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पंजाब के खेतों में खेलते खेलते आज बन गया है भारतीय टीम का सलामी बल्लेबाज

Bihari News

Virat Kohli(विराट कोहली) ने अभी हाल ही में अपने अंतराष्ट्रीय क्रिकेट के शानदार चौदह साल पूरे किए हैं और Rohit Sharma(रोहित शर्मा) तो विराट से भी पहले के हैं. वक्त के साथ अब भारतीय क्रिकेट में इन 2 दिग्गज बल्लेबाजों के उत्तराधिकारी की तलाश भी जोर पकड़ने लगी है. विराट कोहली 34 के हैं और रोहित 35 के हो गए हैं इसलिए दोनों का करियर अपने अंतिम चरण में है. भारतीय टीम ऐसे खिलाड़ी की तलाश कर रही है जो कोहली और रोहित के विरासत को सफलतापूर्वक आगे बढ़ा सके. एक खिलाड़ी है, जिसका नाम रेस में सबसे आगे चल रहा है. इस खिलाड़ी ने हर मौके पर अपनी दावेदारी मजबूती से पेश की है. इनकी स्टाइलिश बल्लेबाजी की चर्चा सिर्फ भारत में ही नहीं समूचे विश्व में हो रही है. इनकी बल्लेबाजी देखकर ऐसा लगता है मानों इनमें कोहली और रोहित दोनों का मिश्रण है. चाहे रेड बॉल हो या फिर वाइट बॉल, यह बल्लेबाज अपनी बल्लेबाजी से सबको मंत्रमुग्ध कर देता है.

पंजाब के खेतों से निकला यह खिलाड़ी भविष्य में भारतीय बल्लेबाजी क्रम की रीढ़ बनेगा. आज बात होगी भारत के एक ऐसे युवा और प्रतिभाशाली बल्लेबाज के बारे में, जिसे रोहित शर्मा और विराट कोहली का उत्तराधिकारी समझा जा रहा है. आज बात भारत के स्टाइलिश बल्लेबाज के बारे में, जिसे हम सब शुभमन गिल के नाम से जानते हैं. आज के लेख में हम आपको शुभमन गिल के जीवन के कुछ जाने-अनजाने और अनकही बातों से रूबरू करवाएंगे.

8 सितंबर, 1999 को पाकिस्तान बॉर्डर के पास पंजाब के फाजिल्का जिले के चक खेरावाला गांव में पिता लखविंदर सिंह और मां कीर्ति गिल के मिडिल क्लास खेतीहर परिवार में एक बेटे का जन्म हुआ, जिसे दुनिया शुभमन गिल के नाम से जानती है. गिल की एक बड़ी बहन भी है, जिसका नाम शाहिन गिल है.

शुभमन गिल के पिता से लेकर दादा और उनसे पहले की पीढ़ी, सब खेती से ही अपना जीवनयापन करते थे लेकिन शुभमन गिल के पिता लखविंदर सिंह इस परंपरा को तोड़कर एक क्रिकेटर बनना चाहते थे, उनमें प्रतिभा भी थी लेकिन परिवार की तरफ से समर्थन ना मिलने के कारण वो क्रिकेटर बनने के सपने को छोड़ खेती-बाड़ी ही करने लगे.
वो किसान तो बन गए लेकिन क्रिकेट का जुनून अभी खत्म नहीं हुआ था. तब उनके घर में हर वक्त चार-पांच बल्ले और टेनिस गेंद पड़ी रहती थी. उस वक्त 3 साल के शुभमन गिल घर में पड़े भारी बल्ले को उठाने की कोशिश किया करते थे. जब वो ऐसा करने में कामयाब नहीं हो पाते थे, तब उदास हो जाते थे.

शुभमन के दादा और उनका पूरा परिवार उन्हें अलग-अलग खिलौने देकर खुश करने की कोशिश करते थे लेकिन शुभमन को तो उस बल्ले और गेंद के अलावा किसी दूसरे खिलौने में कोई दिलचस्पी नहीं थी. जो ख़ुशी शुभमन गिल को वो बल्ले और वो गेंद देते थे और दूसरा कोई खिलौना उस टक्कर में नहीं था. यह सब देख दादा जी ने पोते शुभमन के लिए एक हल्का बैट बनवाया और यहां से गिल अपने क्रिकेट और अपने बल्ले के साथ बड़े होने लगे. तब पिता लखविंदर अपने बेटे को घर के बरामदे में रोज टेनिस गेंद से बैटिंग करवाते थे.

समय के साथ शुभमन गिल के पिता को ये बात समझ में आने लगी कि उनका बेटा क्रिकेट में एक विशेष प्रतिभा लेकर पैदा हुआ है. तब वो अपने बेटे को खेत ले जाने लगे, जहां उन्होंने एक अच्छी क्रिकेट पिच का निर्माण करवा दिया था. वहां शुभमन अपने पिता सहित उम्र में खुद से कई बड़े लड़कों के साथ क्रिकेट खेला करते थे.

