RAC Ticket Into Waiting: भारतीय रेलवे का नया ख़ुलासा, RAC टिकेट वेटिंग में हो सकता है तब्दील
RAC टिकेट हो सकती है वेटिंग
RAC Ticket Into Waiting: बिहार में अभी छठ की रौनक छाई हुई है. छठ सनातन धर्म का सबसे कठिन और बड़ा पर्व माना जाता है. इस पर्व में दूसरे प्रदेशों में रह रहे सभी लोग अपने–अपने घरों को आते है. छठ के त्योहार के समय ट्रेनों में टिकेट को लेकर ख़ूब मारा–मारी होती है. ख़ासतौर से बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश जाने वाली लगभग सभी ट्रेनों में लोगों को घर जाने के लिए वेटिंग टिकेट भी नसीब नहीं हो पाती है. वहीं, RAC टिकेट वाले यात्रियों को इस बात का सुकून होता है कि ट्रेन में कम से कम बैठने के लिए आधी सीट तो मिलेगी. मगर भारतीय रेलवे (Indian Railway) ने ऐसा ख़ुलासा किया है कि अब इन RAC वाली सीटों पर भी सफ़र करना किसी जद्दोजहद से कम नहीं होगा. यात्रियों की RAC टिकेट भी वेटिंग टिकेट में तब्दील हो सकती है. सिर्फ़ इतना ही नहीं, यात्री अब वेटिंग टिकेट पर सफ़र भी नहीं कर पायेंगे. ट्रेन में वेटिंग टिकेट पर सफ़र करने वाले यात्रियों पर सख़्ती बरती जा रही है. भारतीय रेलवे के द्वारा इस बात की पुष्टि की जा चुकी है. इस के पीछे की वजह भी भारतीय रेलवे ने ज़ाहिर कर दी है.
2.3 करोड़ लोग रोज़ाना करते हैं सफ़र
त्योहारों के मौसम में रेलवे पर काफ़ी ज़्यादा बोझ लद जाता है. यदि अनुमान लगाया जाए तो रोज़ाना तकरीबन 2.3 करोड़ लोग ट्रेन से सफ़र करते हैं. लेकिन, इस साल त्योहारों में यह आंकड़ा अत्याधिक बढ़ गया है. गर्मी की छुट्टियों और त्योहारों में ख़ासतौर से ट्रेन में सबसे ज़्यादा लोग यात्रा करते हैं. इसके लिए वे 60 दिन पहले से ही सीट रिजर्व करवा लेते हैं. अगर टिकेट रिज़र्व नहीं मिल पाती है तो उसके अलावा RAC टिकेट भी दे दिया जाता है. RAC यानी रिजर्वेशन अगेंस्ट कैंसलेशन. अगर कोई यात्री अपना कन्फर्म टिकेट कैंसल कराता है तो दूसरे यात्री को RAC के अंतर्गत रिजर्वेशन मिल जाता है. अन्यथा यात्री का टिकेट वेटिंग ही कहलाता है. RAC के अंतर्गत यात्री को आधी सीट निश्चित ही मिलती है. जबकि, वेटिंग टिकेट पर यात्रा नहीं की जा सकती है. रेलवे ने बताया है कि अक्सर RAC टिकेट कन्फर्म हो जाती है या फ़िर आधी सीट यात्री को मिलती है. लेकिन, त्योहारों के समय RAC का कन्फर्म होना भी डाउटफुल ही रहता है. इसी वजह से RAC का टिकेट वेटिंग टिकेट में तब्दील हो जाता है.
क्या होता है RAC?
RAC की टिकेट पर दो यात्री को आधी–आधी सीट मिलती है. RAC में मिली हुई सीट हमेशा लोअर ही होता है. बता दिन कि ट्रेन की एक कोच में 12 से 14 यात्री RAC की टिकेट पर यात्रा करते हैं. यह संख्या एसी थ्री टियर और स्लीपर, दोनों की है. यह पूरी तरह से कोच की साइज़ पर निर्भर करता है. चूंकि, आईसीएफ छोटा कोच और एलएचबी बड़ा कोच होता है. इस प्रकार से 6 से 7 बर्थ RAC टिकेट वालों के लिए निश्चित किये गये हैं. आईसीएफ कोच में स्लीपर क्लास की 72 सीटें और थर्ड एसी की 64 सीटें होती हैं. वहीं, एलएचबी कोच में स्लीपर की 80 सीटें और थर्ड एसी में लगभग 72 सीटें उपलब्ध रहती हैं. फ़िर भी त्योहारों के दौरान इसका प्रभाव RAC की टिकटों पर पड़ता है. अगर ट्रेन का कोई कोच अनफिट है और नया कोच नहीं मिल पा रहा है तो इसका सारा प्रभाव RAC के टिकेट वालों पर पड़ेगा. वैसे तो भारतीय रेलवे हर साल त्योहारों के लिए कई अतिरिक्त ट्रेनों को उपलब्ध कराता है. मौजूदा समय में भी क़रीब साढ़े सात हज़ार एक्स्ट्रा ट्रेनें चलाई जा रही हैं.
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