Rights of tenants: अगर आपके पास भी कोई संपत्ति है जिसे आपने किराए पर दिया हुआ है, तो आपके मन में यह सवाल आना स्वाभाविक है कि क्या एक किरायेदार लंबे समय तक आपके घर में रहने के बाद उस पर अपना अधिकार जमा सकता है? क्या सच में ऐसा कोई कानून है जो किरायेदार को किसी संपत्ति पर कब्जा करने का अधिकार देता है? अगर आपके मन में भी ऐसे कोई सवाल है तो आज का ये र्आटिकल आपके लिए है, आज हम इस विषय पर विस्तार से चर्चा करेंगे और समझेंगे कि कानून इस मामले में क्या कहता है। 

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किरायेदार का अधिकार – क्या सच में कोई खतरा है?

बहुत बार ऐसा देखा जाता है कि लोग किरायेदारों के बारे में यह मान लेते हैं कि अगर कोई व्यक्ति लंबे समय तक उनके मकान में रह जाए, तो वह उस संपत्ति पर अपना अधिकार जमा सकता है। साथ ही यह भी सुना जाता है कि कई किरायेदार मकान मालिक के कहने के बावजूद संपत्ति खाली नहीं करते और उस पर अपना कब्जा बनाए रखते हैं। लेकिन क्या यह सच है? क्या कोई किरायेदार किसी संपत्ति पर अधिकार जमा सकता है? चलिए इसे समझते हैं।

कानून क्या कहता है?

भारत के कानून के अनुसार, कोई भी किरायेदार मकान मालिक की संपत्ति पर कब्जा करने का अधिकार नहीं रखता है। हालांकि, कुछ परिस्थितियाँ ऐसी हो सकती हैं, जिनमें किरायेदार के पास कुछ अधिकार हो सकते हैं, लेकिन यह सभी अलगअलग परिस्थितियों पर निर्भर करता है।

कानून की माने तो ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी एक्टके तहत एडवर्स पजेशन (Adverse Possession) एक अवधारणा है, जिसे समझना जरूरी है। इसका मतलब है कि अगर कोई व्यक्ति किसी संपत्ति पर लम्बे समय तक बिना मालिक की अनुमति के कब्जा करता है, तो वह उस संपत्ति पर अधिकार प्राप्त कर सकता है। लेकिन ध्यान रखें, यह केवल उन मामलों में होता है जब कोई संपत्ति पर 12 साल तक कब्जा करता है, और इस कब्जे में कोई रेंट एग्रीमेंट या अन्य कानूनी दस्तावेज़ शामिल नहीं होते।

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एडवर्स पजेशन (Adverse Possession) क्या है?

एडवर्स पजेशन का मतलब है कि अगर कोई व्यक्ति किसी संपत्ति पर 12 वर्षों तक बिना मालिक की अनुमति के कब्जा करता है, तो वह उस संपत्ति का मालिक बन सकता है। उदाहरण के लिए, अगर किसी व्यक्ति ने किसी अन्य व्यक्ति से बिना किसी रेंट एग्रीमेंट के एक संपत्ति ली और वह 12 साल से उस संपत्ति में रह रहा है, तो उसे उस संपत्ति पर अधिकार मिल सकता है।

लेकिन यदि मकान मालिक समयसमय पर किरायेदार के साथ रेंट एग्रीमेंट बनाता है, तो मकान मालिक को इस बात का डर नहीं होता कि किरायेदार उसका घर कब्जा कर लेगा। क्योंकि रेंट एग्रीमेंट में यह साफसाफ उल्लेख होता है कि संपत्ति मालिक की है और किरायेदार का अधिकार केवल एक निश्चित समय तक है।

क्या करना चाहिए मकान मालिक को?

किरायेदार से अपनी संपत्ति की सुरक्षा के लिए मकान मालिक को नियमित रूप से रेंट एग्रीमेंट बनवाना चाहिए। रेंट एग्रीमेंट यह साबित करता है कि संपत्ति मकान मालिक की है और किरायेदार केवल किराए पर रह रहा है।

सुप्रीम कोर्ट के हाल के फैसले के अनुसार, “लिमिटेशन एक्ट 1963″ के तहत यदि कोई व्यक्ति निजी संपत्ति पर 12 साल से अधिक समय तक कब्जा करता है, तो उसे उस संपत्ति पर अधिकार मिल सकता है। वहीं सरकारी संपत्तियों के मामलों में यह अवधि 30 साल होती है। इस कानून का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई व्यक्ति संपत्ति पर लंबे समय तक कब्जा कर अपने अधिकारों को कानूनी रूप से स्थापित न कर ले।

रेंट एग्रीमेंट का महत्व

अगर आप मकान मालिक हैं, तो आपको हमेशा यह सुनिश्चित करना चाहिए कि किरायेदार के साथ एक स्पष्ट और कानूनी रेंट एग्रीमेंट हो। यह एग्रीमेंट आपकी संपत्ति पर आपके अधिकार को साबित करेगा और किरायेदार को यह स्पष्ट रूप से बता देगा कि वह संपत्ति केवल एक निश्चित समय तक किराए पर ले सकता है।

तो अब बात असल में ये है कि किसी किरायेदार को मकान मालिक की संपत्ति पर कब्जा करने का अधिकार नहीं होता, बशर्ते वह संपत्ति पर 12 साल से अधिक समय तक बिना रेंट एग्रीमेंट के कब्जा न करे। यदि मकान मालिक समयसमय पर रेंट एग्रीमेंट बनवाता है, तो वह अपनी संपत्ति की सुरक्षा कर सकता है। यह जरूरी है कि आप अपनी संपत्ति को किराए पर देने से पहले सभी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करें और रेंट एग्रीमेंट को सही ढंग से तैयार करें।

 

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