समस्तीपुर मिथिला का प्रवेशद्वार कहलाता है। यह दरभंगा प्रमंडल का एक जिला है. समस्तीपुर पूर्व मध्य रेलवे का मंडल है। कवि और दार्शनिक आरसी प्रसाद सिंह, पंडित सुरेंद्र झा सुमन जैसे विद्वानों की जन्मस्थली भी यह है। कुछ लोग इसका प्राचीन नाम सोमवती भी बताते हैं। यहां के दर्शनीय स्थलों में पहले यह लोकसभा क्षेत्र रोसड़ा (सुरक्षित) के नामसे जाना जाता था। लोजपा प्रमुख रामविलास पासवान यहां का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। बाद में उन्होंने यह सीट अपने छोटे भाई के लिए छोड़ दिया। लोजपा दलित सेल के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामचंद्र पासवान वर्तमान में यहां का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
यह संसदीय क्षेत्र अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित है. चुनाव आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक यहां कुल मतदाताओं की संख्या 1,314,515 है. इनमें 709,515 पुरुष मतदाता और 604683महिला मतदाता हैं. एलजेपी प्रमुख रामविलास पासवान के भाई रामचंद्र पासवान इस क्षेत्र से सांसद हैं. 2014 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. अशोक कुमार को पराजित कर पासवान सांसद बने थे।
सन् 1972 से पहले समस्तीपुर कोई अलग संसदीय क्षेत्र नहीं होता था. 1972 में दरभंगा से अलग होने के बाद समस्तीपुर जिला बना और इसी के साथ इसे संसदीय क्षेत्र घोषित किया गया।
इस जिले के साथ खास बात यह है कि संसदीय क्षेत्र घोषित होते ही इसे बिहार के अति पिछड़े इलाके का दर्जा दिया गया. लिहाजा भारत सरकार इस क्षेत्र को बैकवर्ड रीजन ग्रांट फंड प्रोग्राम (बीआरजीएफपी) के तहत उचित फंड जारी करती रही है।
इस संसदीय क्षेत्र का बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर से खास नाता है. 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर कर्पूरी ठाकुर यहां से चुनाव जीते थे. इस चुनाव में पूरे देश में कांग्रेस के खिलाफ माहौल व्याप्त था जिसका खामियाजा पार्टी को भी उठाना पड़ा और कांग्रेस यहां पहली बार हारी।
समस्तीपुर संसदीय क्षेत्र में छह विधानसभा सीटें हैं. इनके नाम हैं–कुशेश्वर स्थान, वारिसनगर, हायाघाट, समस्तीपुर, कल्याणपुर और रोसड़ा. कुशेश्वर स्थान, कल्याणपुर और रोसड़ा एससी आरक्षित सीटें हैं।
2009 के चुनाव में जेडीयू प्रत्याशी महेश्वर हजारी विजयी रहे. उन्होंने एलजेपी उम्मीदवार रामचंद्र पासवान को हराया. हजारी को कुल 259458 वोट मिले जबकि पासवान को 155082 वोट हासिल हुए।
2014 के लोकसभा चुनाव में समस्तीपुर से LJP के रामचन्द्र पासवान जीते थे. उन्हें 2,70,391 वोट मिले थे. उनके मुकाबले दूसरे स्थान पर रहे कांग्रेस के डॉ. अशोक कुमार को 2,63,529 और तीसरे स्थान पर रहे. JDU के महेश्वर हजारी को 2,00,120 वोट मिले थे. पिछले चुनाव में पासवान काफी कम वोट के अंतर से जीते थे. पासवान को जहां 31.33 प्रतिशत वोट मिले तो वहीं अशोक कुमार को 30.53 प्रतिशत।
2014 के चुनाव में एक दिलचस्प बात यह भी रही कि यहां वोटरों ने नोटा का बटन भरपूर दबाया. कुल 3.38 प्रतिशत वोट के साथ कुल 29,211 नोटा दर्ज हुए.
हालांकि समस्तीपुर के सीने पर पर एक गहरा घाव भी है जो आज तक नहीं भरा है. 3 जनवरी 1975 को समस्तीपुर में तत्कालीन रेल मंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता ललित नारायण मिश्रा की हत्या कर दी गई थी।
वही इस बार NDA से रामचंद्र पासवान व महागठबंधन से अशोक कुमार फिर से मैदान में हैं वही अन्य लोगो के बिच मुकबला हैं