cricket balls: किस चीज से बनते हैं क्रिकेट बॉल्स? कूकाबुरा, एसजी और ड्यूक में क्या है फर्क?
क्रिकेट वर्ल्ड कप 2023: कूकाबुरा बॉल की विशेषताएँ और महत्व
जैसे–जैसे वॉर्म मैचों का दौर शुरू हो रहा है, भारत समेत कई देशों में क्रिकेट वर्ल्ड कप का उत्साह बढ़ता जा रहा है। ऐसे मुकाबले में फैंस अपने पसंदीदा खिलाड़ियों की भिड़ंत देखने के लिए अक्सर बेक़रार रहते हैं।
कूकाबुरा, एसजी और ड्यूक: क्रिकेट बॉल के प्रमुख निर्माताएँ
दुनियाभर में कई कंपनियाँ क्रिकेट का सामान बनाती हैं, जिनमें एसजी, कूकाबुरा स्पोर्ट और ड्यूक बॉल्स लिमिटेड का नाम प्रमुख है। एक समय था जब कूकाबुरा घोड़े की काठी बनाया करती थी. लेकिन घोड़े की काठी बनाने से क्रिकेट बॉल्स बनाने तक सफ़र कैसे शुरू हुआ? आज हम आपको इसके बारे में बतायेंगे. साथ हीं एसजी और ड्यूक बॉल्स की चर्चा भी करेंगे.
- कूकाबुरा (Kookaburra):ऑस्ट्रेलिया की यह कंपनी 1890 में स्थापित हुई थी और इसके नाम का मतलब है किंगफिशर पक्षी। इस कंपनी की स्थापना 1890 में एजी थॉमसन ने की थी. शुरुआत में यह कंपनी घोड़ों की हार्नेस और काठी का निर्माण करती थी। जब कारों का चलन बढ़ा, तो कंपनी के सामने बंद होने का खतरा आया, और इसी समय उसने क्रिकेट बॉल्स बनाना शुरू किया। ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न में स्थित यह कंपनी अब क्रिकेट और हॉकी गेंदों के साथ–साथ अन्य खेल सामग्रियाँ भी बनाती है। 1978 में इसने सफेद गेंद बनाई और 2015 में पहली बार टेस्ट क्रिकेट में गुलाबी गेंद का उपयोग किया। कूकाबुरा बॉल्स का उपयोग ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, दक्षिण अफ्रीका, पाकिस्तान, श्रीलंका और जिम्बाब्वे में अधिक किया जाता है।
कूकाबुरा बॉल की विशेषताएँ
कूकाबुरा बॉल्स की सिलाई मशीन से की जाती है, जबकि ड्यूक बॉल्स हाथ से सिली जाती हैं। इसकी सीम धंसी हुई होती है, जो इसे ड्यूक गेंदों की तुलना में कम स्विंग प्रदान करती है।
- प्रदर्शन: कूकाबुरा गेंद शुरू के 20-30 ओवरों में तेज गेंदबाजी के लिए बेहतर मानी जाती है, और इसके बाद बल्लेबाजी के लिए उपयुक्त होती है।
- स्विंग और स्पिन: इस गेंद से स्पिनरों को कम मदद मिलती है, जबकि तेज गेंदबाज इसे शुरू के ओवरों में अच्छी तरह से इस्तेमाल कर सकते हैं।
- अन्य बॉल्स के मुकाबले: ड्यूक बॉल तेज गेंदबाजों के लिए अधिक स्विंग प्रदान करती है, जबकि एसजी गेंद स्पिनरों के लिए ज्यादा सहायक होती है।
बॉल्स की कीमत और उपयोग
कूकाबुरा की वनडे और टी-20 में इस्तेमाल होने वाली बॉल की कीमत करीब 15,000 रुपये है, जबकि एसजी और ड्यूक बॉल्स की कीमत 25,000 से 40,000 रुपये तक होती है।
- एसजी : यह कंपनी 1950 से क्रिकेट का सामान बना रही है। इसकी स्थापना 1931 में केदारनाथ और द्वारकानाथ आनंद ने की थी। एसजी गेंदों का उपयोग भारत के टेस्ट क्रिकेट और रणजी ट्रॉफी में किया जाता है।
- ड्यूक (Duke): यह कंपनी 1760 से क्रिकेट बॉल बना रही है और इसके बॉल्स को ड्यूक बॉल के नाम से जाना जाता है। ड्यूक बॉल का इस्तेमाल इंग्लैंड, आयरलैंड और वेस्ट इंडीज में अधिक होता है।
क्रिकेट का यह खेल सदियों से विकास कर रहा है, और बॉल्स की विभिन्न प्रकारें इसे और भी रोमांचक बनाती हैं। कूकाबुरा, एसजी और ड्यूक बॉल्स के बीच के अंतर को समझना खिलाड़ियों और प्रशंसकों दोनों के लिए महत्वपूर्ण है, ताकि वे खेल का बेहतर आनंद ले सकें।
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