Divorce Alimony Rules: आज हम एक बेहद ही संवेदनशील लेकिन ज़रूरी विषय पर बात करने जा रहे हैं — जो कि है तलाक और उससे जुड़ी वित्तीय और संपत्ति से संबंधित अधिकारों पर। ऐसे तो भारत में तलाक अब कोई अनसुनी बात नहीं रही। लेकिन इसके पीछे की हकीकत और इससे जुड़े नियम–कानून बहुत से लोगों को नहीं पता होते। खासकर तब जब बात पति के अधिकारों की हो। तलाक के बाद पत्नियों के क्या अधिकार है ये तो ज़्यादातर लोगों को पता होता है. लेकिन क्या आप जानते है कि तलाक के बाद कुछ ऐसी भी चीज़ें होती है जिसपे सिर्फ पति का ही अधिकार होता है. आज के इस आर्टिकल में हम इन्ही सब चीज़ों के बारे में बात करेंगे लेकिन उससे पहले बात करते है तलाक के आकड़ों की.
तलाक के आंकड़े क्या कहते हैं?
राष्ट्रीय महिला आयोग के एक हालिया सर्वे के अनुसार, दिसंबर 2024 से जनवरी 2025 के बीच किए गए एक अध्ययन में सामने आया कि शादी के पांच से दस साल के भीतर 36.65% दंपतियों के रिश्तों में दरार देखने को मिली। सर्वे में बिहार के करीब 5 लाख 76 हजार से ज्यादा दंपतियों को शामिल किया गया। चौंकाने वाली बात यह रही कि इन दंपतियों में दो लाख पचास हजार से अधिक पत्नियों ने “सखी वन स्टॉप सेंटर” पर शिकायत दर्ज कराई थी।
इस रिपोर्ट से एक बात तो साफ है — रिश्तों में खटास की शुरुआत छोटी–छोटी बातों से होती है और समय के साथ ये मसले तलाक तक पहुंच जाते हैं।
तलाक का असर सिर्फ रिश्तों तक नहीं होता…
तलाक केवल पति–पत्नी के रिश्ते को ही नहीं तोड़ता, बल्कि दो परिवारों, बच्चों और समाज में भी गहरा असर डालता है। लेकिन एक महत्वपूर्ण पहलू जिसे अक्सर नजरअंदाज किया जाता है, वो है वित्तीय और संपत्ति से जुड़े अधिकार, खासकर पति के अधिकार।
अक्सर जब तलाक की बात होती है तो महिला के अधिकारों की चर्चा होती है — एलिमनी, मेंटेनेंस, गहने, उपहार वगैरह। मगर पति के पास भी कुछ अधिकार होते हैं, जिनकी जानकारी जरूरी है।
पति के संपत्ति से जुड़े अधिकार
- उपहार पर अधिकार:
शादी से पहले या शादी के दौरान पत्नी के माता–पिता द्वारा दिए गए उपहार, अगर पति को दिए गए हों, तो उस पर पति का अधिकार होता है। - पत्नी के नाम पर खरीदी गई संपत्ति:
अगर पति ने कोई संपत्ति पत्नी के नाम खरीदी लेकिन उसे बतौर गिफ्ट घोषित नहीं किया, तो उस संपत्ति पर कानूनी रूप से पत्नी का अधिकार नहीं होता। - साझा संपत्ति का बंटवारा:
अगर पति–पत्नी ने मिलकर कोई संपत्ति खरीदी है और फाइनेंस पति ने किया है, तो तलाक की स्थिति में उस संपत्ति पर पति का मजबूत दावा होता है। संपत्ति का विभाजन दोनों के आर्थिक योगदान के आधार पर किया जाता है। - पैतृक संपत्ति पर अधिकार:
पत्नी का पति की पैतृक संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं होता, जब तक कि उसे कानूनी रूप से उसमें शामिल न किया गया हो। मतलब पति की विरासत में मिली संपत्ति पर पत्नी तलाक के बाद दावा नहीं कर सकती।
पत्नी के अधिकार – कोर्ट द्वारा तय एलिमनी
तलाक के बाद, भारतीय कानून के अनुसार, पत्नी को एलिमनी दी जाती है, जो पति की आमदनी और पत्नी की जरूरतों के आधार पर कोर्ट तय करता है।
इसके अलावा:
- शादी में मिले गहने और उपहार पर पत्नी का पूरा अधिकार होता है।
- अगर प्री–नेप्चुअल एग्रीमेंट हुआ है, तो संपत्ति का बंटवारा उसी के आधार पर होता है।
दोस्तों, तलाक एक सामाजिक, मानसिक और आर्थिक रूप से कठिन प्रक्रिया है। लेकिन इससे जुड़े अधिकारों की जानकारी होना बेहद जरूरी है, ताकि कोई भी व्यक्ति कानून की अनभिज्ञता के कारण न्याय से वंचित न रह जाए।
अगर आप या आपके जानने वाले ऐसे किसी दौर से गुजर रहे हैं, तो कृपया किसी अच्छे वकील से सलाह लें और अपने अधिकारों की जानकारी अवश्य रखें।
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