Kartik Purnima Date 2024: कब है कार्तिक पूर्णिमा? यहां जान लें शुभ मुहूर्त और कार्तिक पूर्णिमा का महत्त्व
क्यों ख़ास है कार्तिक पूर्णिमा?
Kartik Purnima Date 2024: सनातन धर्म में पूजा–पाठ, व्रत, पर्व–त्योहारों और इन सबकी तिथियों का बहुत ख़ास महत्त्व है. लेकिन, इनमें पूर्णिमा तिथि का महत्त्व सबसे अधिक है. ख़ासतौर से, कार्तिक मास में आने वाली पूर्णिमा तिथि को सबसे ज़्यादा पवित्र और महत्वपूर्ण माना जाता है. कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही देव दीपावली धूम–धाम से मनाई जाती है. देव दीपावली अर्थात देवताओं की दीवाली का उत्सव. कार्तिक पूर्णिमा को लेकर ऐसी मान्यता है कि इसी दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नाम के एक राक्षस का वध किया था. त्रिपुरासुर राक्षस के वध की ख़ुशी में सभी देवताओं ने पूरे स्वर्गलोक को दीप से प्रकाशित किया था और इसे ही देव दीपावली के रूप में मनाया जाता है. कार्तिक पूर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा या त्रिपुरारी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है. बता दें कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी की पूजा–अर्चना भी की जाती है. यह पूजा अत्यंत शुभ और फलदायी माना जाता है. कार्तिक महीना भगवान विष्णु को बहुत प्रिय है. ऐसी मान्यता है कि भगवान विष्णु कार्तिक महीने में ही मत्स्य रूप में अवतरित हुए थे. भगवान विष्णु का यह पहला अवतार था. प्राचीन समय में जब जल प्रलय आया था, तब भगवान विष्णु ने ही मत्स्य अवतार में आकर समस्त संसार को बचाया था. ऐसा माना जाता है कि कार्तिक पूर्णिमा में नदी में स्नान, दान–पुण्य, पूजा, आरती और हवन करने से अक्षय पुण्य प्राप्त होता है.
कार्तिक पूर्णिमा की तिथि व शुभ मुहूर्त
इस साल कार्तिक पूर्णिमा 15 नवंबर शुक्रवार को है. पूर्णिमा तिथि का शुभ मुहूर्त सुबह 06:19 मिनट पर शुरू हो जाएगा. इसका समापन 16 नवंबर को तड़के 02:28 मिनट पर होगा. बता दें कि कार्तिक पूर्णिमा का व्रत 15 नवंबर को ही रखा जाएगा. कार्तिक पूर्णिमा के दिन होने वाले लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त रात के 11:39 मिनट से शुरू हो जायेगा तथा इसकी समाप्ति देर रात 12:33 मिनट पर होगी. वहीं, देव दीपावली का शुभ मुहूर्त प्रदोष काल में संध्या 05:10 मिनट से शुरू होकर रात के 07:47 मिनट तक रहेगा. कार्तिक पूर्णिमा के दिन भद्रा का साया भी रहेगा. इसलिए भद्रा और राहुकाल में कोई भी शुभ कार्य नहीं करने चाहिए. भद्रा और राहुकाल में किये जाने वाले शुभ कार्यों को ज्योतिष शास्त्र में अशुभ माना जाता है. कार्तिक पूर्णिमा के दिन राहुकाल सुबह के 10:44 मिनट से लेकर दोपहर के 12:05 मिनट तक रहेगा. जबकि, भद्राकाल सुबह 06:43 मिनट से शुरू होगा और शाम के 04:37 मिनट तक रहेगा. इस दौरान पूजा–पाठ वर्जित करना चाहिए. कार्तिक पूर्णिमा के दिन स्नान–दान करने का शुभ मुहूर्त सुबह 04:58 मिनट से शुरू हो जाएगा और सुबह के 05:51 मिनट तक रहेगा.
कार्तिक पूर्णिमा का महत्त्व
कार्तिक महीने में कई ऐसे श्रद्धालु होते हैं जो हर रोज़ सूर्य के उदय होने से पहले ब्रह्मा मुहूर्त में पवित्र नदी में जाकर स्नान करते हैं. इसे कार्तिक स्नान भी कहा जाता है. यदि कोई श्रद्धालु नदी में जाकर स्नान करने में असमर्थ हैं तो वह घर पर भी ब्रह्मा मुहूर्त में स्नान कर सकते हैं. शरद पूर्णिमा से कार्तिक स्नान का आरंभ हो जाता है और कार्तिक पूर्णिमा के दिन इसका समापन होता है. इस दिन दीपदान करने का महत्त्व बहुत ज़्यादा है. कार्तिक पूर्णिमा के दिन तुलसी की पूजा भी की जाती है. यह बहुत फलदायी होता है. माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए इस दिन चंद्रमा को अर्घ्य देना चाहिए. माता लक्ष्मी को धन की देवी कहा जाता है. उनकी कृपा पाने के लिए भक्ति–भाव से पीपल के पेड़ की पूजा करनी चाहिए. अपने घर के मुख्य द्वार पर कार्तिक पूर्णिमा की रात में दीपक प्रज्वलित करना चाहिए. इससे माता लक्ष्मी की कृपा सदैव बनी रहती है.