rahul dravid: एक हीं T20 के मैच में छा गये थे द्रविड़, महज 31 रनों की पारी में बरसाए थे इतने छक्के, अंग्रेज हो गये थे हक्के–बक्के
भारत और इंग्लैंड की क्रिकेट टीमों के बीच हमेशा रोमांचक मुकाबले देखने को मिलते हैं। जब ये दोनों दिग्गज टीमें मैदान पर उतरती हैं, तो दर्शकों में एक खास उत्साह छा जाता है। एक सीरीज में सौरव गांगुली ने इंग्लैंड के खिलाफ मैच भारतीय टीम के नाम करने के बाद अपनी टी–शर्ट लहराई थी. इसी तरह का एक दिलचस्प किस्सा 2011 के इंग्लैंड दौरे से जुड़ा है। इस दौरे के दौरान भारत ने टेस्ट, वनडे और टी20 तीनों फॉर्मेट में खेला, लेकिन इंग्लैंड ने हर फॉर्मेट में भारत को मात दी। इस दौरे में एक भारतीय खिलाड़ी था जिसने अपने एकमात्र टी20 अंतरराष्ट्रीय मैच में कुछ ऐसा किया कि उसे आज भी याद किया जाता है। वह खिलाड़ी थे राहुल द्रविड़, जिन्हें भारतीय क्रिकेट की ‘दीवार‘ माना जाता है। द्रविड़ ने टेस्ट और वनडे में अपने खेल का लोहा मनवाया है, लेकिन उन्हें टी20 में उतनी सराहना नहीं मिली। अपने करियर में केवल एक टी20 मैच खेलकर भी उन्होंने अपनी बल्लेबाजी से सभी का दिल जीत लिया।
राहुल द्रविड़ की छवि एक धैर्यवान और समझदार बल्लेबाज की है, लेकिन जब उन्हें 2011 में इंग्लैंड के खिलाफ टी20 में खेलने का मौका मिला, तो लोगों को हैरानी हुई। सभी के मन में ये सवाल था कि क्या एक धीमे बल्लेबाज को तेज़ फॉर्मेट में खेलाना सही रहेगा? 31 अगस्त 2011 को मैनचेस्टर में खेले गए इस मैच में भारत ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 165 रन बनाए। द्रविड़ ने नंबर तीन पर बल्लेबाजी करते हुए 21 गेंदों पर 31 रन बनाए, जिसमें तीन लगातार छक्के शामिल थे। इंग्लैंड के स्पिनर समित पटेल की गेंदबाजी में उन्होंने पहले छक्के के साथ ही खेल की दिशा बदल दी। समित की चौथी, पांचवीं और अंतिम गेंद पर लगातार तीन छक्के लगाकर उन्होंने सबको हैरान कर दिया। स्टेडियम में उपस्थित दर्शक ‘राहुल–राहुल‘ के नारों से गूंज उठे।
हालांकि, द्रविड़ का विकेट जल्द ही गिर गया, लेकिन तब तक उन्होंने 147.61 के स्ट्राइक रेट से खेलते हुए अपनी छाप छोड़ दी थी। भारत ने 165 का लक्ष्य इंग्लैंड के सामने रखा, लेकिन इंग्लैंड ने इसे चार विकेट के नुकसान पर हासिल कर लिया। इस मैच में भारत की कप्तानी महेंद्र सिंह धोनी कर रहे थे, लेकिन द्रविड़ की पारी ने सबका ध्यान खींचा। इस दौरे में भारतीय टीम को कोई भी मैच जीतने का मौका नहीं मिला, और इसके बाद द्रविड़ ने वनडे और टी20 से संन्यास लेने का निर्णय लिया। लेकिन उनके इस एकमात्र टी20 मैच ने साबित किया कि उन्होंने हर फॉर्मेट में 100 प्रतिशत देने की कोशिश की। द्रविड़ का यह यादगार मैच और उनके द्वारा लगाए गए तीन लगातार छक्के आज भी क्रिकेट प्रेमियों के दिलों में बसे हुए हैं।
राहुल द्रविड़ ने अपने पूरे करियर में 164 टेस्ट और 344 वनडे मैच खेले, लेकिन उनके टी20 करियर का यह एकमात्र मैच आज भी क्रिकेट इतिहास में विशेष स्थान रखता है।
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