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नौकरी गंवाने पर मिला था 250 रुपये फिर बना दिया अरबों खरबों की कंपनी

Bihari News

कहते हैं जिसका संघर्ष जितना बड़ा होता है उसकी सफलता उससे दोगुनी बड़ी होती है. यह बिहार के इस शक्त के लिए एक दम फिट बैठता है. बिहारी बेजोड़ के आज के सेगमेंट में जिस शख्स के बारे बात करने जा रहे हैं उसने अपनी काबिलियत अपनी मेहनत के बदौलत मात्र 23 साल की उम्र में एक कंपनी खड़ा कर दिया. आज यह कंपनी करोड़ों रुपये की हो गई है. यह व्यक्ति आज अपने काम के लिए देश दुनिया में जाना जाता है. बिहार जैसे छोटे से राज्य में करोड़ों रुपये के कंपनी के बारे में जब कोई बताता है तो लोग एक बार में विश्वास नहीं करते हैं लेकिन इस व्यक्ति की सोच इतनी बड़ी थी कि उसने अपनी कंपनी को भारत ही नहीं विदेशों में पहुंचा दिया. वह व्यक्ति लोअल मीडिल क्लास फैमली से आता है. उसने अपने घर में गरीबी के उन दिनों को देखा था लेकिन उसने कभी संघर्ष करना नहीं छोड़ा और आज वह करोड़ों रुपये के कंपनी का मालिक हैं. जी हां आप सही समझ रहे हैं हम बात करने जा रहे हैं रविंद्र किशोर सिन्हा के बारे में जिन्हें लोग आर के सिन्हा के नाम से भी जानते हैं.

आर के सि्न्हा का बचपन बहुत की कष्ट में बीता था. उनके परिवार की आर्थिक स्तिथि बहुत अच्छी नहीं थी. फोर्ब्स की एक आर्टिकल की माने तो इसी आर्थिक तंगी केकारण उनकी एक बहन का बीमारी के कारण निधन हो गया था. उनके पिता के पास इतने पैसे नहीं थे कि वे अपनी बेटी का इलाज करवा सके. साल 1971 के साल को कौन भूल सकता है. यह साल भारत और पाकिस्तान के साथ युद्द का साल था. इसी साल पाकिस्तान दो हिस्सों में बंट गया था. पाकिस्तान और बांग्लादेश के रूप में. इसी साल आर के सिन्हा पॉलिटकल साइंस से ग्रेजुएट हुए थे और उन्हें पटना में एक दैनिक अखबार में ट्रेनी रिपोर्टर के तौर पर नौकरी की शुरुआत किये थे. अखबार में रिपोर्टिंग के दौरान इन्हें युद्ध वाले इलाकों में जाने का मौका मिला. जहां इनकी जानपहचान युद्ध में शामिल सैनिकों से हुई. और उनसे इनकी दोस्ती भी हो गई थी. अखबार में इनका काम करते हुए दो साल बीत गया और पूरे देश में एक आंदोलन तेजी से उभरकर सामने आया. जिसका नाम था छात्र आंदोलन यह आंदोलन पटना विराट हो गया था. इसका नेतृत्व कर रहे थे जय प्रकाश नारायण. आर के सिन्हा छात्रों के इस आंदोलन के वैचारिक रूप से समर्थक थे. हालांकि अखबार के साथ उनका विचार नहीं जमा और 1974 में उन्हें इस अखबार की नौकरी से हाथ धोना पड़ा. घर में पहले से आर्थिक तंगी और अब नौकरी भी हाथ से चली गई थी. ऐसे में उनके सामने कई तरह के विचार मन में आने लगे थे. इस दौरान आर के सिन्हा काफी परेशान हो गए थे. उन्हें कुछ सुझ नहीं रहा था कि वे आगे क्या करें.

