गिफ्ट डीड और वसीयत दोनों में कौन है बेहतर और क्या है अंतर?

अक्सर हम अपने जन्मदिन, शादी या सालगिरह जैसे अवसर पर मिलने वाले गिफ्ट से काफी उत्साहित होते हैं. इन समारोहों के दौरान हमारे कई रिश्तेदार और मातापिता हमें कई उपहार देते हैं. ये उपहार छोटीमोटी चीजें जैसे कपड़े और गहने से लेकर प्रॉपर्टी तक हो सकते हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि कई गिफ्ट ऐसे होते हैं, जिनका टैक्स भी देना पड़ता है. टैक्स केवल उन्हीं गिफ्ट पर देना होता है, जो 50 हजार से ज्यादा कीमत के होते हैं.

हममें से कई लोग ऐसे होंगे जिन्हें प्रॉपर्टी, घर और न जाने कई ऐसी चीजें अपने मातापिता और रिश्तेदारों से उपहार में मिली होगी. यदि आपको किसी से प्रॉपर्टी उपहार मिलती है, तो इसे गिफ्ट डीड कहते हैं. हालाँकि कई लोग ऐसे भी हैं, जो अपनी संपत्ति वसीयत में दे देते हैं. यदि आपका कोई करीबी रिश्तेदार आपको गिफ्ट देता है. तो इस दौरान कुछ मौकों पर आपको टैक्स देने की जरूरत नहीं होती है. इसके अलावे आपकी शादी के मौके पर आपको जो गिफ्ट मिलते हैं, इसमें भी आपको टैक्स नहीं देना होता है. आपका कोई ब्लड रिलेटिव है या नजदीकी रिश्तेदार है और ये आपको गिफ्ट डीड करता है तो इस दौरान भी आपको टैक्स चुकाने की जरूरत नहीं होती है.

वसीयत और गिफ्ट डीड में कौन है बेहतर?

कई लोग गिफ्ट डीड और वसीयत को लेकर कंफ्यूज रहते हैं. लेकिन आज हम आपको इसकी विस्तार से जानकारी देंगे. हम आपको बताएंगे कि गिफ्ट डीड क्या है और वसीयत क्या है. वसीयत कोई भी हो यदि उसमें आपका नाम लिखा है, तो ऐसी स्थिति में आपको टैक्स देने की जरूरत नहीं होगी. वहीँ यदि कोई आपको गिफ्ट डीड करता है और इसकी कीमत पचास हजार से ज्यादा की है, तो यह टैक्स के दायरे में आते हैं. लेकिन जब कोई आपका नजदीकी रिश्तेदार या ब्लड रिलेटिव आपको गिफ्ट डीड करता है, तो सरकार इसमें आपसे टैक्स नहीं लेती.

वसीयत और गिफ्ट डीड में जानें अंतर

गिफ्ट को तीन केटेगरी में बांटा गया है. इसमें मॉनेटरी गिफ्ट, अचल संपत्ति और चल संपत्ति शामिल है. मॉनेटरी गिफ्ट में कैश, चेक, ड्राफ्ट, UPI और बैंक ट्रान्सफर आयेंगे. अचल संपत्ति में जमीन, घर, दुकान, फ़्लैट और कमर्शियल प्रॉपर्टी शामिल है. वहीँ चल संपत्ति में पेंटिंग, शेयर, बांड्स, कॉइन और ज्वेलरी आदि शामिल है. इनमें से कोई भी गिफ्ट आपको आपकी शादी के दौरान मिले तो सरकार ऐसे उपहार में किसी तरह का टैक्स नहीं लेती है. हालाँकि इस दौरान जरुरी है कि इस तरह के गिफ्ट का विवरण आप अपने पास रखें. वर्ना आगे चल कर परेशानी हो सकती है. साथ हीं शादी में मिले इस तरह के महंगे उपहार की जानकारी आपको इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करते समय भी देनी होगी. इस दौरान आपका मैरिज प्रूफ भी आपसे माँगा जायेगा. इसके अलावे यह भी ध्यान में रखें कि गिफ्ट से होने वाली आपकी आय इनकम टैक्स के दायरे में आती है.

बात करें वसीयत की, तो यह यह औपचारिक क़ानूनी दस्तावेज की तरह होता है. वसीयत में सम्पत्ति मालिक लिखता है कि उसकी मृत्यु के बाद कौन उसकी संपत्ति का मालिक होगा. भारत सरकार वसीयत पर भी किसी तरह के टैक्स नहीं लेती है. चाहे वो वसीयत रिश्तेदार से मिले चाहे किसी भी व्यक्ति से. लेकिन गिफ्ट डीड में यदि नजदीकी रिश्तेदार को छोड़कर कोई दूसरा व्यक्ति उपहार तो और उसकी कीमत 50 हजार से अधिक हो तो, इस दौरान यह टैक्स के दायरे में आता है. वसीयत किसी को तभी मिल सकती है, जब प्रॉपर्टी मालिक की मृत्यु हो जाए. उसकी मृत्यु के बाद वसीयत में जिसका भी नाम होगा प्रॉपर्टी उसके नाम पर ट्रान्सफर कर दिए जायेंगे.

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