hydrogen plant in bihar: बिहार के इस जिले में स्थापित हो रहा पहला हाइड्रोजन फ्यूल प्लांट, राज्य को होंगे ये फायदे
बिहार के पहले हाइड्रोजन फ्यूल प्लांट की स्थापना की तैयारी जोरों से चल रही है। यह प्लांट बेतिया कुमारबाग के औद्योगिक क्षेत्र में स्थापित किया जाएगा और यह राज्य का पहला हाइड्रोजन फ्यूल प्लांट होगा। बता दें कि यह एक पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया जा रहा है, जिसमें कुल 56 करोड़ रुपये की राशि खर्च की जाएगी। यह परियोजना पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक अहम पहल साबित हो सकती है, खासकर जब पूरे देश में स्वच्छ और हरित ऊर्जा के स्रोतों को बढ़ावा देने की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं।
बिहार सरकार ने इस परियोजना के लिए एक एमओयू (सहमति पत्र) पर हस्ताक्षर किए हैं और अब भूमि के चयन की प्रक्रिया चल रही है। सरकार का कहना है कि मार्च तक इस परियोजना के लिए उपयुक्त भूमि चिन्हित कर ली जाएगी, जिसके बाद निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा। परियोजना के पूरी तरह से चालू होने के बाद न केवल शुद्ध जल की उपलब्धता होगी, बल्कि जिला मुख्यालय से वाल्मीकिनगर तक हाइड्रोजन बसों का संचालन भी शुरू होगा। इस सेवा से पर्यटकों को लाभ होगा, और परिवहन के क्षेत्र में एक नया युग शुरू करेगा।
इस परियोजना का सबसे बड़ा लाभ वाल्मीकि टाइगर रिजर्व आने वाले पर्यटकों को होगा। हाइड्रोजन से चलने वाली दो बसें रोजाना जिला मुख्यालय से वाल्मीकिनगर तक यात्रियों को लाने और ले जाने का काम करेंगी। यह पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के साथ–साथ, प्रदूषण को कम करने का भी एक प्रभावी उपाय होगा। इस परियोजना के पहले चरण में दो हाइड्रोजन बसों का संचालन किया जाएगा।
सांसद डॉ. संजय जायसवाल ने बताया कि वैश्विक स्तर पर पर्यावरण संरक्षण और ग्लोबल वार्मिंग को लेकर तेजी से कदम उठाए जा रहे हैं। इस संदर्भ में, भारत भी स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में पीछे नहीं रहना चाहता, और इस कारण से सरकार ने इस महत्वाकांक्षी योजना को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया है। हालांकि, यह फिलहाल व्यावसायिक उत्पादन के रूप में नहीं होगा, लेकिन यदि यह प्रोजेक्ट सफल रहता है, तो भविष्य में हाइड्रोजन को एक मुख्य ईंधन के रूप में अपनाया जा सकता है।
इस परियोजना में हाइड्रोजन का उत्पादन सोलर पैनल द्वारा किया जाएगा। एक सोलर प्लांट स्थापित किया जाएगा, जिससे हाइड्रोजन का उत्पादन किया जाएगा और उसका उपयोग होगा। इस प्रक्रिया के दौरान पर्यावरण पर इसके प्रभाव का भी आकलन किया जाएगा। यह देखा जाएगा कि हाइड्रोजन फ्यूल से चलने वाले वाहन कितने पर्यावरण अनुकूल होते हैं और इसके साथ ही इसे अधिक प्रभावी रूप से कैसे इस्तेमाल किया जा सकता है।
सांसद ने यह भी बताया कि पहले इलेक्ट्रिक वाहनों को लेकर बहुत उत्साह था, लेकिन डीसीएम (डायरेक्ट करंट मोटर) के कारण प्रदूषण की समस्या बनी रही। इस समस्या को हल करने के लिए हाइड्रोजन फ्यूल एक बेहतर विकल्प हो सकता है, जो न केवल प्रदूषण को कम करेगा, बल्कि पर्यावरण की सुरक्षा में भी योगदान देगा।
इस हाइड्रोजन फ्यूल प्लांट की शुरुआत से न केवल बिहार में स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में एक नई दिशा मिलेगी, बल्कि यह भविष्य में पूरे देश में हाइड्रोजन को एक मुख्य ईंधन के रूप में अपनाने के रास्ते खोल सकता है। यदि यह पायलट प्रोजेक्ट सफल होता है, तो देश भर में हाइड्रोजन फ्यूल का इस्तेमाल बढ़ सकता है, जिससे पर्यावरण संरक्षण के साथ–साथ ऊर्जा संकट पर भी नियंत्रण पाया जा सकेगा।
इस परियोजना से जुड़े सभी पहलुओं का विश्लेषण किया जाएगा और यह देखा जाएगा कि हाइड्रोजन का उत्पादन और उपयोग पर्यावरण के लिए कितना सुरक्षित और प्रभावी है। यह कदम बिहार को स्वच्छ और हरित ऊर्जा की दिशा में एक महत्वपूर्ण स्थान दिलाने की दिशा में बड़ा कदम साबित हो सकता है।