इसी दौरान उनके एक दोस्त ने उन्हें बताया कि उन्हें प्रोजेक्ट साइट के लिए रिटायर्ड आर्मीमैन चाहिए. तब उन्होंने कहा कि मैं कुछ सेना के जवानों को जानता हूं जो कि इस काम के में मदद कर सकते हैं. मेरे दोस्त ने मुझे सुझाव दिया कि मैं एक कंपनी बनाऊं और उसके लिए इन सब कामों को हैंडल करें. संभावनाओं को भांपते हुए मैंने अपने सेवरेंस पैकेज से पटना में एक छोटा गैराज किराए पर लिया और फरवरी 1974 में SIS यानी कि सिक्योरिटी एंड इंटेलीजेंस सर्विसेज कंपनी की शुरुआत कर दी. तब उनकी उम्र 23 साल की थी.

आर के सिन्हा ने अपनी कंपनी की शुरुआत महज 14 रिटायर्ड आर्मीमैन के सहारे शुरू किया था. कंपनी की शुरुआत अच्छी रही और आर के सिन्हा का यह काम चल निकला. कहते हैं कि कंपनी के एक साल होते होते इस संपनी में काम करने वाले लोगों की संख्या 250 से 300 तक पहुंच गई थी. अब इस कंपनी का टर्न ओवर एक लाख के ऊपर पहुंच गया था. अब तो इस कंपनी की शाखा देश के साथ ही विदेशों में भी हैं. अगर हम वर्तमान में कर्मचारियों की बात करें तो इसके पास करीब ढाई लाख कर्मचारी वर्तमान में काम कर रहे हैं.

अपने एक इंटरव्यू के दौरान आरके सिन्हा ने बताया था कि SIS पूरी तरह से बिहारी कंपनी है. भले ही आज इसकी पहुंच भारत से बाहर भी है लेकिन इसका DNA तो बिाहरी ही है. उन्होंने यह कहा कि यह कंपनी बिहारी मल्टीनेशनल कंपनी है. उन्होंने कंपनी के कर्मचारियों का आंकड़ा देते हुए कहा कि SIS 2 लाख 69 हजार 595 परिवारों को का रोजीरोटी चल रहा है. इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि इसमें 32 हजार 300 परिवार बिहार से है. कंपनी इस योजना पर काम कर रही है कि आने वाले दो साल में 10 हजार बिहारियों को नौकरी दे सके. वहीं देश में 1.70 लाख लोगों को देश के अंदर रोजगार यह कंपनी दे रही है. आपको बता दें की साल 2014 में आर के सिन्हा को बीजेपी की तरफ से राज्यसभा भेजा गया था.

साल 1974 में 250 रुपये में शुरू हुई यह कंपनी आज 1.3 बिलियन डॉलर की हो गई है. इस कंपनी के पास दो लाख से अधिक लोग काम कर रहे हैं. अगर इस कंपनी के कार्य को आप देखेंगे तो ऑस्ट्रेलिया के गोल्ड कास्ट में आयोजिक कॉमनवैल्थ गेम्स की सुरक्षा SIS की सहायक कंपनी ने सफलतापूर्वक संभाली थी. यह कंपनी देश की सबसे बड़ी सुरक्षा कंपनी है जो भारत, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और सिंगापुर में सुरक्षा सेवा प्रदान कर रही है. भारत में यह कंपनी 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों में अपनी सेवा दे रही है. साथ ही कंपनी की तरफ से यह भी कहा गया है कि कंपनी ने सुरक्षा के साथ ही कैश लॉजिस्टिक व फैसिलिटी मैनेजमेंट में भी बड़ी पहल की है. देश से सबसे साफसुथरे 10 स्टेशनों में SIS द्वारा सफाई मेंटेन किया जा रहा है. साथ ही यह कंपनी कैश लॉजिस्टिक के मामले में देश के 600 जिलों में 2500 वैन चल रही है. आज भी जब यह कहा जाता है कि देश की सबसे बड़ी सुरक्षा ऐजेंसी SIS बिहार की है तो एक बार लोग विश्वास ही नहीं करते हैं.

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