ने इस नए ड्रिंक का नाम रखा कोका–कोला। ‘कोका‘ आया कोका पत्तियों से और ‘कोला‘ आया कोला नट से। फ्रैंक ने ही कोका–कोला का लोगो भी डिजाइन किया, जो आज भी लगभग वैसा ही है।
8 मई 1886 को पहली बार अटलांटा की जैकब्स फार्मेसी में कोका–कोला बेची गई। एक गिलास की कीमत थी सिर्फ 5 सेंट।
हालांकि शुरुआत में यह बहुत सफल नहीं रही। पहले साल में सिर्फ 9 गिलास प्रतिदिन बिके और कुल कमाई हुई सिर्फ 50 डॉलर। जबकि खर्चा था 70 डॉलर से ज्यादा।
फॉर्मूला की बिक्री और बड़ा बदलाव
1887 में अटलांटा के बिजनेसमैन और फार्मासिस्ट आसा ग्रिग्स कैंडलर ने इस फॉर्मूले को 2,300 डॉलर में खरीद लिया। कैंडलर एक मार्केटिंग जीनियस थे। उन्होंने कोका–कोला को एक ब्रांड बना दिया।
कैंडलर ने कोका–कोला की मुफ्त सैंपलिंग करवाई, जिससे लोगों को इसकी आदत लगने लगी। साथ ही अखबारों और दुकानों पर भारी विज्ञापन करवाए।
एक दवा से बन गई सबसे पॉपुलर ड्रिंक
1890 तक कोका–कोला अमेरिका की सबसे पसंदीदा ड्रिंक बन चुकी थी। लोग इसे सिर दर्द, थकान और मानसिक तनाव को दूर करने के लिए पीते थे। धीरे–धीरे यह एक “रिफ्रेशमेंट ड्रिंक” बन गई।
देशभक्ति से भी जुड़ा नाम
दूसरे विश्व युद्ध के दौरान कोका–कोला के अध्यक्ष रॉबर्ट वुड्रफ ने एक अनोखा फैसला लिया — उन्होंने कहा कि हर अमेरिकी सैनिक को सिर्फ 5 सेंट में कोका–कोला मिलेगी, चाहे वो दुनिया के किसी भी कोने में हो।
इस फैसले ने कोका–कोला को सिर्फ एक ड्रिंक ही नहीं, बल्कि देशभक्ति का प्रतीक बना दिया।
तो दोस्तों, ये थी कोका–कोला की असली कहानी। एक घायल फौजी के दर्द से निकली ये खोज आज दुनियाभर में अरबों लोगों की पसंद बन चुकी है।
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