कंहा ढाले जाते हैं 1, 2, 5और 10 रुपये के सिक्कें, जाने सिक्कों के प्रचलन में आने का इतिहास
आज भारत में सिक्के खूब प्रचलन में हैं. चाहे वो एक एक रुपये के हिसाब किताब रखने में हो और सब्जीवाले, ऑटो वाले से एक रुपये का चेंज भी वापस लेना हो. यंहा तक की भारत में तो सिक्के पर बहुत सारी कहावतें भी खूब प्रचलन में है. जैसे कि हर सिक्के के दो पहलु होते हैं. इसके अलवा भी कई और कहावतें है. मगर क्या आपको मालूम है, कि इन सिक्कों का सबसे पहले निर्माण किसने किया था, और यह प्रचलन में कब आई. अगर हम भारत का इतिहास देखें तो, भारत में नियमित राजवंशीय सिक्के सबसे पहले कब जारी की गयी थी, इसकी तिथि विवादास्प्स है, परन्तु इतिहासकारों के अनुसार भारत में सिक्कों की धलाई पहली सहस्त्राब्दी ईसा पूर्व से छठी शताब्दी ईसा पूर्व के बीच शुरू हुई थी. और उस समय मुख्य रूप से ताम्बे और चांदी के सिक्के बनाये जाते थे. इस जानकारी के अनुसार भारत में रुपये–पैसे के निर्माण की प्रक्रिया वैसे तो अंग्रेजों के आने से पहले ही शुरू हो गयी थी. मगर जब हम मॉडर्न हिस्ट्री पढ़ते हैं, तब हमें मालूम होता है, कि सिक्कों को प्रचलन में लाने का काम ईस्ट इण्डिया कंपनी ने किया था.
1757 में प्लासी की लडाई में ईस्ट इण्डिया कंपनी की जीत होने के बाद से ईस्ट इण्डिया कंपनी के हाथों में शासन के अधिकार भी आने शुरू हो गए थे. प्लासी की जीत के पश्चात अंगेजों ने बंगाल के नवाब के साथ एक संधि की, जिससे उन्हें, सिक्के बनाने का अधिकार मिल गया. और इसके बाद ईस्ट इण्डिया कंपनी ने कोलकाता में टकसाल की नीव रखी थी. बता दें कि टकसाल उस कारखाने को कहते हैं, जन्हा देश की सरकार द्वारा, या उसके दिए अधिकार से मुद्राओं और सिक्कों का निर्माण होता है. कोलकाता में टकसाल की नीव रखने के पश्चात ईस्ट इण्डिया कंपनी ने 19 अगस्त 1757 को कंपनी की ओर से पहली बार एक रुपये का पहला सिक्का जारी किया गया था. वैसे तो ईस्ट इण्डिया कंपनी इससे पहले सूरत, बॉम्बे और हैदराबाद में भी टकसाल की स्थापना कर चूका था, मगर एक रुपये का पहले सिक्का पहली बार कोलकाता के ही टकसाल से जारी किया गया था.
हालांकि, उस समय पुरे देश में एक तरह की सिक्कों का चलन नहीं था. बंगाल, मद्रास और बॉम्बे प्रेसिडेंसी में अलग– अलग सिक्के चलते थे. जिस वजह से व्यापर करने वाले व्यापारियों को कई प्रकार की परेशानियों का सामना करने पड़ता था. इस समस्या को देखते हुए साल 1835 में यूनिफार्म क्वायिनेज एक्ट पारित किया गया था. जिसके बाद सभी प्रेसीडेंसी में एक जैसे सिक्के जारी किये गए. उन सिक्कों पर एक तरफ ब्रिटिश किंग विलियम का हेड और दूसरी तरफ अंग्रेजी और पर्शियन में सिक्के की कीमत छपी होती थी. हालांकि, इसके पश्चात 1857 में भारत का शासन पूरी तरह से ब्रिटिश सरकार के कब्जे में आ गया. और तब से सिक्के पर ब्रिटिश मोनार्क की तस्वीरें छपनी शुरू हो गयी थी. जो 1947 में आज़ादी मिलने के बाद भी 1950 तक देश में चलते रहे. इसके बाद एक रुपये का सिका 1962 में चलन में आया जो आज भी बाजारों में धरल्ले से चल रहा है.
रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया की वेबसाइट के अनुसार वर्तमान में भारत में चार टकसाल है. जिनके पास सिक्के बनाने का अधिकार है. मुम्बई, कोलकाता, हैदराबाद और नोएडा, इन चार जगहों पर सिक्कों को ढाला या मिंट किया जाता है. यंही, से निकालकर सिक्के मार्केट में आते हैं. इन चारों मिंट में से देश का सबसे पुराना मिंट कलकत्ता मिंट और मुम्बई मिंट है. दोनों को साल 1859 में अंग्रेजी शासन द्वारा स्थापित किया गया था. जबकि, हैदराबाद मिंट को हैदराबादी निजाम की सरकार द्वारा 1903 में स्थापित किया गया था. जिसे 1947 में अंग्रेजी हुकूमत से भारत को आज़ादी मिलने के पश्चात 1950 में भारत सरकार ने अपने अधिकार में ले लिया था. वंही, नोएडा मिंट को भारत सरकार द्वारा 1986 में स्थापित किया गया था. और यंहा से 1988 में स्टेनलेस स्टील के सिक्कों का निर्माण शुरू किया गया था.
भारत में क्वायिनेज एक्ट 1906 के तहत सिक्कों को मिंट किया जाता है. इस एक्ट के तहत ही भारत सरकार की तरफ से सिक्कों के उत्पादन और उसकी सप्लाई की जिम्मेदारी आरबीआई को दी गयी है. भारत सरकार धातुओं की कीमत के आधार पर समय–समय पर विभिन्न धातुओं को उपयोग में लाती है. वर्तमान में अधिकांश सिक्कों के निर्माण के लिए फेरितिक स्टेनलेस स्टील का उपयोग किया जाता है. इसमें 17 प्रतिशत क्रोमियम और 83 प्रतिशत आयरन होता है.
आपको बता दें कि हर सिक्के पर जो साल लिखा होता है, वो उसके मिंट किये जाने का साल होता है. वंही, सिक्कों को देखकर यह भी पता लगाया जा सकता है, कि इस सिक्के को कंहा से मिंट किया गया है. हर सिक्के पर लिखे गए साल के नीचे एक चिन्ह बना होता है, जिससे यह पता चलता है, कि यह सिक्का किस जगह ढाला गया है. अगर किसी सिक्के पर एक सितारा बना है, तो इसका मतलब है की, इसे हैदराबाद में मिंट किया गया है. वंही, अगर किसी सिक्के पर एक सॉलिड डॉट है, तो इसका मतलब है, की, इसे नोएडा मिंट में ढाला गया है. इसके अलवा अगर किसी सिक्के पर डायमंड का आकर बना है, तो उस सिक्के को मुम्बई मिंट में ढाला गया है. वंही, कोलकाता मिंट में ढाले गए सिक्कों पर ऐसा कोई चिन्ह् नहीं बना होता है.