जदयू के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और बिहार के पुराने समाजवादी नेता शरद यादव का गुरुवार की रात निधन हो गया. उनकी बेटी सुभाषिणी यादव ने फेसबुक पर पोस्ट कर जानकारी दे दी है जिसमें उन्होंने लिखा था कि पिताजी नहीं रहे. शरद यादव ने अपने राजनीतिक जीवन में कई बड़े उतार चढ़ाव देखें हैं. लालू यादव हो या फिर नीतीश कुमार दोनों के साथ संबंध बेहतर भी रहे हैं और समय के साथ खराब भी हो गए. लेकिन शरद यादव हमेसा से समाजवाज का झंडा बुलंद करते रहे हैं. पिछले दिनों मीडिया की सुर्खियों में तब आए थे जब दिल्ली के तुगलक रोड स्थित 7 नंबर बंगले में 22 साल तक अपना जीवन गुजारने के बाद उसे छोड़ना पड़ा था.

आपको याद होगा नीतीश कुामर जब साल 2015 में बीजेपी से नाता तोड़ कर महागठबंधन के साथ मिलकर सरकार में आई थी तब शरद यादव ने एक एंकर की तरह काम किया था. कहा जाता है कि शरद यादव के ही बदौलत यह सबकुछ हो पाया था हालांकि दो साल तक साथ रहने के बाद दोनों के बीच में एक बार फिर से दरार उत्पन्न हो गई और नीतीश कुमार महागठबंधन से नाता तोड़कर बीजेपी के साथ सरकार में चले गए. लेकिन नीतीश कुमार के इस फैसले से शरद यादव खुश नहीं थे और उन्होंने खुद को जदयू के अलग कर लिया. और एक अलग पार्टी की स्थापना कर दी. जिसका बाद के समय में राजद में विलय हो गया. हालांकि विलय की घटना के बाद जदयू ने शरद यादव पर खुब तंज कसा था.

शरद यादव भारत के उन राजनेताओं में गिने जाते हैं जिन्हें देश के तीन अलग अलगे प्रदेशों की जनता ने प्यार दिया है. शरद यादव मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार से लोकसभा का चुनाव जीत चुके हैं. उन्हें इमरजेंसी के दौरान जेल भी जाना पड़ा था. उन्होंने आखिरी समय तक समाजवाद का झंडा बुलंद किया है. वे अपने विचारों पर सदा अडिग रहे हैं. वे डॉ. राममनोहर लोहिया के विचारों से प्रभावित थे और उनकी सभाओं में भी खुब जाया करते थे. समाजवादी विचारधारा से प्रभावित इस व्यक्ति ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत लालू यादव और मुलायम सिंह यादव के साथ किया था. शुरुआती शिक्षा दीक्षा के बाद इन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई की. जब साल 1971 में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे थे. उस समय जबलपुर मध्यप्रदेश के छात्र संघ के अध्यक्ष चुने गए थे. छात्र राजनीति के साथ ही पढ़ाई में भी अग्रणी रहे हैं शरद यादव. बीई सीविल में इन्हें गोल्ड मेडल मिला था. कहते हैं कि पढ़ाई में बेहतर होने के कारण ही इन्होंने अपने राजनीतिक जीवन में इतना बड़ा मुकाम हासिल किया और आखिरी व्यक्ति की लड़ाई बुलंद करते रहे हैं.

साल 1990 के बाद जब वे बिहार की सियासत में एक्टिव हुए तो लालू और नीतीश के साथ अपने राजनीतिक सफर को आगे बढ़ाए. इतना ही नहीं बिहार कि सियासत में जब लालू सत्ता में हो या फिर नीतीश सत्ता मे हो दोनों ही पार्टियों के साथ शरद यादव सत्ता के केंद में रहे हैं. जब साल 1990 में जब जनता दल के सरकार के गटन की बारी आई तब शरद ने लालू यादव का साथ दिया था जब जब नीतीश कुमार बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बनाने के लिए आगे आए तो उन्होंने नीतीश कुमार का साथ दिया. हालांकि समय के साथ दोनों ही पार्टियों के साथ इनका अलगाव भी देखने को मिला. शरद यादव ने अपने राजनीतिक जीवन का आरंभ भी राजद के साथ ही किया और अब जब शरद यादव इस दुनिया में नहीं है तब भी वे राजद के ही सदस्य हैं. मधेपुरा से चार बार सांसद रहने वाले शरद यादव ने मधेपुरा में अपना मकान भी बनाया था इतना ही नहीं उनका स्थानीय मतदाता सूची में नाम भी जुड़ा हुआ है.

साल 2020 के विधानसभा चुनाव में शरद यादव ने अपनी बेटी को कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़वाया था. हालांकि उन्हें हार का सामना करना पड़ा था औरउसी दौरान शरद यादव अपने बेटे शांतनु बुंदेला के साथ पटना भी आए थे इस दौरान लालू यादव और नीतीश कुमार से इनकी मुलाकात भी हुई थी. ऐसे में यह कहा जा रहा था कि शरद यादव यह कहने आए थे कि अब हमारे बेटे बेटियों पर आपलोग ध्यान देंगे. बता दें कि शरद यादव ने साल 2022 में अपनी पार्टी का विलय राजद में कर वया दिया था. उससे पहले साल 2019 में उन्होंने राजद के टिकट पर चुनाव भी लड़ा था.

लालू यादव ने शरद यादव के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा है कि शरद यादव के निधन से मैं विचलित हुआ हूं. इस दौरान उन्होंने शरद यादव को महान समाजवादी नेता बताया. लालू यादव ने कहा कि शरद यादव कोई भी बात अपने तरीके से करते थे. लालू यादव ने भगवान से शरद यादव की दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करने और शोक संतप्त परिवार को धैर्य और साहस देने की कामना की.

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए लिखा है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद यादव जी का निधन दुःखद. शरद यादव जी से मेरा बहुत गहरा संबंध था. मैं उनके निधन की खबर से स्तब्ध एवं मर्माहत हूं. वे एक प्रखर समाजवादी नेता थे. उनके निधन से सामाजिक एवं राजनीतिक क्षेत्र में अपूरणीय क्षति हुई है. ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दें.

उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कहा है कि शरद यादव का निधन उनके लिए व्यक्तिगत क्षति है. तेजस्वी यादव ने कहा कि शरद यादव हमारे अभिभावक थे. आज देश जिस दौर से गुजर रहा है. सांप्रदायिक आधार पर विभाजन कराया जा रहा है. देश की संपत्ति बेची जा रही है. इन सबके खिलाफ चल रही लड़ाई में शरद यादव की कमी बहुत खलेगी.

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