बिहार भूमि सर्वेक्षण: नई रिपोर्ट और दाख़िल-खारिज के लिए मान्यता

Dakhil kharij: बिहार में भूमि सर्वेक्षण का कार्य शुरू हो चुका है। राज्य के भूमि विभाग ने ऑनलाइन आवेदन और आवश्यक दस्तावेजों को डाउनलोड करने के लिए वेबसाइट का लिंक जारी किया है। नागरिक अब land.bihar.gov.in, landsurvey.bihar.gov.in, या dlrs.bihar.gov.in पर जाकर सभी संबंधित दस्तावेज डाउनलोड कर सकते हैं।

इस बड़े पैमाने पर चल रहे भूमि सर्वेक्षण का कार्य अगले एक साल में पूरा होने की योजना है। राज्य सरकार ने इस परियोजना के लिए 360 दिनों का समय निर्धारित किया है। वर्तमान में, यह सर्वेक्षण बिहार के 45,000 गांवों में किया जा रहा है।

इस सर्वेक्षण का मुख्य उद्देश्य भूमि के रिकॉर्ड्स को सुधारना और अद्यतित करना है। इसके तहत, पुराने दस्तावेजों, जैसे कि दाख़िल-खारिज, को मान्यता प्रदान की जाएगी, जिसमें पुरानी रसीदें भी मान्य होंगी। यह प्रक्रिया सुनिश्चित करेगी कि भूमि के रिकॉर्ड सही और वर्तमान स्थिति को दर्शाते हों।

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सर्वेक्षण के दौरान, भूमि के मालिकों को अपने दस्तावेजों को समय पर प्रस्तुत करना होगा ताकि उनके रिकॉर्ड में कोई कमी न रहे। इस प्रकार, बिहार में भूमि सर्वेक्षण के लिए जारी की गई नई रिपोर्ट और योजनाएँ भूमि प्रबंधन को अधिक सुव्यवस्थित और पारदर्शी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं।

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भूमि प्रमाण पत्र और सर्वेक्षण प्रक्रिया

भूमि के स्वामित्व और उसकी प्रकृति के अनुसार विभिन्न प्रकार के दस्तावेजों को मान्यता प्रदान की जाएगी। इन दस्तावेजों की प्रमुख श्रेणियाँ निम्नलिखित हैं:

1. पुश्तैनी भूमि के लिए खतियान:
अगर भूमि पुश्तैनी है, तो ‘खतियान’ को प्रमुख दस्तावेज़ के रूप में मान्यता दी जाएगी। खतियान एक ऐतिहासिक दस्तावेज़ है जो भूमि के पारंपरिक स्वामित्व और उसकी पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही विरासत को प्रमाणित करता है। यह दस्तावेज यह दर्शाता है कि भूमि लंबे समय से एक ही परिवार या व्यक्ति के पास रही है, और इसके बिना भूमि के स्वामित्व की पुष्टि करना मुश्किल हो सकता है।

2. खरीदी गई भूमि के लिए रजिस्ट्री:
जब भूमि को कानूनी रूप से खरीदा जाता है, तो ‘रजिस्ट्री’ का प्रमाण आवश्यक होगा। रजिस्ट्री एक कानूनी दस्तावेज़ है जो भूमि की बिक्री और खरीद को दर्शाता है और इसमें भूमि के मालिक और विक्रेता के बीच हुए लेन-देन का विवरण होता है। यह दस्तावेज यह सुनिश्चित करता है कि भूमि का स्वामित्व खरीदने वाले व्यक्ति या संगठन के पास कानूनी रूप से सुरक्षित है।

3. सरकारी भूमि के लिए पर्चा या बासगीत पर्चा:
सरकारी द्वारा आवंटित भूमि के लिए ‘पर्चा’ या ‘बासगीत पर्चा’ मान्यता प्राप्त दस्तावेज़ हैं। ये दस्तावेज़ यह प्रमाणित करते हैं कि भूमि को सरकारी एजेंसियों द्वारा किसी विशेष उद्देश्य के लिए आवंटित किया गया है। पर्चा या बासगीत पर्चा सरकारी भूमि आवंटन का आधिकारिक रिकॉर्ड है और यह भूमि के कानूनी उपयोग और स्वामित्व को सुनिश्चित करता है।

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DAKHIL KHARIJ के लिए दस्तावेज़ों का मिलान और सर्वेक्षण प्रक्रिया

यदि भूमि का दाखिल खारिज (प्रमाणपत्र) उपलब्ध नहीं है, तो इसका कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ेगा। सर्वेक्षण के दौरान अतिरिक्त दस्तावेज़ों की मांग केवल तब की जाएगी जब मुख्य दस्तावेज़ में कोई कमी होगी। यदि भूमि से संबंधित कोई भी कागजात उपलब्ध नहीं हैं, तो सर्वेक्षण से पहले आवश्यक दस्तावेज़ एकत्रित कर लेना चाहिए। दस्तावेज़ों की यह प्रक्रिया सुनिश्चित करती है कि भूमि के स्वामित्व और उपयोग को सही ढंग से प्रमाणित किया जा सके।

सर्वेक्षण कार्य की समाप्ति के 30 दिनों के भीतर, भूमि के नक्शे का निर्धारण और ग्राम सीमा का सत्यापन किया जाएगा। हवाई सर्वेक्षण एजेंसी द्वारा नक्शे को अपडेट किया जाएगा, ताकि भूमि की वर्तमान स्थिति और उसके सटीक विवरण को देखा जा सके। इस प्रक्रिया के दौरान, ट्रैकिंग एप का उपयोग करके सर्वेक्षण की मौजूदा स्थिति और अपने प्लाट से संबंधित जानकारी को भी ट्रैक किया जा सकेगा।

सरकारी रिकॉर्ड से दस्तावेज़ों का मिलान अनिवार्य है। भूमि के मालिकों को अपनी भूमि से संबंधित सभी दस्तावेज़ प्रस्तुत करने होंगे। दस्तावेज़ों का मिलान सरकारी रिकॉर्ड से किया जाएगा और मिलान के बाद इन दस्तावेज़ों को अंतिम रूप से अपलोड कर दिया जाएगा। यदि प्रस्तुत किए गए दस्तावेज़ में नाम, खेसरा-खाता संख्या या अन्य जानकारी सरकारी रिकॉर्ड से मेल नहीं खाती, तो दस्तावेज़ अपलोड नहीं किए जाएंगे। ऐसी स्थिति में, संबंधित व्यक्ति को सही दस्तावेज़ प्रस्तुत करने के लिए सूचित किया जाएगा। यदि समय पर सही दस्तावेज़ प्रस्तुत नहीं किए जाते, तो पहले से मौजूदा नाम ही मान्य रहेगा।

भूमि के स्वामित्व को प्रमाणित करने के लिए अन्य मान्य दस्तावेज़ों में खतियान, रसीद, दाखिल-खारिज, या अन्य सरकारी दस्तावेज़ शामिल हैं। यह प्रक्रिया यह सुनिश्चित करती है कि भूमि का स्वामित्व स्पष्ट और कानूनी रूप से मान्यता प्राप्त हो, जिससे भविष्य में किसी भी विवाद या असहमति से बचा जा सके।

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