उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले से एक बेहद मार्मिक घटना सामने आयी है पश्चिम बंगाल के आठ साल पहले गायब हुए दुलारी मंडल के बेटे सुजीत मंडल ने माँ के तलाश में पढाई लिखाई छोड़ दी. सुजीत पिछले सात सालों से देश के विभिन्न जिलों में अपनी माँ की तलाश करता रहा लेकिन माँ बेटे के मुलाकात कुछ इस तरफ हुई कि गोरखपुर से मालदा एक फोन कॉल गया और आठ साल बाद माँ से मिलकर बेटे की आँखें सूज गई.
पश्चिम बंगाल के रहने वाले सुजीत मंडल अपनी माँ से मिलने के लिए गोरखपुर जिले में स्थित मातृछाया आश्रय गए. सुजीत को देखकर माँ बहुत भावुक होकर बहुत रोने लगी. इन 8 वर्षों में दुलारी सिलीगुड़ी, कोलकाता और मुंबई भी गई। लेकिन वे गोरखपुर कैसे आयी यह उन्हें याद नहीं है. परिवार में दो बेटे और एक बेटी है सबसे छोटा बेटा सुजीत है। सुजीत ने मिडिया से बातचीत के क्रम में कहा है कि उनकी खुशियों में ग्रहण लगना साल 2008 में लगना शुरू हुआ. उस दौरान उसकी उम्र केवल 11 वर्ष रही थी.
पिता की मौत के बाद बड़ा भाई कमाने के लिए पानीपत चला गया और तीन साल बाद वहाँ से उसकी मौत की खबर आयी। इन दो घटनाओं ने माँ को अंदर से तोड़ दिया और वो घर में अकेले ही रहने लगी. साल 2013 में बहन की शादी तय हुई और शादी से ही कुछ दिन पहले उसकी मौत हो गई. वे लोग बहन के अंतिम संस्कार करने के लिए घाट ले गए. तभी माँ घर से निकल गई उसके बाद से आज तक वे माँ की तलाश कर रहे हैं.
सुजीत ने कहा कि माँ के लापता होने के समय उसकी उम्र महज 16 साल रही. उसी समय से माँ की तलाश वह कर रहा है. माँ की तलाश में पश्चिम बंगाल के करीब हर रेलवे स्टेशन की खाक छान चुका है. इसके अलावा बिहार महाराष्ट्र, आसोम, छत्तीसगढ़ और पूर्वोत्तर के राज्य सहित दस राज्यों में भी जा चुका है। इसी सिलसिले में उसकी पढाई भी छूट गई. कोरोना के समय में दुलारी को पुलिसकर्मियों ने 30 अगस्त को रोडवेज पर बरामद किया। प्रशासन की देखरेख की जिम्मेदारी मातृछाया संस्था को दे दी. संस्था ने उसको मनोचिकित्सक से उसका इलाज करवाया और उसकी हालत में सुधार हुआ। पूछने पर महिला ने अपने घर का पता बताया। फिर संस्था ने सम्बोधित थाने को सम्बोधित किया पुलिस ने सुजीत को इस बारे में जानकारी दी.