Indian Railway Lifeline Express: भारतीय रेलवे की लाइफलाइन एक्सप्रेस, बचा रही है लाखों लोगों की ज़िंदगी

लाइफलाइन एक्सप्रेस है चलता फिरता हॉस्पिटल

Indian Railway Lifeline Express: सड़क पर जब भी कोई हादसा हो जाता है या किसी व्यक्ति की तबीयत अत्यधिक बिगड़ने लगती है तो लोग फ़ौरन ही एम्बुलेंस को कॉल करके बुलाते हैं और किसी सड़क से अगर एम्बुलेंस गुज़रती है तो उस वक़्त वहां मौजूद सभी वाहनों को एम्बुलेंस को रास्ता देना होता है. ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि एम्बुलेंस को हॉस्पिटल पहुंचने में देरी ना हो और घायल व्यक्ति या मरीज़ वक़्त रहते बच जाए. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि एम्बुलेंस सिर्फ़ सड़कों पर ही नहीं, बल्कि भारत देश में पटरियों पर भी दौड़ती है. भारतीय रेलवे द्वारा कई तरह की ट्रेनें चलाई जाती हैं, जिसमें मेल, पैसेंजर, दुरंतो सुपरफास्ट, राजधानी एक्सप्रेस, वन्दे भारत एक्सप्रेस और मालगाड़ी शामिल हैं. इसी तरह से रेलवे ट्रैक पर एम्बुलेंस ट्रेन भी चलाई जाती है. यह एक प्रकार का चलताफिरता हॉस्पिटल है. इस चलतेफिरते हॉस्पिटल का नाम लाइफलाइन एक्सप्रेस है. इस ट्रेन को जीवनरेखा एक्सप्रेस भी कहा जाता है. सड़कों पर एम्बुलेंस चलती है और रेलवे ट्रैक पर लाइफलाइन एक्सप्रेस एम्बुलेंस दौड़ती है. जिस तरह सड़कों पर एम्बुलेंस को पहले रास्ता दिया जाता है, वैसे ही रेलवे ट्रैक पर लाइफलाइन एक्सप्रेस को अन्य ट्रेनों द्वारा पहले रास्ता देना होता है. बाद में बाक़ी ट्रेनों को रास्ता मिलता है.

कब हुई थी लाइफलाइन एक्सप्रेस की शुरुआत?

बता दें कि दुनिया की पहली हॉस्पिटल ट्रेन यह लाइफलाइन एक्सप्रेस है. लाइफलाइन एक्सप्रेस के माध्यम से दूर के इलाकों में भी मेडिकल की सुविधाओं को पहुंचाया जाता है. इससे पहले भी हुए ट्रेन हादसों में लाइफलाइन एक्सप्रेस ने घायलों तक मेडिकल की सुविधाएं पहुंचाई थी. जहां किसी इमरजेंसी में डॉक्टर व दवाईयों का पहुंच पाना मुश्किल होता है, उस जगह लाइफलाइन एक्सप्रेस आसानी से पहुंच जाती है. इस एम्बुलेंस ट्रेन की शुरुआत भारतीय रेलवे ने 1991 में किया था. असल में, लाइफलाइन एक्सप्रेस का संचालन भारत सरकार द्वारा इसलिए किया गया था, ताकि इससे दूर के इलाकों में बसे हुए वैसे ग़रीब लोग जो इलाज कराने के लिए बड़े शहरों तक नहीं जा सकते हैं, उन तक इस एम्बुलेंस ट्रेन के ज़रिए मेडिकल की सुविधाएं उपलब्ध करायी जा सके. यह सुविधा ख़ासतौर से उन लोगों को मुहैया करायी जाती है, जो शारीरिक रूप से कही आनेजाने में सक्षम नहीं है. जानकारी के लिए बता दें कि अगर कोई बड़ा रेल हादसा हो जाता है तो वहां पर घायलों के इलाज के लिए लाइफलाइन एक्सप्रेस के बजाय ARME यानी दुर्घटना रहत चिकित्सा उपकरण ट्रेन को भेजा जाता है. दुर्घटना रहत चिकित्सा उपकरण ट्रेन भी मेडिकल सुविधाओं से परिपूर्ण होती है. इस ट्रेन में भी इलाज के लिए सभी ज़रूरी चीज़ें उपलब्ध रहती हैं. सभी ट्रेनों के मुक़ाबले ज़्यादा तवज्जो इस ट्रेन को दी जाती है. यह ट्रेन भारतीय रेलवे की सबसे हाई प्रायोरिटी ट्रेन है. यहां तक कि राजधानी और शताब्दी जैसी ट्रेनों को रोककर पहले इस ट्रेन को रास्ता दिया जाता है.

मरीज़ों को मिलती है ये सुविधाएं

लाइफलाइन एक्सप्रेस को हर तरह से अस्पताल के जैसे डिज़ाइन किया गया है. इसकी बनावट किसी हॉस्पिटल से कम नहीं है. इस ट्रेन में मरीज़ों के लिए बेड भी लगे हुए हैं. साथ ही, कई तरह की आधुनिक मशीनों की व्यवस्था भी है. सिर्फ़ इतना ही नहीं, इस एक्सप्रेस में ऑपरेशन थिएटर भी है. लाइफलाइन एक्सप्रेस में डेडिकेटेड मेडिकल स्टाफ भी मौजूद होते हैं. इस एम्बुलेंस ट्रेन की हर कोच में पॉवर जेनरेटर की सुविधा दी गयी है. इसके अलावा ट्रेन के अन्दर ही मरीज़ों के लिए पैंट्री कार की व्यवस्था की गयी है. आधुनिक सुविधाओं से लैस यह ट्रेन कई सारे लोगों की जान बचाने में सहायक साबित होती है.

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