smart meter: कैसे काम करता है पुराना मीटर और स्मार्ट मीटर, दोनों में क्या है अंतर?
आज के समय में हर घर में बिजली का कनेक्शन है. इन दिनों हर घर में पुराने बिजली मीटर की जगह नए स्मार्ट मीटर लगाने का काम चल रहा है. ऐसे में आपमें से भी कई लोग ऐसे होंगे, जिन्होंने स्मार्ट मीटर को देखा होगा. लेकिन क्या आपको पुराने मीटर और स्मार्ट मीटर के बीच का अंतर पता है. अगर आप भी पुराने मीटर और स्मार्ट मीटर के बीच के फर्क को नहीं जानते हैं, तो आज हम आपको दोनों के बीच के अंतर को बतायेंगे. जब देश में पहली बार बिजली आई थी, तब मीटर का इस्तेमाल नहीं होता था, लेकिन समय के साथ मीटर का चलन शुरू हुआ और अब लगभग हर घर में मीटर लगा हुआ है। अब टेक्नोलॉजी इतनी आगे बढ़ गई है कि पुराने मीटरों को हटा कर नए स्मार्ट मीटर लगाए जा रहे हैं। आइए जानते हैं पुराने मीटर और स्मार्ट मीटर के बीच के अंतर को।
मीटर क्यों लगाया जाता है?
बिजली के मीटर का मुख्य उद्देश्य बिजली की खपत को मापना है। जैसे–जैसे महंगाई बढ़ी, बिजली के उपयोग को मापने के लिए मीटर जरूरी हो गए थे। मीटर की मदद से यह पता चलता है कि आपने एक महीने में कितनी बिजली खर्च की है और उस हिसाब से आपको बिल दिया जाता है। इससे लोग अपनी बिजली की खपत पर ध्यान देने लगते हैं और जरूरत से ज्यादा बिजली का इस्तेमाल कम करते हैं।
पुराने मीटर में क्या समस्याएँ थीं?
पुराने बिजली मीटरों में कई खामियाँ थीं, जो न सिर्फ बिजली कंपनियों के लिए बल्कि ईमानदारी से बिल भरने वाले उपभोक्ताओं के लिए भी समस्या का कारण बनती थीं। पुराने मीटर में कुछ खास बातें थीं:
- छेड़छाड़ करना आसान था: पुराने मीटरों को बहुत आसानी से बंद या चेंज किया जा सकता था। इस कारण कुछ लोग मीटर से छेड़छाड़ कर के अपनी बिजली की खपत कम दिखाते थे।
- बिजली चोरी की समस्या: पुराने मीटरों में इस तरह की खामियाँ थीं कि लोग अपनी खपत से कम यूनिट दिखाकर बिजली कंपनी से ज्यादा बिल बचाते थे। कुछ लोग तो मीटर में सर्किट लगाकर बिजली चुराने की भी कोशिश करते थे।
- चोरी का बड़ा पैमाना: इन मीटरों के जरिए हर महीने लाखों रुपये की बिजली चोरी होती थी। अनुमान के मुताबिक, पुराने मीटर में हर महीने 3 से 6 लाख रुपये की बिजली चोरी होती थी।
- ईमानदारी से भुगतान करने वालों को नुकसान: इस चोरी का सीधा असर उन उपभोक्ताओं पर पड़ता था जो अपने बिल को सही समय पर और पूरी ईमानदारी से भरते थे। उन्हें नुकसान उठाना पड़ता था क्योंकि बिजली कंपनी का राजस्व कम होता था और इसके चलते बिल बढ़ सकते थे।
स्मार्ट मीटर में क्या खास है?
अब पुराने मीटरों की जगह स्मार्ट मीटर लगाए जा रहे हैं, जिनमें कई नई और उन्नत सुविधाएँ हैं, जो बिजली की खपत को पूरी तरह से ट्रैक करती हैं। स्मार्ट मीटर की कुछ खास बातें निम्नलिखित हैं:
- रिचार्ज सिस्टम: स्मार्ट मीटर में बिजली का उपयोग करने से पहले आपको अपने मीटर को रिचार्ज करना पड़ता है। यह रिचार्ज आपके चुने गए प्लान के हिसाब से होता है, और जब तक आपने रिचार्ज नहीं किया, आप बिजली का उपयोग नहीं कर सकते।
- खपत की जानकारी: स्मार्ट मीटर के माध्यम से उपयोगकर्ता को पहले से ही पता चल जाता है कि उनका बिजली बिल कितना हो सकता है। यह बिल को समझने में मदद करता है और आप अपनी खपत को नियंत्रित कर सकते हैं।
- बिजली का रिचार्ज: स्मार्ट मीटर में आपको स्मार्टफोन के जरिए रिचार्ज करने की सुविधा मिलती है। जैसे आप मोबाइल का रिचार्ज करते हैं, वैसे ही आप बिजली के मीटर का भी रिचार्ज कर सकते हैं।
- ईमानदारी से बिल भरने की संभावना: स्मार्ट मीटर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इस मीटर के जरिए कोई भी व्यक्ति बिजली चोरी नहीं कर सकता। स्मार्ट मीटर की मदद से बिजली कंपनी रियल टाइम में बिजली खपत की जानकारी ले सकती है, जिससे कोई भी अनधिकृत खपत नहीं हो सकती। इसका फायदा यह है कि सभी उपभोक्ताओं को अपने बिल को सही तरीके से भरने के लिए प्रेरित किया जाता है।
- बिजली की खपत पर नियंत्रण: स्मार्ट मीटर का उपयोग करने से उपभोक्ता अपनी बिजली खपत पर बेहतर नियंत्रण रख सकते हैं। यह मीटर उपयोगकर्ताओं को अपनी खपत के बारे में जानकारी देता है, जिससे वे अपनी खपत को उचित तरीके से मैनेज कर सकते हैं।
स्मार्ट मीटर के फायदे
- बिजली चोरी पर रोक, बिजली खपत पर निगरानी, ऑनलाइन रिचार्ज, ईमानदारी से बिल भरने की सुविधा