शुभमन गिल के पिता लखविंदर सिंह सभी खेलने वालों लड़कों को कहते थे कि जो भी शुभमन को आउट कर देगा , उसे वो 50 रूपए देंगे, कभी कभी यह ईनाम राशि बढ़कर 100 रूपए भी हो जाती थी लेकिन सप्ताह के अंत में एक या दो बार ही ऐसा होता था कि कोई लड़का गिल को आउट कर ईनाम जीतता था नहीं तो ईनाम राशि शुभमन गिल को मिलती थी.

शुभमन गिल के अंदर हुनर तो था ही लेकिन अभी उन्होंने क्रिकेट को गंभीरता से लेना शुरू नहीं किया था मतलब अभी उन्होंने अपने पैशन को प्रोफेशन में बदलने की नहीं सोची थी. अभी तो वो बस क्रिकेट खेलते थे ताकि स्कूल होमवर्क से पीछा छुड़ाया जा सके और यह पिता से रूपए इकठ्ठा करने का एक साधन भी था.

लेकिन पिता लखविंदर सिंह को अपने बेटे का भविष्य साफ नजर आ रहा था. वो कहते हैं ना कि जिसके अपने सपने पूरे नहीं होते, वो दूसरों के सपनों को पूरा करते हैं. यही कारण था कि वो अपने बेटे को दिन रात प्रैक्टिस करवाते थे और क्रिकेट से जुड़े पुराने किस्से-कहानियाँ सुनाते थे. घर में tv पर सिर्फ क्रिकेट मैच चलता था, जहां सचिन को खेलते देखकर शुभमन गिल को इस खेल के मायने समझ में आने लगे और वो इस खेल से गहरे जुड़ने लगे थे.
7-8 साल की उम्र में शुभमन हर दिन अपने पिता की 500 से 600 गेंदों का सामना किया करते थे, जिन्हें पिता नए-नए तरीकों से फेंका करते थे. कई बार पिता लखविंदर सिंह पिच पर चारपाई लगा देते थे, जिसपर पड़कर गेंद ज्यादा तेजी से शुभमन गिल के पास पहुँचती थी और इस तरह गिल को तेज गेंदबाजी का सामना करने का गुर उनके पिता ने ही सिखाया था.

शुभमन गिल अधिकतर समय अपने पिता के साथ खेतों में बिताते थे और उन्हें खेतों का माहौल बहुत पसंद आ रहा था. क्रिकेट के अलावा उन्हें खेती की विधियों को सीखने समझने में भी दिलचस्पी पैदा होने लगी थी. गिल के पिता की मानें तो शुभमन गिल अगर क्रिकेटर नहीं बनते तो उन्हें किसान बनने से भी कोई गुरेज नहीं था.

शुभमन गिल के खेल में तो सुधार हो रहा था लेकिन अंतराष्ट्रीय स्तर तक पहुंचने के लिए उन्हें अच्छी कोचिंग की जरुरत थी, जो गांव में रहकर मिलना बहुत मुश्किल था और इसलिए अपने बेटे-परिवार को लेकर लखविंदर सिंह गांव और खेत खलियान छोड़ वहां से 300 किमी दूर मोहाली आ गए. लखविंदर ने वहां पंजाब क्रिकेट अकैडमी के पास ही एक किराए का घर ले लिया और रहने लगे.

शुभमन गिल ने यहां आकर मानव स्मार्ट स्कूल ज्वाइन किया लेकिन यहां भी क्रिकेट का अच्छा स्ट्रक्चर नहीं था, इसलिए उन्होंने स्कूल के बाद क्रिकेट अकैडमी जाना शुरू कर दिया था. शुभमन गिल रोज सुबह साढ़े तीन बजे उठते, 4 बजे तक तैयार होते और 2 घंटे क्रिकेट प्रैक्टिस के बाद स्कूल जाते और फिर स्कूल से आने के बाद देर रात तक क्रिकेट प्रैक्टिस किया करते थे. यही गिल की उस वक्त की दिनचर्या थी और रविवार के दिन तो गिल पूरे दिन मैदान पर ही बिताते थे.

