Safety Helmet Color Code: क्या आपने कभी किसी कंस्ट्रक्शन साइट को गौर से देखा है? अगर हां, तो आपने ये भी जरूर नोटिस किया होगा कि वहां मौजूद लोग अलग–अलग रंगों की हेलमेट पहनते हैं। कोई पीली टोपी लगाए है, तो कोई नीली, कोई सफेद, तो कोई हरे रंग की टोपी में नज़र आता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर इन रंगों का मतलब क्या है? क्या ये बस डिज़ाइन के लिए हैं या इसके पीछे कोई ठोस वजह छिपी है? अगर आपके मन में भी ये सवाल है तो आज का आर्टिकल आपके लिए है. आज हम आपको बताएंगे कि कंस्ट्रक्शन साइट पर हेलमेट के रंगों का क्या अर्थ होता है, किस रंग की टोपी कौन पहनता है, और क्यों ये सुरक्षा के लिहाज से बेहद ज़रूरी है।
हेलमेट पहनना क्यों जरूरी है?
किसी भी कंस्ट्रक्शन साइट पर काम करना जोखिम भरा होता है। ऊँचाई से गिरने वाली वस्तुएं, भारी मशीनों का चलना, बिजली के तार, धूल–मिट्टी – ये सभी चीज़ें मज़दूरों और अधिकारियों के लिए खतरा बन सकती हैं। इसलिए उनके सिर की सुरक्षा के लिए हेलमेट पहनना अनिवार्य होता है।
भारत में ‘Occupational Safety, Health and Working Conditions Code, 2020’ के तहत मजदूरों की सुरक्षा को सुनिश्चित किया गया है। हालांकि भारत में हेलमेट के रंगों को लेकर कोई लिखित कानून नहीं है, लेकिन अधिकांश निर्माण कंपनियां अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन करती हैं।
तो चलिए अब जानते हैं कौन–सा रंग किसके लिए होता है:
सफेद रंग का हेलमेट:
सफेद रंग का हेलमेट कंस्ट्रक्शन साइट पर सबसे अधिक सम्मानजनक माना जाता है। इसे आमतौर पर इंजीनियर, प्रोजेक्ट मैनेजर, आर्किटेक्ट या साइट इंचार्ज जैसे सीनियर लोग पहनते हैं। यह रंग जिम्मेदारी और निर्णय लेने की क्षमता को दर्शाता है।
पीला रंग का हेलमेट:
यह रंग मज़दूरों यानी श्रमिकों के लिए निर्धारित होता है। साइट पर सबसे ज्यादा देखा जाने वाला रंग यही होता है। इससे यह पता चलता है कि व्यक्ति शारीरिक श्रम कर रहा है।
नीला रंग का हेलमेट:
इस हेलमेट को पहनने वाले आमतौर पर तकनीकी कर्मचारी होते हैं जैसे मशीन ऑपरेटर, मेकैनिक, या कोई प्लंबर। नीला रंग तकनीकी कार्यों को दर्शाता है।
हरा रंग का हेलमेट:
हरा हेलमेट पर्यावरण और सुरक्षा से जुड़े कर्मियों द्वारा पहना जाता है। जैसे कि सेफ्टी ऑफिसर या हेल्थ इंस्पेक्टर। यह रंग “सुरक्षा” और “सतर्कता” का प्रतीक है।
लाल रंग का हेलमेट:
इस रंग का उपयोग फायर सेफ़्टी से जुड़े कर्मचारियों द्वारा किया जाता है। अगर साइट पर कोई आपातकालीन स्थिति होती है, तो ये लोग सबसे पहले एक्टिव होते हैं।
नारंगी रंग का हेलमेट:
इलेक्ट्रीशियन या किसी भी तरह के वायरिंग से जुड़े कर्मचारी नारंगी हेलमेट पहनते हैं। यह रंग खतरे की चेतावनी भी देता है, जो कि बिजली से जुड़े कार्यों में बेहद जरूरी है।
⚪ ग्रे या अन्य हल्के रंगों के हेलमेट:
कई साइट्स पर विज़िटर्स या कस्टमर्स के लिए अलग रंग, जैसे ग्रे या लाइट ब्लू हेलमेट रखे जाते हैं। ताकि उन्हें कर्मचारियों से अलग पहचाना जा सके।
तो दोस्तों, अब जब भी आप किसी कंस्ट्रक्शन साइट को देखें और वहां अलग–अलग रंग की हेलमेट दिखाई दें, तो समझ जाइए कि ये सिर्फ फैशन नहीं, बल्कि एक ज़िम्मेदारी और पहचान का प्रतीक हैं। यह व्यवस्था वहां काम करने वाले हर व्यक्ति की भूमिका को स्पष्ट करती है और साथ ही उनकी सुरक्षा को प्राथमिकता देती है।
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