Dilip Vengsarkar: दिलीप वेंगसरकर, जिन्हें भारतीय क्रिकेट में कर्नलके नाम से जाना जाता है, 1983 के विश्व कप विजेता टीम के अहम सदस्य थे। वेंगसरकर की बल्लेबाजी का लोहा क्रिकेट जगत ने हमेशा माना है। उनके करियर की सबसे शानदार यादों में से एक वह क्षण था जब वेस्टइंडीज के खिलाफ खेले गए फाइनल मैच में भारत ने अप्रत्याशित जीत हासिल की। वेंगसरकर ने अपनी बल्लेबाजी से टीम को कई महत्वपूर्ण मौकों पर समर्थन दिया, लेकिन 1983 के विश्व कप के दौरान उनकी चोट ने उन्हें अपनी पूरी भूमिका निभाने से रोक दिया। वेंगसरकर ने इस टूर्नामेंट में महत्वपूर्ण पारियां खेली, हालांकि, वेस्टइंडीज के खिलाफ मैच में उन्हें एक तेज बाउंसर से चोट लग गई, जिससे उनका विश्व कप सफर जल्द ही समाप्त हो गया। बावजूद इसके, उनकी रणनीतिक सोच और मानसिक मजबूती ने टीम को प्रेरित किया, और वे भारतीय क्रिकेट के एक महान हस्ताक्षर बन गए।

दिलीप वेंगसरकर, भारतीय क्रिकेट के महान बल्लेबाजों में से एक, आज (6 अप्रैल) को 69 वर्ष के हो गए हैं। महाराष्ट्र के राजापुर में 6 अप्रैल 1956 को जन्मे वेंगसरकर ने भारतीय क्रिकेट को नई दिशा दी और अपनी अद्भुत बल्लेबाजी से दुनियाभर में अपनी छाप छोड़ी। उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता।

वेंगसरकर की कप्तानी में टीम इंडिया
वेंगसरकर ने 1987 से 1989 तक भारतीय क्रिकेट टीम की कप्तानी की। उनकी कप्तानी में भारतीय टीम ने दो टेस्ट मैचों और आठ वनडे मुकाबलों में जीत हासिल की। वेंगसरकर ने अपनी कप्तानी से टीम इंडिया को नई ऊर्जा दी और उनकी उपस्थिति से टीम को एक दृढ़ नेतृत्व मिला। हालांकि, वेंगसरकर की कप्तानी के दौरान टीम इंडिया ने महत्वपूर्ण मैचों में सफलता हासिल की, लेकिन उनकी बल्लेबाजी पर भी सभी की निगाहें रहती थीं।

लॉर्ड्स में वेंगसरकर का अभूतपूर्व रिकॉर्ड
वेंगसरकर का करियर बहुत ही शानदार रहा और खासतौर पर उनका रिकॉर्ड लॉर्ड्स क्रिकेट मैदान पर अविस्मरणीय है। उन्होंने इस ऐतिहासिक मैदान पर 4 टेस्ट मैचों में शानदार प्रदर्शन किया, जहां उनकी बैटिंग औसत 72.57 रही और उन्होंने 508 रन बनाए। इस दौरान उनके बल्ले से तीन शतक निकले, और वह लॉर्ड्स पर तीन लगातार शतक लगाने वाले पहले गैरइंग्लिश बल्लेबाज बने। वेंगसरकर ने 1979 में पहली बार लॉर्ड्स पर टेस्ट मैच खेला था और वहां उन्होंने 103 रन बनाकर वापसी की थी, जबकि 1982 में भी उन्होंने 157 रन की शानदार पारी खेली।

इंटरनेशनल करियर की शुरुआत और समाप्ति
उनकी क्रिकेट यात्रा 1976 में न्यूजीलैंड के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय टेस्ट मैच से शुरू हुई थी, और उनका अंतिम टेस्ट मैच 1992 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पर्थ में हुआ। कुल मिलाकर, वेंगसरकर ने 116 टेस्ट मैचों में 42.13 की औसत से 6868 रन बनाए, जिसमें 17 शतक और 35 अर्धशतक शामिल हैं। वहीं, उन्होंने 129 वनडे मैचों में 3508 रन बनाए, जिसमें एक शतक और 23 अर्धशतक शामिल थे।

कर्नलउपनाम का रोचक किस्सा
वेंगसरकर को उनके करियर के दौरान कर्नलउपनाम से भी पुकारा जाता था। यह नाम उन्हें तब पड़ा था जब 1975 में ईरानी ट्रॉफी के एक मैच में बॉम्बे (अब मुंबई) के लिए शानदार शतक बनाने के बाद भारतीय क्रिकेट के दिग्गज लाला अमरनाथ ने उनकी तुलना कर्नल सीके नायडू से की थी। इसके बाद से वेंगसरकर क्रिकेट जगत में कर्नलके नाम से मशहूर हो गए।

वेंगसरकर का साहस और एक दिलचस्प किस्सा
वेंगसरकर का एक और दिलचस्प किस्सा है जो उनके साहस और हिम्मत को दर्शाता है। साल 1994 में वेंगसरकर वानखेड़े स्टेडियम में मुंबई और पंजाब के बीच मैच देखने गए थे। इस दौरान कुछ शरारती दर्शकों ने उन्हें परेशान करना शुरू कर दिया। वेंगसरकर को यह इतना नागवार गुजरा कि उन्होंने स्टेडियम के स्टैंड से कूदकर उन शरारती दर्शकों का सामना किया और उनमें से एक को पकड़ कर थप्पड़ मार दिया।

वेंगसरकर का भारतीय क्रिकेट में योगदान
वेंगसरकर ने भारतीय क्रिकेट के लिए कई महत्वपूर्ण योगदान दिए, न केवल एक खिलाड़ी के रूप में, बल्कि एक चयनकर्ता और क्रिकेट प्रशासन में भी। उन्होंने 1987 में विस्डन क्रिकेटर ऑफ द इयर का पुरस्कार भी जीता और भारतीय क्रिकेट में उनके योगदान के लिए उन्हें पद्म श्री और सीके नायडू लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

वेंगसरकर के योगदान को हमेशा याद किया जाएगा, और उनके द्वारा किए गए शानदार खेल के कारण वह भारतीय क्रिकेट के इतिहास में एक अमर नाम बन गए हैं। उनका क्रिकेट जीवन हमेशा प्रेरणादायक रहेगा, और उनकी उपलब्धियाँ आने वाली पीढ़ियों के लिए मार्गदर्शन का काम करती रहेंगी।

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