शुभमन गिल की जिंदगी क्रिकेट के इर्द-गिर्द ही बीत रही थी और अब उनकी उम्र 11 साल की हो गई थी. लेकिन अकैडमी से बाहर उनकी क्रिकेट आगे नहीं बढ़ रही थी लेकिन तब आया साल 2009, जब करसन घावरी को पंजाब क्रिकेट अकैडमी में तेज गेंदबाजों को तैयार करने भेजा गया था. अकैडमी में अंडर-16 और अंडर-19 के खेलने वाले गेंदबाज अलग-अलग राज्यों से आए थे लेकिन उन गेंदबाजों को तैयार करने के लिए घावरी को अच्छे बल्लेबाज नहीं मिल रहे थे.
चार-पांच दिन ऐसे ही बीत गए और फिर एक दिन जब बारिश के चलते प्रैक्टिस सेशन रोकना पड़ा तो घावरी अपने एक दोस्त के साथ घुमने निकल पड़े. उसी समय अकैडमी के पास एक मैदान पर उन्होंने कुछ बच्चों को खेलते हुए देखा, जिसमें एक 11-12 साल का लड़का बारिश के बावजूद भी तेज गेंदबाजों को काफी बढ़िया तरीके से खेल रहा था.
यहां घावरी की मुलाकात हुई शुभमन गिल के पिता से, जो दूर खड़े वह मैच देख रहे थे. घावरी ने गिल के पिता से कहा कि वो उनके बेटे को हर तरह की सुविधाएँ देंगे बस वो कल अपने बेटे को उनके पास भेज दें. अपने बेटे को क्रिकेटर बनाने का सपना देख रहे पिता लखविंदर के लिए इससे अच्छी बात और क्या हो सकती थी ? कि भारत का एक महान खिलाड़ी उनके बेटे को खुद तैयार करना चाहते हैं. लखविंदर सिंह ने घावरी को हां कहकर घर चले आए.

दूसरे दिन शुभमन गिल घावरी के पास पहुंचे, जहां गिल का एक से बढ़कर एक तेज गेंदबाजों से सामना हुआ, जिनमें संदीप शर्मा भी शामिल थे. घावरी ने जब गिल को उन बेहतरीन तेज गेंदबाजों के सामने बल्लेबाजी करते देखा तो वो समझ गए कि गिल को एक बड़ा मंच चाहिए. वो इस छोटे से पिंजरे में नहीं समाने वाले बल्कि उन्हें बड़ा जंगल चाहिए. और जब घावरी को ये पता चला कि शुभमन गिल को अभी तक अंडर-14 में खेलने का मौका नहीं मिला है तो उन्होंने पंजाब क्रिकेट के बड़े पदाधिकारियों से गिल को अंडर-14 और अंडर-16 में शामिल करने के लिए कहा.

यहां से गिल ने क्रिकेट के सबसे बड़े मंच की ओर अपना कदम बढ़ा दिया था. अंडर-14 में बेहतरीन प्रदर्शन के बाद शुभमन गिल ने अंडर-16 में शानदार दोहरे शतक के साथ आगाज किया. इसी दौरान गिल ने 2014 के एमएल मार्कन ट्रॉफी के अंतर्गत खेले जा रहे इंटर डिस्ट्रिक्ट टूर्नामेंट में मोहाली के लिए खेलते हुए निर्मल सिंह के साथ मिलकर 587 रनों की जबरदस्त साझेदारी की थी, जिसमें शुभमन गिल ने 49 चौकों की मदद से 351 रनों की पारी खेली थी.

इस प्रदर्शन के दम पर शुभमन गिल ने पंजाब की अंडर-19 टीम में अपनी जगह बना ली और यहां भी बेहतरीन प्रदर्शन जारी रखा.

शुभमन गिल के बल्ले की धमक भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड तक भी पहुंची, तभी तो उनको साल 2014 और 2015 में बेहतरीन प्रदर्शन के लिए BCCI ने बेस्ट अंडर-16 प्लेयर के खिताब से नवाजा था और यहीं गिल की मुलाकात पहली बार विराट कोहली से हुई थी.

साल 2017 में शुभमन गिल को भारत की अंडर-19 टीम में शामिल किया गया था, जहां इंग्लैंड के विरुद्ध वनडे सीरीज में खेलते हुए उन्होंने 4 मुकाबलों में 278 रन बनाए थे और इसी के बाद गिल के लिए डोमेस्टिक क्रिकेट के दरवाजे भी खुल गए.
25 फरवरी, 2017 को विधर्भ के लिए खेलते हुए शुभमन गिल ने अपना लिस्ट ए डेब्यू किया था और इसी साल नवंबर महीने में गिल ने अपना फर्स्ट क्लास डेब्यू भी कर लिया. और अपने दूसरे फर्स्ट क्लास मुकाबले में ही शतक ठोककर सनसनी मचा दी.

