house tax: 1996 के बाद घर बनवाने वाले हो जाएँ सावधान, श्रम विभाग की आपके भवन पर है नज़र

अगर आपने अपने घर का निर्माण 1996 के बाद करवाया है और उसकी कुल लागत 10 लाख रुपये से अधिक है, तो आपको श्रम विभाग द्वारा एक फीसदी सेस चुकाने के लिए तैयार रहना होगा। श्रम विभाग ने इस सेस को लागू करने के लिए नोटिस भेजने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। यह सेस भवन की कुल लागत पर लागू होगा और इसका इस्तेमाल श्रमिकों के कल्याण के लिए किए जा रहे विभिन्न योजनाओं में किया जाएगा। श्रम विभाग द्वारा जारी किए गए नोटिस में मकान की कुल निर्माण लागत और उस पर चुकाए जाने वाले सेस की राशि का विवरण दिया गया है। इस योजना के तहत, 1996 के बाद बने भवनों को इस टैक्स का भुगतान करना होगा। पहले चरण में श्रम विभाग ने जिले में बने कॉमर्शियल भवनों को टारगेट किया है। इस अभियान के दौरान कई होटल मालिक, स्कूलकॉलेज संचालक, अस्पताल के मालिक, बड़े बिल्डर्स, शोरूम संचालक, दुकान मालिक, विवाह भवन और मॉल मालिकों को नोटिस भेजे गए हैं।

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श्रम विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, अब तक कई कॉमर्शियल भवन मालिकों को नोटिस भेजी जा चुकी है। विभाग का कहना है कि यह नोटिस भेजने की प्रक्रिया लगातार जारी रहेगी। श्रम विभाग के अधीक्षक सत्य प्रकाश के अनुसार, केंद्र सरकार ने 1996 में एक कानून लागू किया था, जिसके तहत 10 लाख रुपये से अधिक की लागत से बने भवनों पर एक फीसदी टैक्स चुकाना अनिवार्य कर दिया गया था। अब, जिले में इन भवनों का सर्वेक्षण किया जा रहा है और नोटिस भेजे जा रहे हैं। इस पहल का उद्देश्य श्रमिकों के लिए धन एकत्र करना है, जिसे विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं में खर्च किया जाएगा। सचिवालय के अनुसार, अब तक लाखों रुपये की वसूली की जा चुकी है। श्रमिकों के हित में चल रही योजनाओं में से कुछ योजनाओं में चिकित्सा सहायता, शिक्षा, पेंशन, दुर्घटना बीमा जैसी सुविधाएं शामिल हैं। इन योजनाओं का उद्देश्य श्रमिकों की जीवन गुणवत्ता को सुधारना और उनके कल्याण के लिए आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराना है।

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अगर तीन नोटिसों के बाद भी भवन मालिक ने भुगतान नहीं किया, तो उन्हें सेस की राशि में दोगुना वृद्धि का सामना करना पड़ सकता है। यानी, उन्हें सेस की राशि का 2 प्रतिशत चुकाना होगा। इसके अलावा, अगर निर्धारित समय के भीतर भुगतान नहीं किया जाता है, तो हर महीने 2 फीसदी ब्याज भी देना पड़ सकता है। यह अभियान श्रम विभाग द्वारा की जा रही एक महत्वपूर्ण पहल है, जिसका उद्देश्य श्रमिकों के लिए धन जुटाना और उनकी भलाई के लिए विभिन्न योजनाओं को मजबूत करना है। इसके जरिए न केवल श्रमिकों के कल्याण में मदद मिलेगी, बल्कि भवन निर्माण के बाद चुकाए जाने वाले सेस से सरकार को भी राजस्व मिलेगा, जिसे वह श्रमिकों के लिए विशेष योजनाओं में इस्तेमाल कर सकेगी।

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