Second Tiger Reserve: बिहार को जल्द मिलेगा दूसरा टाइगर रिज़र्व, केंद्र सरकार ने दी कैमूर वन्यजीव अभयारण्य को मंज़ूरी

जल्द बनेगा दूसरा टाइगर रिज़र्व

Second Tiger Reserve: वीटीआर यानी वाल्मीकि टाइगर रिज़र्व (Valmiki Tiger Reserve) के बाद राज्य में अब एक और टाइगर रिज़र्व बनने वाला है. बीते सोमवार को बिहार के पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन विभाग के मंत्री प्रेम कुमार ने यह घोषणा कर दी है कि जल्द ही राज्य में दूसरा टाइगर रिज़र्व बनेगा. केंद्र ने भी कैमूर वन्यजीव अभयारण्य (Kaimur Wildlife Sanctuary) को बाघ अभयारण्य में बदलने के प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी है. मंत्री प्रेम कुमार ने यह भी बताया है कि इस फ़ैसले से टाइगर रिज़र्व के रूप में बेहतर विकास होगा. इसके विकास के लिए अब राज्य सरकार बाघों को ट्रांसफर करने की योजना बना रही है. राज्य का एकमात्र राष्ट्रीय उद्यान वाल्मीकि टाइगर रिज़र्व है, जिसकी क्षमता लगभग समाप्त ही हो चुकी है. इसके एवज में राज्य सरकार अब बड़े बाघों को केडब्ल्यूएलएस में ट्रांसफर करने के विचार को अंतिम रूप दे रही है.

बाघों की आबादी में हुई वृद्धि

बता दें कि 1504.96 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में कैमूर वन्यजीव अभयारण्य फैला हुआ है. पर्यावरण एवं वन विभाग की सचिव वंदना प्रेयशी ने बताया कि बीते कुछ वर्षों में वाल्मीकि टाइगर रिज़र्व में बाघों की आबादी में वृद्धि हुई है. वाल्मीकि टाइगर रिज़र्व में अब बाघों की संख्या 45 से 54 पर पहुंच गयी है और यह बिहार के लिए एक बड़ी उपलब्धि है. एनटीसीए यानी राष्ट्रीय बाघ सरंक्षण प्राधिकरण ने 12वीं टेक्निकल कमिटी की बैठक की थी. एनटीसीए ने अपनी इस कमिटी की बैठक में कैमूर वन्यजीव अभयारण्य को बिहार के दूसरे टाइगर रिज़र्व के रूप में विकसित करने के लिए हरी झंडी दिखा दी है.

70 प्रजाति के पशु-पक्षी हैं मौजूद

वीटीआर पश्चिम चंपारण जिले के वाल्मीकि अभयारण्य का हिस्सा है. आपको बता दें कि यह लगभग 909 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है. इसे देश के 18वें टाइगर रिज़र्व के रूप में वर्ष 1990 में विकसित किया गया था. इसे घनत्व और बाघों की आबादी के मामले में पूरे देश भर में चौथा स्थान हासिल है. अभयारण्य की शोभा को और बढ़ाने के लिए, इसके अन्दर से गंडक और मसान नदी गुज़रती हैं. वहीं, उत्तर में कैमूर वन्यजीव अभयारण्य भोजपुर, बक्सर और उत्तर प्रदेश के गाजीपुर के कुछ हिस्सों तक में फैला हुआ है. साथ ही, दक्षिण में झारखण्ड के पलामू और गढ़वा जिले के कुछ हिस्से भी इसमें आते हैं. पश्चिम में यूपी के वाराणसी और सोनभद्र के हिस्से आते हैं और पूर्व में इसमें बिहार के औरंगाबाद और जहानाबाद जिले के हिस्से आते हैं. अधिकारियों द्वारा यह बताया गया कि इस वन्यजीव अभयारण्य में तेंदुएं, चितल, साम्भर, भालू, जंगली सुअर, नीलगाय, चौसिंघा सहित 70 प्रजातियों के पशुपक्षी मौजूद हैं.

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