अगले साल यानी साल 2018 में शुभमन गिल को अंडर-19 वर्ल्ड कप के लिए भारतीय टीम का उपकप्तान बनाया गया और बल्लेबाज ने मेगा टूर्नामेंट में 372 रन बनाए, जो भारतीय खिलाड़ियों में सबसे अधिक था. भारत की अंडर-19 टीम उस साल विश्व चैंपियन बनी और इसमें उपकप्तान शुभमन गिल का अहम योगदान था.
सेमीफाइनल में पाकिस्तान से भिड़ने से पहले गिल को ये खबर मिली कि आगामी आईपीएल सीजन में वो कोलकाता नाइट राइडर्स की तरफ से खेलने वाले हैं, जिसने उन्हें 1.8 करोड़ रूपए में खरीदकर अपने साथ जोड़ा है. इस खुशखबरी के साथ गिल अगले दिन पाकिस्तान के खिलाफ मैदान में उतरे और शतक ठोककर भारत को फाइनल में पहुंचा दिया.

इसी साल शुभमन गिल ने फर्स्ट क्लास क्रिकेट में अपना दोहरा शतक भी ठोक दिया था और साल 2019 के पहले महीने में ही उन्होंने फर्स्ट क्लास क्रिकेट में अपने 1000 रन पूरे कर लिए थे.
नवंबर, 2019 में इंडिया सी का कप्तान बनने के बाद शुभमन गिल ने सबसे युवा कप्तान बनने के मामले में विराट कोहली को पीछे छोड़ दिया था.

31 जनवरी, 2019 को शुभमन गिल ने न्यूजीलैंड के खिलाफ अपना वनडे डेब्यू किया था लेकिन अपने वनडे अंतराष्ट्रीय डेब्यू को गिल याद नहीं रखना चाहेंगे. भारतीय टीम न्यूजीलैंड दौरे पर गई थी और सीरीज के चौथे वनडे में विराट कोहली की जगह गिल को शामिल किया गया था. गिल क्या पूरी भारतीय बल्लेबाजी निराशाजनक रही थी, जहां टीम सिर्फ 92 रनों पर ही सिमट गई थी. गिल को सीरीज के आखिरी मैच में भी खेलने का मौका मिला था लेकिन वो सिर्फ 7 रन पर ही आउट हो गए थे.

2019 आईपीएल में शुभमन गिल ‘इमर्जिंग प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट’ बने थे. इसके बाद अगस्त के महीने में गिल इंडिया ए की तरफ से खेलते हुए दोहरा शतक लगाने वाले सबसे युवा बल्लेबाज बन गए थे. शुभमन गिल ने ये कारनामा वेस्टइंडीज ए की शानदार गेंदबाजी आक्रमण के विरुद्ध ब्रायन लारा स्टेडियम में किया था.

शुभमन गिल को दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टेस्ट सीरीज के लिए भारतीय स्क्वाड में शामिल किया गया लेकिन खेलने का मौका नहीं दिया, इसके बाद न्यूजीलैंड सीरीज में भी यही हुआ. लेकिन आखिरकार गिल को दिसंबर 2020 में ऑस्ट्रेलिया दौरे पर खेली गई टेस्ट सीरीज के दूसरे टेस्ट में डेब्यू करने का मौका मिल ही गया, जिसमें खिलाड़ी ने अपनी बल्लेबाजी से प्रभावित किया और भारत को सीरीज में वापसी करवाने में अहम भूमिका निभाई थी. इसके बाद गिल उस ऐतिहासिक गाबा टेस्ट का भी हिस्सा रहे थे, जिसमें भारत ने ऑस्ट्रेलिया को उन्हीं के घर में हराकर बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी अपने नाम किया था. इस मैच में शुभमन गिल ने पारी की शुरुआत करते हुए दूसरी पारी में 91 रनों की पारी खेली थी, जिसने भारत की जीत की नींव रखी थी. इसके बाद से शुभमन गिल भारतीय टीम का प्रमुख चेहरा बने हुए हैं. उनको रोहित शर्मा का उत्तराधिकारी समझा जा रहा है.


आईपीएल 2022 में नई नवेली टीम गुजरात टाइटन्स चैंपियन बनी, जिसमें सलामी बल्लेबाज शुभमन गिल ने बड़ी भूमिका निभाई थी. हाल ही में जिम्बाब्वे के खिलाफ खेलते हुए वनडे सीरीज में शुभमन गिल ने शानदार बल्लेबाजी के दम पर ‘मैन ऑफ द सीरीज’ खिताब अपने नाम किया था. सीरीज के अंतिम वनडे में गिल ने शानदार 130 रन बनाकर अपना पहला वनडे अंतराष्ट्रीय शतक लगाया था. जब भी टीम के नियमित ओपनर नहीं होते तो गिल ही पहली पसंद होते हैं. रोहित और विराट के संन्यास के बाद शुभमन गिल ही उनकी विरासत को संभालेंगे, ये तय है. आपको क्या लगता है दोस्तों ? क्या शुभमन गिल रोहित शर्मा के मजबूत उत्तराधिकारी साबित होंगे. कमेंट में हमें जरुर बताएं.

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