sonpur mela 2024: सज गया विश्व प्रसिद्ध सोनपुर मेलासज गया विश्व प्रसिद्ध सोनपुर मेला, जानिए मेले में इस बार क्या–क्या है नया और ख़ास?
बिहार की राजधानी पटना से महज 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सोनपुर में एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला आयोजन होता है। यह मेला न केवल बिहार, बल्कि पूरे एशिया में प्रसिद्ध है, और इसका ऐतिहासिक, धार्मिक, और सांस्कृतिक महत्व भी है। सोनपुर मेला, जो कार्तिक महीने में शुरू होता है, हर साल लाखों पर्यटकों और पशुपालकों को आकर्षित करता है। इस बार भी सोनपुर मेले की शुरुआत हो चुकी है.
पौराणिक और ऐतिहासिक महत्व
सोनपुर का क्षेत्र मोक्षदायिनी गंगा और नारायणी (गंडक) नदियों के संगम पर स्थित है, और यह बिहार के सारण तथा वैशाली जिलों की सीमा पर पड़ता है। इस इलाके का धार्मिक महत्व बहुत पुराना है, और यहां के मेला को लेकर कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। एक प्रसिद्ध मान्यता के अनुसार, यह स्थल ‘गजेंद्र मोक्ष स्थल‘ के रूप में जाना जाता है।
पशु मेले की खासियत
सोनपुर मेला का मुख्य आकर्षण यहां बिकने वाले पशु होते हैं। यहां सुई से लेकर हाथी तक की बिक्री होती है. एक समय था जब यह मेला अपनी विविधता और विशेषता के लिए प्रसिद्ध था। इस मेले में कई तरह के पशु जैसे ऊँट, घोड़े, गाय, बकरी, भैंस, हाथी आदि बिक्री के लिए आते हैं। इसके अलावा, यहां पशुपालकों, व्यापारी वर्ग, और पर्यटकों का जमावड़ा होता है, जो मेले का हिस्सा बनते हैं। मेला एक महीने तक चलता है, और इस दौरान हर दिन हजारों लोग आते हैं।
नस्लीय भैंस और अनोखी घटनाएं
हर बार सोनपुर मेले में कुछ ऐसी चीजें भी आती हैं, जो चर्चा और आकर्षण का केंद्र बन जाता है. इस बार भी बनारस से लाए गए एक मुर्रा नस्ल का भैंस विशेष आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। जिसे देखने दूर–दूर से लोग पहुँच रहें. इसकी कीमत दो करोड़ पांच लाख रुपये है, और यह विशेष प्रकार के आहार जैसे संतरा, गेहूं और मसूर के दाने खाता है, साथ ही रोजाना बीयर भी पीता है। इस भैंसे के बारे में कहा जाता है कि इसकी बीयर पीने की आदत के कारण इसका स्वास्थ्य उत्तम रहता है, और इसके द्वारा गर्भधारण करवाए जाने वाले भैंसों का बच्चा उच्च गुणवत्ता का होता है। हालांकि, मेला में बीयर पर प्रतिबंध होने के कारण अब यह भैंसा थोड़ा सुस्त नजर आने लगा है।
भैंसे के मालिक रामजतन यादव के पास दो और भैंसें हैं, जो 20 से 24 लीटर तक दूध देती हैं। इन भैंसों की कीमत भी बहुत ज्यादा है, और यह मुर्रा नस्ल की होने के कारण खास पहचान रखती हैं। इनके सींग विशेष रूप से रिंग के आकार में होते हैं, जो इनकी विशेषता को और बढ़ा देते हैं।
माता वैष्णो देवी का मंदिर
सोनपुर मेला का एक और महत्वपूर्ण आकर्षण है, यहां स्थित माता वैष्णो देवी का मंदिर। इस मंदिर को जम्मू के कटरा से प्रेरित होकर बनाया गया है, और इसे चिड़िया बाजार के पास पहाड़ी की सीढ़ियों को चढ़ते हुए पहुंचा जा सकता है। इस मंदिर के निर्माण में करीब 55 लाख रुपये खर्च हुए हैं, और इसे बनाने में एक महीने से अधिक का समय लगा है। यहां आने वाले भक्तों को 115 फीट की ऊंचाई तक यात्रा करनी होती है। इस गुफा में पांच धर्मों के दर्शन भी किए जा सकते हैं, और दर्शन के लिए 50 रुपये की टिकट व्यवस्था है।
सोनपुर मेला की आकर्षक विशेषताएं
सोनपुर मेला का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व अब भी कायम है। एक बार फिर से अनोखे भैंस व माँ वैष्णो देवी मंदिर के कारण सोनपुर मेला आकर्षण का केंद्र और चर्चा का विषय बना हुआ है. पिछले कुछ वर्षों में यह मेला पर्यटन का एक प्रमुख केंद्र बन गया है, जहां लोग न केवल पशुओं को देख सकते हैं, बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आनंद ले सकते हैं। इस मेले में भाग लेने के लिए देश–विदेश से पर्यटक आते हैं, और यह मेला हर साल अपनी विशेषताओं के कारण चर्चा का विषय बनता है।
सोनपुर मेला अब एक सांस्कृतिक संगम बन चुका है, जो बिहार की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और धार्मिक आस्थाओं को एक साथ प्रस्तुत करता है।