2009 परिसीमन के बाद काराकाट संसदीय क्षेत्र अस्तित्व में आया। इससे पूर्व यह बिक्रमगंज लोकसभा क्षेत्र के नाम से जाना जाता था। यह क्षेत्र चावल उत्पादन के लिए मशहूर है। इस क्षेत्र में लगभग 400 राइस मिलें हैं। काराकाट संसदीय सीट में भोजपुर के पीरो, रोहतास के काराकाट, बिक्रमगंज, नोखा, दिनारा व डेहरी विधान सभा शामिल थे। लेकिन, नए परिसीमन के बाद बिक्रमगंज की जगह काराकाट लोकसभा क्षेत्र का गठन हुआ। जिसमें रोहतास जिला का नोखा, डेहरी व काराकाट तथा औरंगाबाद जिला का गोह, ओबरा व नवीनगर विधानसभा क्षेत्र शामिल किया गया। इस क्षेत्र से पहले सांसद के रूप में जदयू के महाबली सिंह चुनाव जीते थे।
2014 के चुनाव में एनडीए के घटक रहे रालोसपा अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने राजद प्रत्याशी व पूर्व केंद्रीय मंत्री कांति सिंह को शिकस्त देकर जीत दर्ज की। वे मोदी सरकार में राज्यमंत्री भी बने थे। जब बिक्रमगंज लोकसभा क्षेत्र था तो यहां का प्रतिनिधित्व तपेश्वर सिंह, उनके पुत्र अजित कुमार सिंह व उनकी पुत्रवधू मीना सिंह भी कर चुकी हैं। यहां मतदाताओं की संख्या 16 लाख 26 हजार 868 और आबादी 24 लाख 89 हजार 118 है। बात अगर साक्षरता की करें तो यहां की साक्षरता दर 73.33 प्रतिशत है। इस क्षेत्र में 2007 में तत्कालीन रेलमंत्री रहे लालू प्रसाद द्वारा रेल वैगन मरम्मत कारखाना का शिलान्यास किया था। लेकिन उसे बजटीय प्रावधान में नहीं लाया गया था।
हालांकि पिछले चार वर्षों में इस रेल कारखाना के निर्माण की गति तेज की गई। चावल उत्पादन के लिए कई ऑटोमेटिक राइस प्लांट लगे हैं। डालमिया सीमेंट फैक्ट्री का निर्माण भी हुआ। हालांकि अकोढ़ीगोला में निजी कंपनी जेवीएल द्वारा मेगा फूड पार्क निर्माण कार्य अभी भी ठप पड़ा है। प्राइवेट यूनिवर्सिटी, मेडिकल कॉलेज में स्नातकोत्तर तक की पढ़ाई शुरू हुई है। इस क्षेत्र में धान की खेती बड़े पैमाने पर होने के कारण राइस प्लांट ने उद्योग का रूप ले लिया। पहाड़ पर उत्खनन कार्य बंद होने से लगभग चार सौ क्रशर प्लांट की लाइसेंस समाप्त कर दी गई। इस मुद्दे को यहां के लोग खूब उठाते हैं।
काराकाट लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र बिहार राज्य के 40 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है। यह निर्वाचन क्षेत्र 2002 में परिसीमन आयोग की सिफारिशों के बाद अस्तित्व में आया। इस लोकसभा क्षेत्र में 6 विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं। 2009 में यहां पहली बार लोकसभा के लिए निर्वाचन संपन्न हुआ। यह क्षेत्र रोहतास जिले का हिस्सा है। यह क्षेत्र प्रदेश की राजधानी पटना से करीब 126 किलोमीटर दूर है, जबकि राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली से इस क्षेत्र की दूरी 980 किलोमीटर है। इस बार महागठबंधन की ओर वर्तमान केंद्र सरकार में केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं एनडीए की ओर से जदयू प्रत्याशी महाबली सिंह चुनावी मैदान में है। देखना दिलचस्प होगा कि इस बार कौन यहां से किला फतह कर पाते हैं।
उपेंद्र कुशवाहा राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) के संस्थापक हैं. पूर्व में यह पार्टी एनडीए की सहयोगी थी लेकिन पिछले महीने सीट शेयरिंग को लेकर दोनों पार्टियों में बात बिगड़ गई और कुशवाहा एनडीए छोड़कर विपक्षी धड़े के महागठबंधन में शामिल हो गए और केंद्र की मोदी कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया. इससे पहले वे मानव संसाधन मंत्रालय में जूनियर मंत्री थे. कुशवाहा केंद्र में ग्रामीण विकास, पंचायती राज , पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय में राज्यमंत्री का ओहदा संभाल चुके हैं. एनडीए छोड़ने से पहले कुशवाहा ने इशारा कर दिया था कि उन्हें सम्मानजनक सीटें नहीं मिलीं तो वे बीजेपी नीत गठबंधन से अलग हो जाएंगे.