सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों की ला’परवाही का मामला आम हो गया है। जहां इलाज से पहले ही मरीज के पुर्जे पर रेफर लिख दिया जाता है। इस तरह के कई मामले मधेपुरा सदर अस्पताल में देखने को मिला है। ऐसी ही एक जानलेवा घटना मधेपुरा वार्ड 13 निवासी मो. नसीम पत्नी सबीना खातून के साथ सदर अस्पताल में शुक्रवार की रात घटित हुई।
जानकारी मुताबिक, उक्त महिला को सदर अस्पताल में 7 दिन पूर्व ऑपरेशन के द्वारा बच्चे का जन्म दिया था। बच्चे के जन्म के बाद चिकित्सकों द्वारा महिला का टांका इस तरह ला’परवाही से लगाया गया कि वह 6 दिनों में ही टू’ट गया। टांका टूटने के महिला का कई आं’तरिक पार्ट बाहर निकलने लगा। इससे महिला की हालत बिगड़ने लगी। डॉक्टरों ने खुद बचने के लिए परिजनों से महिला को हायर सेंटर ले जाने को कहा।
इस पर जब परिजनों ने विरोध किया गया तो चिकित्सकों ने मुआवजा देने की बात कही। अस्पताल कर्मियों द्वारा किए गए इस ला’परवाही की भनक मीडिया कर्मियों को लगते मामला तूल पकड़ लिया। मामला को बढ़ता देख रात में ही डीएस की अध्यक्षता में एक डॉक्टरों की टीम का गठन कर महिला का करीब आधे घंटे तक ऑपरेशन थियेटर में इलाज किया गया। इसके बाद चिकित्सकों ने बताया कि महिला अब खतरे से बाहर है, लेकिन उन्हें 3 दिनों तक कुछ खिलाया-पिलाया नहीं जा सकता है।
ऑपरेशन 3 दिन बाद ही चिकित्सकों द्वारा खोल दिया गया पट्टी :
महिला के पति मो. नसीम ने बताया कि उनकी पत्नी का पिछले शनिवार को ऑपरेशन किया गया था। इसके बाद से वे सदर अस्पताल में भर्ती थी।
ऑपरेशन के 3 दिन बाद पट्टी खोल दिया गया, वहीं दोबारा पट्टी करवाने की बात कहे जाने पर डॉक्टर द्वारा पट्टी करने से मना कर दिया गया। उन्होंने बताया कि इसके बाद शुक्रवार की संध्या सात बजे जब पट्टी किया जा रहा था, तो खुन निकलने लगा।
वहीं पट्टी खोलते ही टांका टूटकर अंदर का ऑरगेंस बाहर दिखने लगा। इसके बाद जब चिकित्सक को जानकारी दी गई तो चिकित्सक द्वारा हायर सेंटर ले जाने की बात कही गई। उन्होंने बताया कि मामले से बचने के लिए चिकित्सक दरभंगा ले जाने पर मुआवजा के रूप में इलाज का खर्च देने को तैयार थे, लेकिन उस परिस्थिति में मरीज को बाहर ले जाना खतरनाक था।
इस मामले में सदर अस्पताल के डीएस डॉ. सुमन कुमार झा ने अपने चिकित्सक का बचाव करते हुए कहा कि महिला को खांसी होने व किसी अन्य काम के कारण टांका पर प्रेशर पड़ा होगा, जिस कारण महिला का टांका टूट गया। महिला को दोबारा से इलाज किया गया है और अब वह खतरे से बाहर है।