indian railways vendor: रेलवे यात्रियों को मिलेगी खाने की अच्छी गुणवत्ता, QR कोड से पहचान सकेंगे असली वेंडर

भारतीय रेलवे में यात्रा के दौरान कोच और प्लेटफॉर्म पर घूमते वेंडरों से हम कई बार खानें की चीजें लेते हैं. लेकिन हमें पता हीं नहीं होता कि ये वेंडर अवैध हैं या लाइसेंस लेकर रेलवे पर खाने की चीजें बेच रहें. ऐसे में कई बार अवैध वेंडरों से खाना लेना हमारे स्वास्थ्य पर भी भारी पड़ सकता है. क्योंकि अवैध वेंडर कई बार खराब गुणवत्ता का खाना बेच सकते हैं, या खाने में साफ़सफाई से समझौता कर लेते हैं। इन अवैध वेंडरों के कारण न केवल यात्रियों की सेहत को खतरा होता है, बल्कि लाइसेंसी ठेकेदारों को भी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। इसके अलावा, इन वेंडरों द्वारा बेचे जाने वाले खाद्य पदार्थ और पेय पदार्थ अक्सर खराब गुणवत्ता के होते हैं, जो यात्रियों की सेहत पर विपरीत प्रभाव डालते हैं। इसी समस्या को हल करने के लिए भारतीय रेलवे ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है, जो न केवल यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा, बल्कि अवैध वेंडरों पर भी काबू पाएगा।

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रेल मंत्रालय ने एक नई पहल की शुरुआत की है, जिसके तहत सभी कैटरिंग ठेकेदारों के वेंडरों और सहायकों के लिए क्यूआर कोड युक्त पहचान पत्र अनिवार्य किया जाएगा। इस पहचान पत्र को स्कैन करने पर यात्री अपने स्मार्टफोन पर वेंडर की सारी जानकारी प्राप्त कर सकेंगे। इस पहल से रेल यात्री आसानी से असली और नकली वेंडरों की पहचान कर सकेंगे और अपनी सुरक्षा सुनिश्चित कर सकेंगे।

क्यूआर कोड युक्त पहचान पत्र में वेंडर की तस्वीर, उसका नाम, पता, आधार नंबर, मोबाइल नंबर, और लाइसेंसी ठेकेदार का नाम जैसी जरूरी जानकारी होगी। इसके साथ ही, इस पहचान पत्र में वेंडरों का पुलिस सत्यापन, स्वास्थ्य फिटनेस प्रमाणपत्र, और ठेके की अवधि जैसी जानकारी भी मौजूद होगी। इससे न केवल यात्रियों को उचित जानकारी मिलेगी, बल्कि वेंडरों और सहायकों की गतिविधियों पर भी निगरानी रखी जा सकेगी। इस तरह, क्यूआर कोड आधारित पहचान पत्र से अवैध वेंडरों को रोकने और केवल अधिकृत वेंडरों को ही ट्रेन में विक्रय करने की अनुमति देने में मदद मिलेगी।

अधिकारी बताते हैं कि इस पहल से लाइसेंसी ठेकेदारों को होने वाले राजस्व के नुकसान में भी कमी आएगी। अवैध वेंडर अक्सर चलती ट्रेन में खाद्य पदार्थ, पेय, स्नैक्स, चाय, और कोल्ड ड्रिंक्स जैसे उत्पाद बेचते हैं और स्टेशनों पर भी यह काम चोरीछिपे करते हैं। इससे न केवल ठेकेदारों को नुकसान होता है, बल्कि यात्रियों की सेहत भी प्रभावित होती है। अवैध वेंडरों द्वारा बेची जाने वाली चीजें अक्सर खराब गुणवत्ता की होती हैं, जिससे यात्रियों की सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है। अब, क्यूआर कोड आधारित पहचान पत्र के लागू होने से इन समस्याओं पर काबू पाया जा सकेगा।

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विशाल कुमार सिंह, डीसीआई, सिवान ने इस योजना के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि क्यूआर कोड युक्त पहचान पत्र की प्रणाली पर काम चल रहा है। इसके जल्द ही लागू होने की उम्मीद है। इस पहल से यात्री स्मार्टफोन का उपयोग करके यह जान सकेंगे कि उनके सामने जो वेंडर खड़ा है, वह असली है या नहीं। इससे यात्रियों को स्वच्छता और सुरक्षा का एहसास होगा और साथ ही अवैध वेंडरों की पहचान करना भी आसान हो जाएगा।

इस पहल के जरिए रेलवे अधिकारियों ने यह भी स्पष्ट किया है कि क्यूआर कोड सिस्टम के माध्यम से यात्री यह भी जान पाएंगे कि वेंडर के पास पुलिस सत्यापन है या नहीं, और उसकी सेहत फिटनेस जांच की गई है या नहीं। इसके अलावा, ट्रेन में कार्यरत सभी सहायकों जैसे बेडरोल आपूर्ति करने वाले और हाउस कीपिंग ठेकेदारों के कर्मचारियों के लिए भी यह पहचान पत्र अनिवार्य किया जाएगा।

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