Pitru Paksh 2024: क्या स्त्रियों को भी है पिंडदान का अधिकार? यहां जानें किन परिस्थितियों में कर सकती हैं स्त्रियां पिंडदान
क्यों ज़रूरी है पिंडदान?
Pitru Paksh 2024: बिहार के गया जिले में पितृपक्ष (pitru paksh) मेले की शुरुआत हो चुकी है. पितृपक्ष में मूल रूप से अपने पूर्वजों की आत्मा की शान्ति व मुक्ति के लिए पिंडदान (pind daan) किया जाता है. पिंडदान ख़ासतौर से ज़रूरी होता है ताकि पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति हो और वह प्रसन्नचित होकर अपने वंश की उन्नति और प्रगति के लिए आशीर्वाद दें. पितृपक्ष में कुछ नियमों का ख़ास ख्याल रखा जाता है जैसे पितृपक्ष के दौरान ब्रह्मचर्य का पालन करना होता है. इसमें मांस–मदिरा का त्याग कर देना चाहिए. फ़ालतू के लड़ाई व झगड़े नहीं करने चाहिए. आस–पास के माहौल को शांत रखना चाहिए. इन नियमों का पालन ना करने से और पिंडदान ना करने से पूर्वज नाराज़ हो जाते हैं और श्राप दे देते हैं.
महिलाएं कर सकती हैं पिंडदान?
वैसे तो पिंडदान का प्रथम अधिकार पुरुषों को हासिल है. पिंडदान के दौरान महिलाएं (female) सिर्फ़ पुरुषों को सहयोग करती हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि पिंडदान करने का हक़ महिलाओं को भी है. महिलाएं भी पिंडदान कर सकती हैं. मगर उसके लिए कुछ परिस्थितियां निर्धारित की गयी है. इन परिस्थितियों के बारे में जान लेना ज़रूरी है. यदि किसी महिला का पति जीवित नहीं है और उसके वंश में पुत्र भी नहीं है तो ऐसे में पत्नी अपने दिवगंत पति के मोक्ष की प्राप्ति के लिए पिंडदान व श्राद्ध कर सकती है. इस विषय में कुछ प्रकांड पंडितों द्वारा बताया गया है कि बहुत सी महिलाएं ऐसी हैं जो पिंडदान करती है. मगर उन्हें परिस्थिति के अनुसार ही पिंडदान और श्राद्ध करने का अधिकार है. इसकी व्याख्या पुराणों व शास्त्रों में भी की गयी है. आपको यह जानकर हैरानी होगी की महिलाओं के पिंडदान करने की रीति नयी नहीं है बल्कि यह तो सदियों से चली आ रही है. पुरानी प्रथाओं के हिसाब से कुछ परिस्थितियों में ही महिलाएं पिंडदान और श्राद्ध का कर्म कर सकती हैं. यहां तक की जनकपुत्री मां सीता ने भी पिंडदान कर्म किया था. मां सीता ने अपने ससुर राजा दशरथ का पिंडदान किया था.
मां सीता ने किया था पिंडदान
शास्त्रों के अनुसार, जब भगवान श्रीराम, मां सीता और लक्ष्मण वनवास के समय गया जी पधारे थे और पिंडदान के लिए सामग्री लेने गए भगवान श्रीराम और लक्ष्मण को लौटने में विलंब हो रहा था, तब इसी बीच एक आकाशवाणी मां सीता ने सुनी. यह आकाशवाणी राजा दशरथ की थी. उन्होंने जनकपुत्री से कहा के मुहूर्त निकल रहा है, शीघ्र ही पिंडदान कर दें. माता सीता जब उन्हें सारी बातें बताई तब राजा दशरथ ने यह बताया कि शुभ मुहूर्त निकल जाने के पश्चात् पिंडदान नहीं किया जाता है. फ़िर माता सीता ने फ़ौरन ही फल्गु नदी के पास बालू का पिंड बनाया और उसी से पिंडदान कर दिया.