नाम बदलकर करनी पड़ी थी डिग्रियां हासिल, जाने राहुल गांधी के पास है, कितनी डिग्रियां

भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और सांसद राहुल गांधी को 18वीं लोकसभा में विपक्ष का नेता बनाया गया है, और इस समय राहुल गांधी केंद्र सरकार पर कई मुद्दों को लेकर संसद में घेरने में भी लगे हुए हैं. सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश के सबसे प्रसिद्ध राजनितिक वंश के मुख्य उत्तराधिकारी के रूप में जन्म लेने वाले राहुल गांधी को राजनीति विरासत में मिली, मगर उन्हें समय-समय पर खुद को साबित करते रहना पड़ा. राहुल गांधी पर कई बार सियासी दौर में कई आरोप लगाये गए, उनकी राजनिति में नेतृत्व करने की क्षमता से लेकर उनकी शैक्षणिक योग्यता पर भी सवाल उठता रहा है. अपने 20 साल के राजनितिक करियर में राहुल ने समय-समय पर खुद को साबित भी किया है और विपक्ष के हमले को स्वीकार करते हुए खुद में सुधार भी करते रहे हैं. कम उम्र से ही राहुल गांधी को अपने जीवन में कई उतारचढाव का सामना करना पड़ा.कांग्रेस की ओर से कई बार ऐसा कहा गया है,की राहुल और प्रियंका गांधी को इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सुरक्षा कारणों की वजह से जान बूझकर लोगों की नज़रों से दूर रखा गया था. लेकिन इन सब के बाबजूद आज राहुल गांधी ने भारतीय राजनीति में अपने आप को साबित किया है, और अपनी छवि से देश के अनगिनत युवाओं को प्रभावित किया है, तो वहीं राहुल गांधी ने अपने जीवन में कई शैक्षणिक डिग्रियां भी हासिल किये हैं.

तो चलिए आज हम आपको राहुल गांधी के जीवन के उस पहलु के बारे में बताएँगे, जो बहुत कम ही लोग जानते होंगे.

देश के सबसे प्रसिद्ध राजनितिक परिवार में राहुल का जन्म 19 जून 1970 को हुआ था. और इस हिसाब से राहुल गांधी जुलाई वर्ष 2024 में 54 साल के हैं. उनका जन्म दिल्ली के होली फैमिली हॉस्पिटल में हुआ था. राहुल का बचपन भी दिल्ली में ही बीता, और उनकी प्रारंभिक शिक्षा दिल्ली के सेंट कोलंबस स्कूल से हुई, पर राहुल गांधी को बचपन में कई बार सुरक्षा कारणों की वजह से अपनी पढ़ाई बीच में ही छोडनी पड़ी, तो कई बार उन्हें अपना स्कूल चेंज करना पड़ा. वर्ष 1981 में उनका दाखिला उतराखंड के देहरादून के दून स्कूल में करा दिया गया, जन्हा से उनके पिता राजीव गांधी ने भी अपनी स्कूली शिक्षा ली थी, वर्ष 1983 तक राहुल दून स्कूल में ही पढ़े, मगर फिर आया 31 अक्टूबर 1984 का दिन जब उनकी दादी और तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या कर दी गयी. इसके बाद राहुल और प्रियंका की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उनकी स्कूलिंग बंद करा दी गयी और उन्हें घर पर ही शिक्षा दी जाने लगी, इस समय राहुल मात्र 14 साल के थे. इसके बाद वर्ष 1989 में राहुल ने स्नातक की पढ़ाई के लिए दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज में एडमिशन लिया. इस समय राहुल को दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज में खेल कोटे से एडमिशन मिला था. दरअसल, दिल्ली के प्रतिष्ठित सेंट स्टीफंस कॉलेज में एडमिशन के लिए कम से कम 12th में 70 से 80 फीसदी मार्क्स स्कोर करने जरूरी होते थे,मगर राहुल गांधी को 12वीं में केवल 61 फीसदी अंक ही प्राप्त हुए थे. हालांकि, इसके बाद राहुल ने राष्ट्रीय निशानेबाजी प्रतियोगिता में चौथा स्थान प्राप्त किया और खेल कोटा से कॉलेज ने राहुल गांधी को एडमिशन दे दिया. बाकायदा, उस समय नेशनल राईफल ऐसोसिएशन ने एक प्रशंसा पत्र जारी कर राहुल के राष्ट्रिय निशाने बाजी प्रतियोगिता में चौथे स्थान हासिल करने की जानकारी दी थी. मीडिया में बताई गयी खबरों के मुताबिक जुलाई 1989 तक राहुल गांधी ने निशानेबाजी में आठ राष्ट्रिय पुरस्कार अपने नाम किये थे. इस तरह खेल कोटे से राहुल गांधी का एडमिशन स्नातक की पढ़ाई के लिए साल 1989 में दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज में हो गया, मगर यंहा भी राहुल अधिक दिन तक नहीं रह सके, सुरक्षा कारणों की वजह से पहले साल की परीक्षा देने के बाद ही, वो हार्वर्ड विश्वविद्यालय चले गए. हालांकि, राहुल वंहा भी अपना स्नातक कम्पलीट नहीं कर सके, क्यूंकि 1991 में राहुल गांधी के पिता और देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी की भी हत्या कर दी गयी थी. इसके बाद राहुल गांधी की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए एक बार फिर उनका कॉलेज चेंज कर दिया गया और उन्हें सुरक्षित रखने के लिए फ्लोरिडा के रोल्लिंस कॉलेज भेज दिया गया. जन्हा राहुल ने अपना ग्रेजुएशन कम्पलीट किया. मीडिया के अनुसार फ्लोरिडा के रोल्लिंस कॉलेज में राहुल का पहचान गुप्त रखा गया था, यंहा तक उनका नाम भी बदलकर राहुल गांधी की जगह “राउल विन्ची” कर दिया गया था. रोल्लिंस कॉलेज में राहुल की पहचान सिर्फ विश्वविद्यालय के अधिकारीयों और सुरक्षा एजेंसियों को ही थी.

रोल्लिंस में अपना ग्रेजुएशन कम्पलीट करने के बाद राहुल कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी गए, कैम्ब्रिज के ट्रिनिटी कॉलेज से उन्होंने एमफिल की डिग्री ली.

स्नातक की पढ़ाई पूरी करने के बाद लगभग तीन साल तक राहुल गांधी ने लन्दन के मॉनिटर ग्रुप के लिए भी काम किया था, जो लन्दन की एक मैनेजमेंट कंसल्टिंग फर्म है. इसके बाद वे भारत लौट आये और मुम्बई स्थित एक आउटसोर्सिंग कंपनी बैकअप्स प्राइवेट लिमिटेड में काम करना शुरू किया. इस दौरान एक निदेशक के तौर पर उन्होंने अपनी टीम का नेतृत्व किया. वंही, इसके बाद राहुल का राजनीति की ओर झुकाव बढ़ा और राजनीति में राहुल की सक्रीय एंट्री 2004 में हुई जब उन्होंने अपनी माँ और तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की अध्यक्षता में बैठकों में भाग लेना प्रारंभ किया. इसी के बाद 2004 में ही राहुल अमेठी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ें और सांसद चुने गए. अभी फिलहाल राहुल भारतीय राजनीति के सक्रीय राजनेता हैं, और संसद में विपक्ष का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. आप राहुल गांधी की शैक्षणिक योग्यता और राजनितिक सक्रियता के बारे में क्या सोचते हैं हमें कमेंट सेक्शन में जरूर बताएं.

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *