आज पर्यावरण को लेकर कई सुधार कदम उठाये गए हैं. पर्यावरण के सुरक्षा और बिहार के उन्नति में सहयोग देने वाली यह महिला जहाँ शिक्षा प्राप्त कर अपनी पहचान बनाने की चाहत रखी थी मगर वह हो नहीं सका बावजजूद वे आज किसी पहचान की मोहताज नहीं है बल्कि उनकी पहचान बिहार के ग्रीन लेडी के रूप में होती है.
हम बताने जा रहे हैं बिहार की ग्रीन लेडी के बारे में जिन्हें उनके कार्यों के लिए राष्ट्रपति सम्मान से सम्मानित किया गया उनका नाम जया है. तो चलिए जानते हैं किस प्रकार उनका शिक्षा से दामन छूट गया बावजूद वे इतना बड़ा मुकाम हासिल कर सकीं।
मन में जब कुछ कर सकने की लालसा पलती है फिर वो कहां दुनिया के ताने-बाने सुनती हैं. मुंगेर की जया ने सिर्फ चौथी कक्षा तक की पढाई ही कर पाई थी. गाँव के कुरीतियों के वजह से पढाई करने के इच्छुक होने के बावजूद उनकी शादी कम उम्र में ही हो गई. इनकी शादी 12 वर्ष की अवस्था में सरादि गांव के एक लड़के के साथ हो गई. पति मुंबई चले गए और इसके बाद जब उनके पिता का देहांत हो गया तो वे भी मायके चली आई. उनका परिवार बढ़ा और खुशहाल परिवार से वे खुश थी बावजूद उसे इस बात का दुःख था कि खुद की जिंदगी में जो कुछ करना चाहती थी वो नहीं कर सकी.
15 दिनों का प्रशिक्षण लेने के बाद वे स्वयं सहायता समूह बनाई और लोगों को बचत करना सीखाने लगी ताकि महाजन के पास जाना नहीं पड़े. उन्होंने शिक्षा के प्रति जागरूकता अभियान चलाया। लोगों को साक्षर किया और फिर अख़बारों और प्रचार का अन्य साधन अपनाकर बच्चों के पुराने किताबों का माँगकर अन्य बच्चों और जरूरतमंद में बांटा करती थी. उन्होंने ‘रेन वाटर हार्वेस्टिंग’ का प्रशिक्षण लिया और उसके बाद पानी के समस्या से किसानों को निजात दिलाई। उनके प्रयासों के वजह से उन्हें सफलता मिलती गई। उनके प्रयासों के बदौलत वर्ष 2016-17 मे विज्ञान भवन में जया को नेशनल लीडरशिप अवार्ड से पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सम्मानित किया था। इसके साथ ही साथ भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय युवा पुरस्कार भी उन्हें प्राप्त हुआ.