Guidelines For Coaching Centre: सरकार लगाएगी कोचिंग सेंटर पर लगाम, नहीं कर पायेंगे सेलेक्शन के झूठे दावे

केंद्र सरकार द्वारा जारी हुए निर्देश

Guidelines For Coaching Centre: कोचिंग सेंटर्स के पोस्टर या बैनर्स पर अक्सर यह विज्ञापन देखने को मिल ही जाता है कि 100 फ़ीसदी सेलेक्शन सम्बंधित कोचिंग में पढ़ने से हो जायेगी. हालांकि, वास्तव में ऐसा होता नहीं है. कोचिंग सेंटर्स के झूठे दावे से प्रभावित होकर बच्चे अपनी आँखों में भविष्य में डॉक्टर, इंजिनियर, डीएम, इत्यादि बनने के कई सपने लिए गांव या कस्बों से शहर आते हैं और इनकी बिछायी जाल का शिकार बनते हैं. बच्चों को लगातार पढ़ाई करने के बाद भी सफ़लता हासिल नहीं हो पाती है और वे हताश हो जाते हैं. असफ़लता और लाखों रुपयों के ख़र्च होने का सदमा वे बर्दाश्त नहीं कर पाते हैं और इसी वजह से वे कोई ग़लत कदम उठा लेते हैं. ऐसे ही कोचिंग सेंटर्स के झूठे दावे और विज्ञापन पर नकेल कसने के लिए केंद्र सरकार ने कुछ गाइडलाइन्स जारी किये हैं. केंद्र सरकार की इस गाइडलाइन में यह साफ़ तौर से ज़ाहिर हो रहा है कि 100 फ़ीसदी सेलेक्शन या 100 प्रतिशत नौकरी की गारंटी देने जैसे झूठे दावे वाले विज्ञापन पर अब रोक लगायी जाए. इस बात की जानकारी उपभोक्ता मंत्रालय की सचिव निधि खरे ने मीडिया से बातचीत के दौरान दी. सचिव निधि खरे ने बताया कि यूपीएससी, नीट, जेईई और अन्य परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्रछात्राओं को लुभाने व ज़्यादा पैसे ऐंठने के लिए कोचिंग सेंटर्स इस तरह के झूठे दावे करते हैं. सेंटर कस्टमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी ने इससे सम्बंधित एक ड्राफ्ट तैयार कर लिया है और बता दें कि अब तक 54 नोटिस जारी किये जा चुके हैं. साथ ही, 54.60 लाख़ रुपयों का जुर्माना भी लगाया है.

क्या है नए दिशा निर्देश में?

उपभोक्ता मंत्रालय की सचिव निधि खरे ने कहा कि सरकार इन कोचिंग सेंटर्स के खिलाफ़ नहीं है. सरकार केवल यह चाहती है कि झूठे विज्ञापनों पर रोक लगनी चाहिए. यदि जारी हुए निर्देशों के बाद भी कोई कोचिंग सेंटर ग़लत विज्ञापन बनाते हैं तो उन पर 10 लाख़ रुपयों से लेकर 50 लाख़ रुपयों तक का जुर्माना लगाया जाएगा. अगर इसके बाद भी वो अपनी मनमानी चलाते हैं तो उनका लाइसेंस ही रद्द कर दिया जाएगा. केंद्र सरकार द्वारा यह फ़ैसला छात्रछात्राओं की बेहतरी के लिए ही लिया गया है. निधि खरे ने यह भी बताया कि ये कोचिंग सेंटर्स जानबुझकर छात्रछात्राओं से ज़रूरी जानकारियों को छिपाते हैं. सरकार द्वारा जारी नए दिशा निर्देश के तहत किसी भी कोचिंग सेंटर्स के विज्ञापनों में 100 फ़ीसदी चुने जाने के झूठे वादे नहीं किये जाने चाहिए. सम्बंधित कोर्स और उसकी अवधि की पूरी जानकारी उपलब्ध होनी चाहिए. इसके बाद शिक्षकों की सही जानकारी विज्ञापनों में होनी चाहिए. फ़ीस और रिफंड पॉलिसी की जानकारी में पारदर्शिता होनी चाहिए और परीक्षा में अच्छे अंकों से उत्तीर्ण हुए छात्रछात्राओं की सहमति के बिना उनके नाम व फ़ोटो विज्ञापन में नहीं डालने हैं.

ऐसे करते हैं कोचिंग सेंटर्स धांधली

अक्सर अख़बारों में नीट, जेईई, आदि की परीक्षा होने के बाद कोचिंग सेंटर्स छात्रछात्राओं के नाम, उनकी फ़ोटो, रैंक, आदि अपने विज्ञापन के लिए छपवा देते हैं. इससे उनके कोचिंग सेंटर का प्रचारप्रसार अच्छे से हो जाता है और अगले बैच के लिए बच्चे विज्ञापनों से प्रभावित होकर उसमें नामांकन करवा लेते हैं. लेकिन, अब से किसी भी कोचिंग सेंटर को इस तरह के विज्ञापन बनाने से पहले बच्चों से लिखित रूप में उनकी सहमति लेनी होगी. ऐसा इसलिए क्यूंकि, निधि खरे ने बताया कि एक कोचिंग सेंटर ने अपने विज्ञापन में लिखा था कि यूपीएससी की परीक्षा में वर्ष 2022-23 में 300 से ज़्यादा बच्चों का चयन हुआ था. उसमें से चार लोग टॉपर थे और 16 बच्चों की तस्वीरें भी विज्ञापन भी छापी गयी. इसमें जब उपभोक्ता मंत्रालय द्वारा जांच की गयी तो यह सामने आया कि इन बच्चों द्वारा चुने गये कोर्स के बारे में जानबूझकर कोचिंग सेंटर ने जानकारी छिपाई थी. सिर्फ़ इतना ही नहीं, इनमें से 3 से अधिक बच्चों ने तो यह दावा भी किया था वे सेंटर में केवल मॉक इंटरव्यू देने गये थे.

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