Green Veins: क्या आपने कभी अपनी कलाई या हाथ पर गौर किया है? ज़्यादातर लोगों ने देखा होगा कि त्वचा के नीचे से गुजरती नसें नीली या हरी दिखाई देती हैं। लेकिन ये देखकर मन में एक सवाल जरूर उठता है—जब खून का रंग लाल होता है, तो नसें नीली क्यों नजर आती हैं? आज हम जानेंगे इसके पीछे छिपा वो साइंस, जो न सिर्फ दिलचस्प है बल्कि आपके नजरिए को भी बदल सकता है।
खून का रंग लाल क्यों होता है?
हमारे खून में हीमोग्लोबिन नाम का एक प्रोटीन होता है। इसका काम होता है फेफड़ों से ऑक्सीजन लेकर शरीर के हर हिस्से तक पहुंचाना। जब हीमोग्लोबिन ऑक्सीजन के संपर्क में आता है, तो उसका रंग चमकदार लाल हो जाता है।
यही ऑक्सीजन–युक्त खून होता है जो दिल से धमनियों (arteries) के ज़रिए शरीर में फैलता है।
जब शरीर की कोशिकाएं ऑक्सीजन इस्तेमाल कर लेती हैं, तो बचा हुआ खून नसों (veins) के ज़रिए वापस दिल और फिर फेफड़ों की ओर लौटता है, जहां उसे दोबारा ऑक्सीजन मिलती है।
हालांकि, इस ऑक्सीजन–रहित खून का रंग थोड़ा गहरा लाल होता है, लेकिन कभी भी नीला नहीं होता।
फिर नसें नीली क्यों दिखती हैं?
अब आते हैं सबसे ज़रूरी सवाल पर—जब खून लाल है, तो नसें नीली या हरी क्यों नजर आती हैं?
असल में, ये एक “विजुअल ट्रिक“ है, यानि एक नज़रों का धोखा। नसों का रंग वास्तव में नीला नहीं होता, लेकिन हमें ऐसा दिखाई देता है। इसके पीछे दो बड़ी वजहें होती हैं:
1. रोशनी और त्वचा की परतें
जब सूरज की या कमरे की रोशनी हमारी त्वचा पर पड़ती है, तो वो त्वचा में प्रवेश करती है और उसमें से कुछ रंग की तरंगें अवशोषित (absorb) हो जाती हैं, जबकि कुछ वापस परावर्तित (reflect) हो जाती हैं।
- लाल रंग की तरंगें लंबी होती हैं, जो त्वचा की गहराई तक चली जाती हैं।
- नीली तरंगें छोटी होती हैं, जो सतह के पास ही रुक जाती हैं और जल्दी वापस लौट आती हैं।
यही नीली तरंगें हमारी आंखों तक पहुंचती हैं और हमें नसें नीली या हरी दिखाई देती हैं।
2. आंख और दिमाग का तालमेल
हमारी आंखें और दिमाग मिलकर जो रंग ‘महसूस’ करते हैं, वो जरूरी नहीं कि वही असलियत हो। नसों के आसपास की त्वचा, उनकी गहराई और उस पर पड़ने वाली रोशनी—ये सभी मिलकर हमारे दिमाग को ये “भ्रम” देती हैं कि नसें नीली हैं।
क्या ऑक्सीजन की कमी से नसें नीली दिखती हैं?
बहुत से लोग मानते हैं कि नसें नीली इसलिए लगती हैं क्योंकि उनमें ऑक्सीजन–रहित खून बहता है। लेकिन ये पूरी तरह से गलत है। ऑक्सीजन–रहित खून भी लाल ही होता है—थोड़ा गहरा, पर कभी नीला नहीं।
तो इसका नसों के नीला दिखने से कोई लेना–देना नहीं है।
त्वचा के रंग का भी असर
गोरी त्वचा वाले लोगों की नसें ज्यादा साफ और नीली–हरी दिखाई देती हैं, जबकि गहरे रंग की त्वचा में यह अंतर कम दिखाई देता है। त्वचा की मोटाई, उसका रंग और नसों की गहराई—ये सब तय करते हैं कि कोई नस आपको किस रंग की दिखेगी।
हर किसी को नसें अलग दिखती हैं
यह भी दिलचस्प है कि सभी लोग नसों को एक जैसा नहीं देखते।
किसी को वे हल्की नीली, किसी को हरी, और किसी को स्लेटी दिख सकती हैं। यह आपके visual perception पर निर्भर करता है, यानी आपकी आंखें और दिमाग रंगों को कैसे समझते हैं।
नसों का रंग वास्तव में नीला या हरा नहीं होता। यह सिर्फ एक दृष्टि भ्रम (optical illusion) है, जो हमारी आंखों, दिमाग और रोशनी की चालाकी से पैदा होता है।
अब जब अगली बार कोई पूछे कि “खून तो लाल होता है, तो नसें नीली क्यों दिखती हैं?” — तो आप उसे confidently इस विज्ञान के साथ जवाब दे सकते हैं।
क्योंकि जो दिखता है, वो हमेशा सच नहीं होता — और यही विज्ञान की सबसे दिलचस्प बात है।
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